Bhagwan Shiv Ke Aage Shri Na Lagane Ka Karan: दुनियां में ऐसा कोई नही होगा जिसने भगवान का अपने जीवन में कभी नाम ना लिया हो। बहुत से लोगों के दिन की शुरुआत तो भगवान के नाम के साथ ही होती है। हालाकि हर धर्म के अलग अलग देवता हैं। हर कोई अपने धर्म के देवता को सबसे ज्यादा मानता है उनकी आराधना करता है। नाम जप करता है। जैसे मुस्लिम अल्लाह का नाम लेता है, ईसाई यशु का नाम लेता है, बौद्ध भगवान बुद्ध का नाम लेता है। ठीक इसी तरह हिंदू श्री राम, श्री कृष्ण, श्री हरि, महादेव या शिव जी का नाम लेता है।
लेकिन क्या आपने कभी इन नामों पर गौर किया है खासकर हिंदू देवताओं की बात करें तो, क्या आपके मन में यह सवाल नही आया कि, हम श्री राम, श्री कृष्ण या तक कि श्री हरि भी कहते हैं लेकिन हम श्री शिव या श्री महादेव क्यों नहीं कहते हैं। ऐसी क्या वजह या फिर कहे कि, ऐसी क्या मजबूरी है जिसके कारण हम श्री शिव नही कहते हैं।
आखिर क्यों भगवान शिव जी के नाम के आगे श्री शब्द नहीं लगाते हैं। आज के इस लेख में हम इसी विषय पर विस्तार से चर्चा करेंगे और जानेंगे कि, भगवान शिव के नाम के आगे क्यों नहीं लगता “श्री”
भगवान श्री विष्णु, श्रीराम, श्रीकृष्ण के आगे ‘श्री’ क्यों लगाते हैं?
यह बहुत ही रोचक और जानने योग्य सवाल है। आपकों बता दें कि, “श्री” एक सम्मान सूचक शब्द है। यदी हम किसी के नाम के आगे श्री लगाते हैं तो उसका सीधा सा मतलब है कि, हम उन्हे सम्मान दे रहे हैं । श्री शब्द से सम्मान दिखता है। लेकिन फिर यह भी हमारी गलत फहमी होगी कि, भगवान विष्णु जी के नाम साथ जो श्री लगता है तो वह सम्मान सूचक ही होगा तो क्या भगवान शिव सम्मान के पात्र नही है? ऐसा नहीं है,
नारायण और शिव दोनों प्रमुख देवता हैं इसी कारण सम्मान पर उनका पूर्ण निर्विवाद अधिकार है। श्री लगाएं अथवा ना लगाएं, उनका सम्मान कभी कम नहीं होगा। यहा कहानी अलग है आइए जानते हैं।
भगवान शिव जी के नाम के साथ श्री न लगने की जो वजह है और भगवान विष्णु जी के नाम के साथ श्री लगने की जो वजह है, वह बहुत ही सरल है और शायद आपकों पता भी होगी।
आपकों बता दें कि, शास्त्रों में “श्री” का अर्थ बताया गया है। शास्त्रों के अनुसार श्री का अर्थ लक्ष्मी होता है और लक्ष्मी भगवान विष्णु जी की पत्नी है। अब आपकों यह तो पता जरुर होगा कि, माता लक्ष्मी जी का एक नाम श्री भी है। आपको शायद यह तो जरुर पता होगा कि, हिंदू धर्म में पति के नाम के आगे उनके पत्नी का नाम लगाने की परंपरा सदियों से है और यही कारण है जिसके चलते भगवान विष्णु जी के नाम के आगे श्री लगाते हैं।
अब आप सोच रहे होंगे कि, श्रीहरि तक तो ठीक है किन्तु क्या श्रीराम और श्रीकृष्ण के आगे जो “श्री” लगता है उसका क्या?
आपको बता दें कि, जब जब भगवान विष्णु जी धरती पर अवतार लिया तब तब माता लक्ष्मी जिन्हे श्री भी कहा जाता है उन्होने भी अवतार लिए है।
जब हम श्रीराम कहते हैं तो वास्तव में हम “सीता-राम” कह रहे होते हैं। और जब हम श्रीकृष्ण कहते हैं तो वास्तव में हम “रुक्मिणी-कृष्ण” कह रहे होते हैं। तो इस प्रकार दोनों के नाम में श्री लगाने का वास्तविक तात्पर्य इनकी अर्धांगिनी के नाम को भी इनके साथ जोड़ना है।
आपको यह जरुर जानना चाहिए कि, भगवान विष्णु के अन्य अवतारों के साथ भी माता लक्ष्मी ने अवतार लिए है। जैसे भगवान वराह के साथ माता वाराही, भगवान नृसिंह के साथ माता नारसिंही, भगवान वामन के साथ माता पद्मा और भगवान परशुराम के साथ माता धारिणी। तो इन सबके साथ भी श्री का तात्पर्य माता लक्ष्मी के इन्ही अवतारों से है। भविष्य में होने वाले भगवान कल्कि के अवतार में भी माता लक्ष्मी देवी पद्मावती के रूप में अवतरित होंगी। तब भी श्री जरुर लगेगा।
वास्तव में हम जब भी श्रीहरि, श्री राम या श्री कृष्ण कहते हैं तब हम भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी को एकाकार करते हैं। ये ठीक वैसा ही है जैसे भगवान शंकर का अर्धनारीश्वर स्वरुप।
जब हम बात भगवान शिव जी की करते हैं तो, भगवान शिव जी की अर्धांगिनी है माता पार्वती, जिन्हे गौरी, उमा आदी नामों से जाना जाता है। हिंदू धर्म में पति के नाम के आगे उनके पत्नी का नाम लगाने की परंपरा के अनुसार फिर हम भगवान शिव जी को उमाशंकर, गौरीशंकर कहते हैं।
भगवान शिव जी के नाम के आगे श्री न लगाने की वजह यह भी है कि, “श्री” शरीर को या कहे शरीरधारी को लगाया जाता है। जबकि भगवान शिव तो चेतना का ही नाम है।
यदि शिव शब्द में इ की मात्रा को निकाल दे अर्थात चेतना को निकाल दे तो शिव जी का नाम शव या शेष होगा। अब शव उसे कहते हैं जिसमे चेतना न हो।
अर्थात जब चेतना शरीर धारण करती है तो श्री लगाया जाता है, इसलिए ही हमारे पुराणों में कई पशु, पक्षियों, दिव्य पुरुषों या जो हमारे नजरों में सम्मान के पात्र पुरूष है। उनके नाम के आगे हम श्री लगा देखते हैं।
अब आप जान गए होंगे कि, आख़िर क्यों भगवान शिव के नाम के आगे श्री नही लगता और हमें श्री क्यों नहीं लगाना चाहिए।