Genghis Khan: दुनिया में तबाही मचाने वाला एक महान सेनापति और क्रूर शासक जिसने 4 करोड़ लोगों की हत्याए की।

Genghis Khan: चंगेज़ खान एक ऐसा कुशल मंगोल सेनापति था जो मुस्लिम सल्तनत पर कहर बनकर टूट पड़ा। जिसने मुस्लिम दुनिया को हिला के रख दिया। चंगेज़ खान एक ऐसा क्रूर शासक था जिसने इंसानों की खोपड़ियों से मीनार बनवाये। आइए जानते हैं चंगेज़ खान के बारे में।

जन्म और प्रारंभिक जीवन

सन ११६० के आसपास आधुनिक मंगोलिया के उत्तरी भाग में बहनेवाली ओनोन नदी के पास इस कुशल सेनापति का जन्म हुआ। इतिहासकारो के अनुसार जब चंगेज़ खान का जन्म हुआ तब उसके दायी हथेली पर पैदाइशी खूनी धब्बा था। चंगेज़ खान का प्रारंभिक नाम तेमुजिन् था। जिसका मंगोल भाषा में मतलब लोहकर्मी होता हैं।

सैनिकी जीवन

चंगेज़ खान के कुशल संघटन कौशल्य के कारण उसने बटे हुए मंगोल कबिलो को एक किया। जिसके चलते कबिलो के सरदारों ने उसे अपना सबसे बड़ा सेनापति बनाया और उसे चंगेज खान नाम की उपाधि प्रदान की। चंगेज़ खान के राजा बनने की उम्र को लेकर काफी विवाद है। कुछ इतिहासकारों का मानना है कि जिस उम्र में इंसान जीवन में स्थिरता और शांति बनाए रखना चाहता है। उस उम्र में चंगेज खान सेनापति बना। मतलब वह एक अधेड़ उम्र का सेनापति था। जब वह सेनापति बना तब उसकी उम्र ४० से ५० साल बताई गई है। इतिहासकार माइक एडवर्ड उसे ४० वर्ष का बताते है। 

मंगोल साम्राज्य

इंग्लैंड साम्राज्य के बाद धरती के लगभग २२ प्रतिशत हिस्से पर मंगोल साम्राज्य स्थापित हुआ। इसकी आबादी १०० करोड़ के करीब थी। यह साम्राज्य ३३,०००,००० वर्ग किलो मीटर क्षेत्र में फैला था। माना जाता हैं कि चंगेज़ खान जिस दिशा की ओर मुड़ता वह सारा प्रदेश उसके अधीन आ जाता था। 

चंगेज़ खान की क्रूरता

विश्व इतिहास में तेरहवीं सदी के कुछ दशक जैसे खूनी दशक थे। इन दशकों में चंगेज़ खान ने करोडो लोगों का कत्ल कर दिया था। इतिहासकारों के नुसार चंगेज़ खान की फ़ौज यूरेशियाई लोगों के लिए एक प्राकृतिक आपदा से कुछ कम नहीं थी। जिसके सामने इंसानी ताकत बिलकुल बेबस हो। 

(Genghis Khan) चंगेज़ खान
(Genghis Khan) चंगेज़ खान फोटो: कोरा

चंगेज़ खान “खानाबदोश” जिंदगी का रहनुमा था। उसे शहरों से और शहरी जिंदगी से कोई लगाव नही था। जिसके कारण वह शहरों को तबाह करने मे कोई कसूर बाकी नहीं छोड़ता था। 

“सिक्रेट ऑफ मंगोल लाइफ” के हवाले से माइक एडवर्ड्स कहते हैं कि चंगेज़ खान का कहना था कि “दुश्मन को जंग में हराना, उसकी सारी सम्पति पर अपना कब्जा करना, उनकी औरतों को दासी बनाकर अपनी सेवा में रखना और उनकी इज्जत…..” चंगेज़ खान जीते हुए प्रदेश से उन औरतों का चयन वह अपने लिए करता था, जिनकी आवाज मधुर हो। लंबे बाल हो और उनके ओट लाल रंग के हो। तो वही बाकी औरतों को वह अपने सरदारों के और फ़ौज के हवाले करता था। 

