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ये हैं बवासीर का रोहानी इलाज (bawaseer ka rohani ilaj)

बवासीर का रूहानी इलाज, bawaseer ka rohani ilaj
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Last Updated on 2 months by Sandip wankhade

बवासिर, ये पाइल्स, गुदा मार्ग के आस पास सुजान और दर्द का एक आम समस्या है। ये समस्या कई करने से हो सकती है, जैसे कब्ज़, खाने पाइन की गलत आदतें, बैठने का गलत तारिके से, शारीरिक गतिविधियों में कामी, आदि।

बवासीर के लिए रूहानी इलाज के साथ-साथ, मेडिकल तरिके से बावसीर का इलाज भी जरूरी होता है। अगर आप बवसिर के रोहनी इलाज के बारे में जाना चाहते हैं, तो मैं कुछ कुछ सुझाव प्रस्तुत कर सकता हूं। याद रहे, रूहानी इलज बावसीर को पूरी तरह ठीक तो नहीं कर सकता, लेकिन इसमें मदद मिलेगी।

बवासीर का रूहानी इलाज (bawaseer ka rohani ilaj)

नमाज़ और दुआ: अपनी रोज़मर्रा की नमाज़ का ख़ास ख़याल रखे। नमाज में अल्लाह से शिफा और आराम की दुआ मांगे। दिल से इबादत करें और बवासीर से निजात की दुआ करें।

कुरान की तिलावत: रोजाना कुरान की तिलावत करे। सूरह अल-फातिहा, सूरह अल-मुल्क, सूरह अल-अनबिया, सूरह अल-शर्ह, सूरह अल-वक़ियाह, सूरह अल-जिन्न जैसे सूरह बावसीर के इलज के लिए मशहूर हैं। सूरह की तिलावत से फ़ायदा मिल सकता है।

वज़ीफ़ा: “या हफ़ीज़ु या रहीमू” वज़ीफ़ा को 100 मर्तबा रोज़ाना पढ़े। इसके अलावा “या शफी’उ” और “या सलामु” को भी पढ़ सकते हैं।

तस्बीह: तस्बीह (सुभा) लेकर “या लतीफू” का विर्ड करे। क्या तस्बीह को 100 मरताबा पढ़ने से आराम मिलेगा।

दुरूद शरीफ: दुरूद शरीफ, जैसे “अल्लाहुम्मा सल्ली ‘अला मुहम्मदिन वा’ अला अली मुहम्मदिन” पढने से बावसीर में शिफा मिल सकती है। इसे रोज़ाना कम से कम 100 मर्तबा पढ़े।

बवासीर के रूहानी इलाज करने के साथ-साथ, ये आम तारिके भी ध्यान राखे:

कब्ज़ से बचे: कब्ज़ होने पर गुदा मार्ग पर ज़ोर पड़ता है, इस लिए रोज़ाना फाइबर युक्त खाना खाए, पानी पिया, ताज़ा फ्रूट्स और सब्ज़ियाँ खाए, और प्राकृतिक रूप से पॉटी करे।

गरम पानी से स्नान करे: गरम पानी में नमक या सेंधा नमक मिला कर उसमें बैठने का स्नान करे। ये आपको राहत देगा और सुजान कम करने में मदद करेगा।

आयुर्वेदिक दावा: आयुर्वेदिक चिकित्सा में भी बावसीर का इलाज किया जाता है। कुछ आयुर्वेदिक दवाइयाँ, जैसे त्रिफला चूर्ण, अर्शकल्प वटी, अभयारिष्ट, आदि भावसिर के उपचार में उपाय हो सकती हैं। आयुर्वेदिक वैद्य से सलाह ले।

आराम से बैठे: आपको ज्यादा समय तक बैठे रहने से बावसीर की परेशानी हो सकती है, इसे आपको आराम से बैठे रहना चाहिए। कुछ उपाय जो आपको आराम से बैठे रहने में मदद करेंगे, ये है:

