Gangubai kathiawadi

गंगूबाई काठियावाडी= वेश्याओं की समस्याओं पर सीधे पंतप्रधान पंडित नेहरूजी से सवाल करने वाली लेडी डॉन

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 आजकल गंगूबाई यह नाम काफी चर्चा में आया है। इसकी खास वजह गंगूबाई के जीवन पर आ रही संजय लीला भंसाली की फिल्म। इस फिल्म में आलिया भट्ट ने गंगूबाई का किरदार निभाया है। आइए जानते है। गंगूबाई के जीवन के बारे में। 

         हरजीवनदास काठियावाड गुजरात के काठियावाड़ के रहने वाले। पेशे से वकील थे।  एक सुखी परिवार। इनकी बेटी गंगा हरजीवनदास काठियावाड जो बाद में गंगूबाई काठियावाड के नाम से मशहुर हुई थी। गंगा बचपन से ही काफी लाड़ प्यार से पली थी। बचपन से ही गंगा को एक्टिंग का काफी शौक था। बड़ी होकर वो हीरोइन बनना चाहती थी। पिता पेशे से एक नामी वकील होने के कारण उनके पास एक रमनिक नाम का अकाउंटेट काम के लिए था। काम के लिए ही रमनिक मुंबई से काठियावाड आया था। पिता का अकाउंटेट होने के कारण रमनिक का गंगा के घर अक्सर आना जाना चालू रहता था। जिसके कारण गंगा और रमनिक मे हमेशा मुलाकात हो जाया करती थी। कभी चाय देने के बहाने। तो कभी पानी देने के बहाने। बाद में ये मुलाकात दोस्ती में बदल गई। दोस्त बनने से वे दोनों और नजदीक आ गए और ये नजदीकी एक दिन प्यार में बदल गई। महज 16 साल की उम्र में गंगा को रमनिक से प्यार हो गया था। शादी के लिए घरवाले विरोध करेंगे, इसलिए वे दोनों भागकर मुंबई आये। बस यहाँ से ही गंगा का गंगूबाई काठियावाड बनने का सफर शुरू हो जाता है। 

           अपने मन में बड़े बड़े सपने सजाकर रखने वाली गंगा को उसका पति धोखा देता है। उसका पति (रमनिक) महज 500 रुपए में उसे कामठिपुर के कोठे पर बेच देता है। पति के इस हरकत के कारण वो अंदर से काफी टूट जाती है। उसके पास अब पछताने के अलावा दूसरा और कोई रास्ता भी नही था। वह जानती थी कि, अगर वह इस दलदल से बाहर निकलकर वापस अपने घर जाएंगी तो, उसके परिवार वाले उसे नही अपनाएंगे। इसलिए वह यही कोठे पर रहने का फैसला करती है। महज 16 साल की उम्र में वह एक वेश्या बन जाती है। 

            एक दिन कोठे पर शौकत खान नाम का एक गुंडा आता है। तभी उसकी नज़र गंगूबाई पर पड़ती है और वह गंगूबाई पर जोर जबरदस्ती अत्याचार करता है और बिना पैसे दिये वहा से निकल जाता है। गंगूबाई को अस्पताल में भर्ती किया जाता है। बाद में गंगूबाई उस गुंडे की पूरी कुंडली निकालती है। तब उसे मालूम पड़ता है कि, उसका नाम शौकत खान है और वह अंडरवर्ल्ड डॉन करीम लाला के गैंग का एक सदस्य है। 

         एक दिन गंगूबाई सीधे करीम लाला के पास जाती है और अपने पर हुए अन्याय के लिए इंसाफ मांगती है। करीम लाला गंगूबाई को आश्वस्त करता है कि, दुबारा उसके साथ ऐसा कुछ भी नही होगा। अगर ऐसा कुछ होता है तो वह उसे बताए। इस घटना के गुजर जाने के कुछ ही दिनों बाद शौकत खान दुबारा उसी कोठे पर जाता है। गंगूबाई इस बात की खबर करीम लाला को एक शक्स की मदत से भेजती है। जिसके बाद करीम लाला खुद वहा आ जाता है। करीम लाला के वहा पहुँचते ही हंगामा शुरू हो जाता है। क्योंकी करीम लाला शौकत खान को बेहरहमी से हॉकि स्टिक से पिटता है और जाहिर कर देता है कि, गंगा उसकी मुहबोली बहन है। गंगूबाई करीम लाला की मुहबोली बहन बन जाने के बाद। कोई भी अब उसके साथ पंगा नही लेता था। 

