Last Updated on 2 years by Sandip wankhade
“क्या तुम नही जानते हो कि, मेरे और उसके बीच में ३६ का आकडा है।”
अक्सर हम कई बार ऐसा कहते है, जब हमें अपना कोई उस व्यक्ति के बारे में हमे बताता है। जिससे हम नफरत करते है। या फिर जब अपना कोई व्यक्ति उस व्यक्ति की तारीफ अपने सामने करता है, जिसकी हम शक्ल तक देखना पसंद नहीं करते है। तब अक्सर हम ऐसा कहते है कि, उसकी बात मत करो मेरे सामने, उसके और मेरे बीच 36 का आकडा है।
आपने भी ऐसा कई बार कहा होंगा। अगर आपके किसी ओर के साथ मतभेद होंगे तो। अगर आपके किसी के भी साथ, किसी भी प्रकार के मतभेद नही है, तो मेरे विचार से आप उन चुनिंदा लोगों मे से एक है। जो अच्छाई मे गिने जाते है। खैर कोई बात नही। मुझे पुरा विश्वास है कि, आप अच्छे होंगे। लेकिन आपने कई बार 36 के आकड़े के बारे में और इससे जुड़ी कहावत के बारे में किसी ना किसी के तो मुह से कभी ना कभी तो जरूर सुना होगा।
लेकिन क्या आपने कभी सोचा है। कभी आपके दिमाग मे यह सवाल उठा है कि, आखिर क्यों हम सभी 36 के आकड़े का ही इस्तेमाल क्यों करते है। जब की कई सारे आकड़े है। इसे ही क्यु हम इस्तेमाल करते है।
क्या आपके दिमाग में भी ऐसा कोई सवाल आया है कि, आखिर क्यों हम 36 के ही आकड़े का इस्तेमाल करते है। 35, 37, 76 या फिर अन्य आकड़े का इस्तेमाल क्यों नही करते है। ऐसा क्या बवाल छिपा हुआ है इस 36 के आकड़े मे।
आइए जानते है। इस 36 के आकड़े के पीछे की असल वजह।
इस 36 के आकड़े के पीछे की असल कहानी हमारी राष्ट्रीय भाषा हिन्दी में छिपी हुई है। आज वर्तमान समय में जब हम संख्याओं को लिखते है और उनका प्रयोग करते है वह सारी संख्याएं अंग्रेजी भाषा की है। जैसे 0, 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9….. आदि यह सभी अंक और इनसे बनने वाली सभी संख्याएं रोमन लिपि की है। इसलिए जब हम रोमन लिपि में 36 लिखते है, तो हमें इसमें कोई ऐसा Interesting fact नजर नही आता है।
लेकिन आप सभी को तो पता ही होंगा कि, हिन्दी भाषा में लेखन करने के लिए देवनागरी लिपि का इस्तेमाल किया जाता है और संख्याओं को भी देवनागरी लिपि में ही लिखा जाता है। जैसे ०, २, ३, ४, ५, ६, ७, ८, ९……आदि।
अब अगर हम हिन्दी भाषा के अंक ३ और ६ को गौर से देखे, या फिर इनसे बनने वाली संख्या ३६ को देखते है, तो यह दोनों अंक बिलकुल समान नजर आते है। जैसा कि, अगर हम ३ को आइने के सामने रखे तो आइने मे हमे ३ नही बल्कि वह ६ नजर आएगा और उसी तरह ६ को अगर आइने के सामने रखेंगे तो आइने में वह हमें ६ नही बल्कि ३ नजर आएगा। मतलब दोनों अंको मे काफी समानता है।
इसका मतलब जैसे ही हम ३ और ६ को आइनें मे देखते है। तो वह हमें ६ और ३ दिखाई देता है और ऐसा प्रतीत होता है, जैसे की दोनों ३ और ६ एक दूसरे को पीठ दिखाते हुए खड़े है।
इसलिए जब हम 36 को देवनागरी मे लिखते है। तो आप देखिए ३ और ६ एक दूसरे की तरफ पीठ करके रूठे हुए नजर आते है। जैसे उन दोनों मे किसी बात को लेकर झगडा हुआ है और वे दोनों एक दूसरे की शक्ल तक देखना पसंद नहीं कर रहे है।
यहाँ गौर करने वाली बात यह है कि, 36 का यह रूप केवल देवनागरी लिपि में लिखने पर ही प्रतीत होता है। रोमन लिपि में 36 लिखने पर नही। मतलब रोमन लिपि में 36 लिखने पर इस संख्या में हमें कोई भी ऐसी रोचक बात नजर नही आती है।

हिन्दी मुहावरा
इसलिए जब दो व्यक्ति, संस्था, घर, बिरादरी, समाज, धर्म, देश आदि में जब कोई विरोधाभास नजर आता है, तब कहा जाता है कि, उन दोनों मे “३६ का आकडा” है और यही कारण है कि, ३ और ६ जिस तरह एक दूसरे के विरोध में रूठे हुए नजर आते है उसी तरह दोनों के बीच के विरोध को दर्शाने के लिए ३६ के आकड़े का ही इस्तेमाल किया जाता है। ना की ३५, ३७, या ३८ जैसे बाकी संख्याओं का इस्तेमाल किया जाता है। क्युकी विरोधाभास की यह स्थिति केवल ३६ ही दिखा पाता है।