चंगेज़ खान का एक और यह भी कहना था की, “हम हारे या जीते लेकिन हम अपना जिन जरूर छोड़ेंगे” 

चंगेज खान ने अपने जीवन में काफी लडाईया लड़ी है। इन लडाईयों में उसने माना जाता हैं कि ४ करोड़ लोगों को मौत के घाट उतार दिया था। उसके क्रूरता का अंदाज इस बात से लगाया जाता हैं कि, उसके हमले से ईरान की ७५ फीसदी आबादी खत्म हो गयी थी। इतिहासकारों के अनुसार यह आबादी पुनः उतनी होने में कई शतकों का समय लगा। जो भी राज्य उसका थोड़ा भी विरोध करता, तो वह उस राज्य में खून की नदियाँ बहा देता। उसकी क्रूरता को देखते कई राजाओं ने उसके सामने बिना शर्त आत्मसमर्पण कर देने मे अपनी भलाई समझते थे। चंगेज़ खान ने अपनी क्रूरता का परिचय पूरी दुनिया को इस प्रकार दिया की भारत समेत संपूर्ण एशिया, अरब और रशिया उसके नाम से ही भयभीत रहने लगे। 

रूस के इतिहासकारों ने चंगेज़ खान के जीवन पर काफी समय तक शोधकार्य किया। रूसी इतिहासकार वस्सिली येन ने अपनी किताब “चंगेज़ खान : शैतान का बेटा” मे वर्णन करते हैं कि, मंगोल फ़ौज भूख लगने पर खाने के लिए अपने थके हुए और बेकार हुए घोड़ों को मारकर उसे खा जाते थे। 

चंगेज़ खान का धर्म क्या था?

चंगेज़ खां के मजहब के बारे में इतिहासकारों मे काफी मतभेद देखने को मिलते हैं। नाम के बाद खान लगे होने से वह एक मुस्लिम शासक लगता है पर वह मुस्लिम शासक नहीं था। मुस्लिम साम्राज्यो को सबसे ज्यादा नुकसान पहुँचाने वाला चंगेज़ खान ही था। माना जाता हैं कि मंगोल शासक बौद्ध थे लेकिन बाद में धीरे धीरे तुर्को के सम्पर्क में आकर उन्होंने इस्लाम धर्म को अपना लिया। जिसका अपंभ्रश मंगोल से हो कर मुगल बन गया। 

कुछ का मानना यह है कि वह इंसानियत का और धर्म का बड़ा दुश्मन था। लेकिन वस्सिली येन और कमलेश्वर जैसे कुछ इतिहासकार मानते हैं कि उसकी क्रूरता और बर्बरता इंसानियत और मजहब के प्रती नही बल्कि वह एक सियासी थी। 

मृत्यु

चंगेज़ खान ने सिंधु नदी को पार कर, भारत पर फ़तेह पा कर, असम के रास्ते अपने राज्य मंगोलिया वापस लौटने की सोची। लेकिन भारत में हार मिलने के बाद। वह अपने राज्य खाली हाथ वापस लौटा। वापस लौटते समय भारत के सर्दगर्मी प्राकृतिक भौगोलिक स्थिति के कारण इस कुशल सेनापति की सन १२२७ में आखिरकार मौत हो गयी। 

चंगेज खान की आखरी इच्छा चंगेज खान की कब्र कहां है?

चंगेज़ खान के आखरी शब्द थे की, “मैं पूरी दुनिया पर फतेह पाना चाहता हूँ। लेकिन उसके लिए एक उम्र बहुत कम है। 

हैरान कर देने वाली बात तो यह थी कि, चंगेज़ खान की इच्छा यह थी कि, उसके मरने के बाद उसे किसी गुमनाम जगह पर दफनाया जाए। उसकी कोई भी पहचान ना छोड़ी जाए। जिसके चलते उसके मरने के बाद उसे उसके फ़ौज ने एक गुमनाम जगह दफनाया। और उसके कब्र पर हजारों घोड़े दौड़ा कर जमीन को समान आकार का रूप दिया। 

आज भी चंगेज़ खान की कब्र को खोजने का काम जारी है।

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