           इसके बाद गंगूबाई का रेडलाइट एरिया में दबदबा बढ़ने लगा। यह दबदबा इस कदर बढ़ जाता है कि, गंगा अब कामठिपुरा की गंगूबाई बन जाती हैं। इसका वह गलत फायदा न लेकर, वह हमेशा अन्याय का शिकार होनेवाली हर सेक्स वर्कर के साथ खड़ी रहती थी। 

         कोठे चलाने के लिए घरवाली और बाहरवाली पद होते थे। इन पदों के लिए बकायदा चुनाव होते थे। सेक्स वर्कर के साथ होनेवाले अन्याय पर आवाज उठाने वाली गंगूबाई इन दोनों पदों पर चुनाव लढती है और वह जीत भी जाती है। 

         यहाँ से वह रियल गंगूबाई कोठेवाली  बन जाती है। अपने साथ जिस तरह का दूर व्यवहार हुआ वैसा दूर व्यवहार किसी और महिला के साथ ना हो। किसी भी महिला पर इस काम के लिए जोर जबरदस्ती ना की जाए। इसके लिए वह हमेशा प्रयासरत रहती है। गंगूबाई के इस आचरण के कारण कोठे की हर एक सेक्स वर्कर उसे माँ कहती थी। गंगूबाई के प्रति उन सेक्स वर्करों के दिलों में आदर सम्मान कुछ इस कदर था कि, हर कोठड़ी मे गंगूबाई का फोटो लगा होता था। ऐसा कहा जाता है कि, गंगूबाई के कोठे पर किसी भी लड़की के साथ जबरदस्ती नहीं होती थी। वह उन्ही लड़कियों को कोठे पर रखती थी। जो अपनी मर्जी से वहा आई हो। 

          गंगूबाई सेक्स वर्करों की एक आवाज थी। जो उनके हक और अधिकारों के लिए हमेशा उठती थी। 

         गंगूबाई का दबदबा और धमक इस कदर थी कि, उसके परमिशन के बिना कोई भी गैंगस्टर या बड़े से बड़ा डॉन उसके कोठे में यहाँ तक की कामठिपुरा में भी पैर नही रखता था। बड़े से बड़ा माफिया डॉन गंगूबाई का नाम लेते ही ठंडा हो जाता था। 

          गंगूबाई ना केवल सेक्स वर्करों की माँ थी। बल्कि वह उन तमाम बेसहारा बच्चों की भी माँ बनी, जिनका इस दुनिया में कोई भी नही है। उसने कई सारे ऐसे बच्चों को गोद लिया जो अनाथ थे। जो बेसहारा थे। ऐसे बच्चों की परवरिश की सारी जिम्मेदारी गंगूबाई उठाती थी। 

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Credit image:- dnaindia.com

         मुंबई के आज़ाद मैदान में सेक्स वर्करों के हक के लिए गंगूबाई ने एक सभा का भी आयोजन किया था। उस वक्त इस सभा में गंगूबाई  काठियावाड द्वारा दिया गया भाषण मुंबई के हर छोटे बड़े अखबार की पहली सुर्खी बना था। इस सभा में गंगूबाई काठियावाड ने कहा था कि, इन सेक्स वर्करों के कारण ही मुंबई की अन्य महिलाए सुरक्षित है। 

           ऐसा माना जाता है कि, सेक्स वर्करों के हित और अधिकार के लिए वह एक बार पंतप्रधान पंडित नेहरूजी से भी मिली थी। ऐसी छबि थी गंगूबाई काठियावाड की। 

        अंडरवर्ल्ड की जगत में ना केवल गॉड फादर हुए है बल्कि कुछ इस तरह की गॉड मदर भी हुई है। 

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