साधारणता हमें जो भूतकाल में घटी घटनाओं का वर्तमान में भी जानकारी देने का कार्य करता है। उस मध्यम को हम साहित्य कहते हैं। साहित्य हमें मार्गदर्शन देने का काम करते हैं।
प्रत्येक भाषा का अपना–अपना साहित्य होता है। उसी प्रकार हिंदी भाषा का अपना हिंदी भाषा में साहित्य है। जानते है हिंदी से जुड़ी कुछ हटके जानकारी।
• हिंदी साहित्य में “भारतेंदु हरिशचंद्र” का स्थान महत्व पूर्ण है। इन्हें आधुनिक हिंदी साहित्य का जनक कहते है। भारतेंदु हरिशचंद्र हिंदी साहित्य के युग प्रवर्तक भी माने जातें हैं। हिंदी साहित्य से जुड़ी नाट्य शैली और हिंदी पत्रकारिता के जन्मदाता भी इन्हीं को कहाँ जाता है।
इन सभी बातों के कारण उन्हें हिंदी साहित्य के पितामह भी कहाँ जाता है।
• हिंदी साहित्य के निर्माणकाल को लेकर इतिहासकारों में मतभेद दिखाई देता है। लेकिन कुछ इतिहासकारों की माने तो हिंदी साहित्य का आरंभ आठवीं शताब्दी से हुआ है।
• भारतेंदु हरिशचंद्र के कार्यकाल को “भारतेंदु युग” के नाम से जाना जाता है। इस युग को हिंदी साहित्य में आधुनिक हिंदी कविता का “सिंहद्वार” कहाँ जाता है।
• भारतेंदु युग के बाद हिंदी साहित्य में “द्विवेदी युग” आता है। इस युग का नामकरण “महावीर प्रसाद द्विवेदी” के नाम पर किया गया है। भारतेंदु युग में निर्मित कविताओं का विकास इस द्विवेदी युग मे हुआ है। इस युग में राष्ट्रभक्ती पर काफी सारा साहित्य निर्माण हुआ था।
• भाग्यवती उपन्यास को हिंदी साहित्य का पहला सामाजिक उपन्यास माना जाता है।
• हिंदी साहित्य का कालचक्र काफी बड़ा है। जिसके चलते इस कालचक्र को पाँच चरणों में विभाजित किया है
1. आदिकाल (१३७५ पहले)
2. भक्तिकाल (१३७५ -१७००)
3. रितीकाल (१७०० – १९००)
4. आधुनिक काल (१८५० इस्वी के पश्चात)
5. नव्योत्तर काल (१९८० इस्वी के पश्चात)
• हिंदी साहित्य में भक्तिकाल को हिंदी साहित्य का “स्वर्णकाल” कहा जाता है। इस काल में हिंदी साहित्य का अलौकिक विकास हुआ हैं। हिंदी साहित्य में नये साहित्यों की भरमार इसी काल में हुई थी। इसी कारण यह काल हिंदी साहित्य का स्वर्णकाल बना।
• “स्वयंभू” को हिंदी का आदि कवि माना जाता है।
• हिंदी साहित्य की पहली आत्मकथा माननीय डॉ राजेंद्र प्रसाद ने लिखी है।
• इस साहित्य का पहला महाकाव्य “पृथ्वीराज रासो” है। पृथ्वीराज रासो को हिंदी साहित्य में सबसे बृहत् रचना मानी गई है। इस महाकाव्य की रचना पृथ्वीराज चौहान के दरबारी कवि चंदबरदाई ने की है।
• हिंदी साहित्य का प्रथम प्रकाशित समाचार पत्र “उदंड मार्तंड” नामक है। इस समाचार पत्र के संपादक और प्रकाशक “जुगल किशोर शुक्ल” थे।

हिंदी साहित्य
• हिंदी साहित्य की प्रथम कहानी को लेकर विद्वानों में काफी विवाद चल रहा है। सैयद इशाल्लह खाँ की “रानी केतकी कि कहानी” को प्रथम कहानी कहाँ जाता है। वैसे ही किशोरी लाल गोस्वामी की कहानी को भी प्रथम माना जाता है।
• हिंदी व्याकरण के पाणिनि “किशोरीदास वाजपेयी” को कहा जाता है।
• “हिंदी शब्दसागर” हिंदी साहित्य का प्रथम शब्दकोश है।
• “हिंदी विश्वकोश” हिंदी साहित्य का प्रथम विश्वकोश कहा जाता है।
• हिंदी दिवस: हिंदी में किस भाषा के शब्द अधिक है
• हिंदी साहित्य का प्रथम ऐतिहासिक ग्रंथ “भक्तमाल” है। इसकी रचना नाभादास ने की थी। इस ग्रंथ का रचना काल १५६० – १६८० के बीच का माना जाता है।
• हिंदी साहित्य के प्रथम व्यवस्थित इतिहासकार आचार्य रामचंद्र शुक्ल है। इनके द्वारा रचित इतिहास पुस्तिका की सहाय्यता आज भी, काल निर्धारण और पाठ्यक्रम निर्माण के लिए की जाती है।
आशा करता हूँ यह जानकारी आपको अच्छी लगी होगी।
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