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जब ओमान किंग कबूस बिन सईद को इस बारे में एक पत्रकार ने पूछा, तब जवाब में उन्होंने कहा कि, मै हवाई अड्डे पर महेमानो को लाने गया और उनका ड्राइवर भी बना। इसका मतलब सिर्फ ये नही की वे केवल भारत के राष्ट्रपती है। बल्कि वे मेरे गुरु भी रह चुके है।जब मैंने भारत मे कुछ वर्ष पढाई की तब डॉ. शर्मा मेरे गुरु थे। मैंने उनसे शिक्षा प्राप्त की है। इसलिए गुरु का सम्मान करना मेरा कर्तव्य है। आगे ओमान किंग ने कहा कि, आप सभी ने केवल इतना देखा की, ओमान के किंग भारत के राष्ट्रपती के ड्राइवर बने। लेकिन मै आपको बताना चाहता हूँ कि, मै अपने गुरु के गाड़ी का ड्राइवर बना था।
तेल की निर्यात करने वाले अरब देश और उन देशों के सुलतान बेहिसाब संपत्ती के मालिक है। जो अपने ही मस्ती में रहते है। क्या वे गुरु के सम्मान मे ऐसा कर सकते है। लेकिन आपको बता दे की, इस किस्से का जिक्र आपको कई जगह पर देखने को मिल जाएंगा।
ओमान किंग कबूस बिन सईद अल सईद का जन्म:-
ओमान किंग कबूस बिन सईद जी का जन्म ओमान के “सलालाह” शहर में हुआ। इनके पिताजी सैद बिन तैमूर उस वक्त के ओमान के किंग हुआ करते थे। ओमान सुलतान सैद बिन तैमूर मॉर्डन एज्युकेशन के बारे में काफी सचेत रहते थे। इनकी खुद की पढाई भी भारत में हुई थी। इनकी पढाई भारत के मेयो कॉलेज में हुई थी। ये कॉलेज राजकुमारों के लिए था। अंग्रेजी भाषा आने वाले पहले सुलतान, सुलतान तैमूर ही थे। इन्ही के अनुरोध के कारण कबूस बिन सईद जी को भारत में पढाई के लिए आना पड़ा था। दोस्तों आपको जानकर गर्व होगा कि, उस वक्त ओमान के राजकुमार रहे कबूस बिन सईद भारत में पढाई करने के लिए महाराष्ट्र के पुणे शहर में रहा करते थे। पुणे में ही उन्होंने अपनी पढाई की। यहाँ पर ही उन्हे अपने शिक्षक के रूप में डॉ शंकर दयाल शर्मा मिले थे। इनसे उन्होंने पढाई के कुछ पाठ पढ़े थे।
कौन थे शंकर दयाल शर्मा:-
शंकर दयाल शर्मा एक समय स्वतंत्र सेनानी रहे है। भारत के स्वतंत्र संग्राम में उन्होंने भी अपना योगदान दिया है। स्वतंत्र सेनानी रहे शंकर दयाल शर्मा कुछ वर्ष पुणे में बतौर शिक्षक कार्यरत थे। जहाँ उन्हे राजकुमार कबूस बिन सईद शिष्य के रूप में मिले।
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अपनी पढाई पूरी करके जब कबूस बिन सईद अपने वतन वापस लौटे, तब उन्होंने ओमान की सत्ता अपने हाथो में ली। करीब 50 साल तक कबूस बिन सईद ओमान के सुलतान/किंग बने रहे। ओमान को मॉर्डन देश बनाने में सुलतान कबूस बिन सईद जी की अहम भूमिका मानी जाती है।
रेगिस्तान से भरे इस मुल्क में व्यापार और पानी लाने में, रेगिस्तान को हराभरा करने में इन्ही की अहम भूमिका मानी जाती है।
भारत और ओमान के संबंध:-
अरब देशों की सूची में ओमान देश भारत का सबसे बड़ा करीबी दोस्त माना जाता है। क्युकी कई बार ओमान ने बाकी अरब देशों के विरोध को नज़र अंदाज करके हमेशा भारत का साथ दिया। हमेशा भारत के पक्ष में खड़ा हुआ।
जब भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ओमान के दौरे पर गए थे। तब ओमान किंग कबूस बिन सईद ने मोदी जी का भी स्वागत काफी जोरशोर से किया था। आपको बता दे मोतिश्वर शिव मंदिर इसी देश के मस्कत शहर में स्थित है। यह 250 वर्ष पुराना शिव मंदिर है। ऐसा माना जाता है कि, इस मंदिर की स्थापना व्यापारीयों ने की थी। इस मंदिर के जीर्णोद्धार से लेकर अन्य एग्रीमेंट इस दौरे में हुए थे।
ओमान किंग कबूस बिन सईद जी का सम्मान भारत के सभी सरकारों ने किया है। इन्हें भारत के जवाहरलाल नेहरू आंतरराष्ट्रीय शांतता पुरस्कार से भी नवाजा गया है।
जनवरी 2020 मे जब ओमान किंग कबूस बिन सईद जी का निधन हुआ था। तब भारत में सरकारी शोक रखा गया था और भारत के राष्ट्रध्वज को आधे तक नीचे लिया गया था। दरसल देश के प्रमुख व्यक्ती का जब निधन होता हैं, तब राष्ट्रध्वज को आधे तक नीचे लेकर सरकारी अवकाश रखा जाता है।
शंकर दयाल शर्मा इनका यह विद्यार्थी जीवन भर कभी भारत को भुला नही।