गद्दीदार सीट: गद्दीदार सीट या बवासीर कुशन का इस्तमाल करे, जिस से गुदा मार्ग पर कम दबाव पड़ेगा और आराम मिलेगा।

बार-बार ब्रेक: लंबी समय तक एक ही स्थिति में बैठने से बावसीर की परेशानी बढ़ सकती है। इस्लीये, नियमित रूप से छोटे-छोटे ब्रेक लेकर थोड़ा चलना फिरना करें या स्ट्रेचिंग एक्सरसाइज करें।

उचित मुद्रा: सही मुद्रा बनाए रखना भी महत्वपूर्ण है। एक सीधा और सामान्य आसन बनाए रखे। कमर को सपोर्ट के लिए कुशन का इस्तेमल करे।

कठोर सतहों पर बैठने से बचें: सख़्त और कठोर जगाओं पर बैठने से बचना चाहिए। गद्दीदार या मुलायम सतहों पर बैठने के लिए अधिक सुविधाजनक होगा।

वार्म कम्प्रेस: गुदा मार्ग की सुजन और दर्द को कम करने के लिए गरम पट्टी का इस्तमाल कर सकते हैं। इसे सुजान वाले स्थान पर लगाये, जिससे राहत मिलेगी।

व्यायामः व्यायाम भावसिर की चिंता को कम करने में मदद करता है। नियमित व्यायाम करें, जैसे की पैदल चलना, साइकिल चलाना, तैरना, योग, आदि। इससे शारीरिक गतिविधि बढ़ती है और कब्ज़ की समस्या भी कम होती है।

ये उपाय बावसीर की परेशानी को कम करने में मदद करेंगे। लेकिन अगर समस्या ज्यादा गंभीर हो या समस्या में सुधार न हो, तो आपको एक चिकित्सा से सलाह लेनी चाहिए। वैद्य की सलाह और अनुसंधान से ही सही इलाज किया जा सकता है।

बवासीर का रूहानी इलाज (bawaseer ka rohani ilaj)

रूहानी उपचार एक विशेष विश्वास या विश्वास प्रणाली की शिक्षाओं के आधार पर उपचार और कल्याण के लिए आध्यात्मिक या धार्मिक दृष्टिकोण को संदर्भित करता है।

पाइल्स, या बवासीर, मलाशय क्षेत्र में सूजी हुई रक्त वाहिकाएं हैं जो असुविधा, खुजली, दर्द और रक्तस्राव का कारण बन सकती हैं। पाइल्स के उपचार में आमतौर पर जीवनशैली में बदलाव, बिना पर्ची के मिलने वाले उपचार और चिकित्सकीय हस्तक्षेप शामिल होते हैं। सटीक निदान और उचित उपचार योजना के लिए स्वास्थ्य देखभाल पेशेवर से परामर्श करना महत्वपूर्ण है।

यदि आप बवासीर के लिए रूहानी उपचार की तलाश में रुचि रखते हैं, तो अपने विश्वास समुदाय के धार्मिक या आध्यात्मिक नेता से परामर्श करना सबसे अच्छा होगा। वे विशिष्ट प्रथाओं, अनुष्ठानों, या प्रार्थनाओं पर मार्गदर्शन प्रदान करने में सक्षम हो सकते हैं जिनके बारे में माना जाता है कि आपकी आस्था परंपरा के अनुसार उपचार पर प्रभाव पड़ता है।

याद रखें, पाइल्स सहित किसी भी चिकित्सा स्थिति से संपर्क करना आवश्यक है, एक समग्र दृष्टिकोण के साथ जो आध्यात्मिक और चिकित्सा दोनों दृष्टिकोणों को जोड़ती है। हमेशा अपने स्वास्थ्य को प्राथमिकता दें और यह सुनिश्चित करने के लिए योग्य स्वास्थ्य पेशेवरों से सलाह लें तााकी आपको उचित देखभाल मिल सके।

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