Last Updated on 6 months by Sandip wankhade
ब्लैक फंगस के क्या क्या लक्षण हैं? ब्लैक फंगस बीमारी के बारे में जानकारी दीजिए। ब्लैक फंगस के शुरुआती लक्षण क्या है? ब्लैक फंगस से बचने का तरीका। ब्लैक फंगस रोग के लक्षण क्या है? काला फफूंद।
भारत कोविड 19 महामारी से पहले से ही ग्रसित है। इसी दौरान और एक महामारी ने हमारे देश में दस्तक दी है। जिसका नाम है ब्लैक फंगस। आइए जानते है black fungus के बारे में, कितना खतरनाक है ये black fungus?
ब्लैक फंगस से जुड़े कई सवाल उठने लगे है। जैसे कि, ये ब्लैक फंगस क्या होता है? ये खास तौर पर किनको हो सकता है? ब्लैक फंगस से बचने के लिए हमें क्या कदम उठाने चाहिए? किन बातों का खास ध्यान रखे की, हमें ब्लैक फंगस ना हो? ब्लैक फंगस की क्या पहचान है? इस तरह के कई सारे सवाल इस बीमारी को लेकर उठने लगे हैं। आइए जानते है इस ब्लैक फंगस के बारे में।
Black fungus क्या है? इसे black fungus क्यों कहते है?
ब्लैक फंगस यह बीमारी भले ही अभी चर्चा में आई हो। लेकिन इस बीमारी के बारे मे दुनिया को पहले से ही पता था। इस बीमारी को सबसे पहले जर्मनी में पाया गया था। 1885 मे इस बीमारी का पहला केस यही मिला था। ब्लैक फंगस भले ही जर्मनी में मिला हो, लेकिन इसे नाम दिया अमेरिका के पैथोलॉजिस्ट आर डी बेकर ने। उन्होंने इस बीमारी को म्युकोरमाइकोसीस कहा। इस म्युकोरमाइकोसीस से बचने वाला पहला व्यक्ती ‘हैरिस‘ नाम के शक्स को माना जाता है। यह 1955 में इस बीमारी से बच निकला था। म्युकोरमाइकोसीस एक बहुत कम होने वाली बीमारी है। लेकिन यह काफी घातक मानी जाती है। जैसे बैक्टेरिया होते है, व्हायरस होते है (corona virus), वैसे ही ब्लैक फंगस या म्युकोरमाइकोसीस एक फंगस है। फंगस मे भी कई प्रकार पाए जाते है। कुछ इंसानों के हित के है। तो कुछ अहित के है।
इसे black fungus क्यों कहते है?
ब्लैक फंगस का कलर वैसे तो सफेद (व्हाइट) होता है। फिर सवाल यह उठता है कि, इसे ब्लैक क्यों कहा जाता है? जबकी कई प्रकार के कलर है। इसे ही क्यों चुना गया? इसका जवाब है। जब यह होता है, तब यह इंफेक्शन वाली जगह को काला कर देता है। यह काला इसलिए होता है। क्युकी उस जगह मे मौजूद त्वचा, पेशियाँ इस फंगस इंफेक्शन के कारण मर जाती है। जिससे उस भाग को कालापन आ जाता है। इसलिए यह फंगस व्हाइट होकर भी इसे ब्लैक फंगस कहा जाता है।
Black fungus कहा मौजूद होता है?
फंगस अपने अनेक प्रकार मे पूरी दुनिया में कही भी और किसी भी तरह के वातावरण में पाए जाते है। ब्लैक फंगस वैसे ही सब जगह होता है। यह खासकर हवा और मिट्टी में होता है। हो सकता है जब आप यह ब्लॉग पढ़ रहे हो तब यह आपके आसपास के हवा में भी मौजूद हो। पर डरिए मत अगर आपकी रोग प्रतिकारक क्षमता अच्छी है तो वो आपको इंफेक्ट नही कर सकता।
Black fungus किन लोगों को हो सकता है?
जैसा कि, हमने जाना की, ब्लैक फंगस हवा में मौजूद होता है। तो फिर इससे कुछ लोगों को ही खतरा क्यों है? कुछ लोग ही संक्रमित क्यों हो रहे है? इसका जवाब है संक्रमित होनेवाले लोगों की रोग प्रतिकारक क्षमता का कम होना।
इस ब्लैक फंगस का सबसे ज्यादा खतरा है।
1) HIV/AIDS से पीड़ित व्यक्ति।
2) कैंसर से पीड़ित व्यक्ति।
3) किडनी की प्रॉब्लम से पीड़ित व्यक्ति।
4) अंग प्रत्यारोपण हुए लोग।
5) स्टेरॉइड का ज्यादा उपयोग करने वाले लोग।
6) डायबेटिक के मरीज।
उपर बताए गए लोगों को ब्लैक फंगस होने का सबसे ज्यादा खतरा होता है। क्युकी इन लोगों की पहले ही रोग प्रतिकारक क्षमता कम होतीं हैं। अगर इस प्रकार के लोग कोरोना की चपेट आ जाते है, तो इन्हे ब्लैक फंगस होने के ज्यादा चान्स है। मतलब ये लोग हाय रिक्स में आते है। इन सभी को अपना अच्छे से खयाल रखना चाहिए। इस महामारी से संबंधित और एक नोट करने वाली बात यह सामने निकलकर आई है कि, जितने भी अभी तक ब्लैक फंगस के मरीज मिले हैं उनमें से 95% वो लोग हैं। जो या तो डायबेटिक के मरीज है। या फिर वो लोग लंबे समय से स्टेरॉइड का बिना डॉक्टर की सलाह से बेलगाम इस्तेमाल करते आए है।
Black fungus के सबसे ज्यादा मरीज डायबेटिक के क्यों है?
जब मरीज पहले ही डायबेटिक से पीड़ित हो और फिर उसे कोरोना हो जाए। तो उसे कोरोना से ठीक करने के लिए उसे स्टेरॉइड्स दिया जाता है। इस स्टेरॉइड्स के कारण डायबेटिक से पीड़ित मरीज की शुगर काफी अधिक बढ़ जाती है। या फिर वो अनकंट्रोल हो जाती है। शुगर लेवल बढ़ना ब्लैक फंगस के लिए एक पोषक वातावरण निर्माण कर देता है। जिससे ब्लैक फंगस होने का ज्यादा खतरा बढ़ जाता है।यही कारण है कि, black fungus के ज्यादा मरीज डायबेटिक से पीड़ित है।
इसी तरह विशेषज्ञों ने और भी कुछ कारण बताए है। जिससे ब्लैक फंगस हो सकता है। उनमें से एक कारण इंडस्ट्रियल ऑक्सीजन का कोरोना के इलाज मे इस्तेमाल को बताया है। हम सब जानते है कि, जब कोरोना की दूसरी लहर घातक साबित हो रही थी, तब सरकार ने इंडस्ट्रियल ऑक्सीजन को कोरोना के इलाज मे इस्तेमाल करने के लिए इजाजत दी थी।
black fungus के लक्षण
ब्लैक फंगस के कई सारे लक्षण दिखाई देते है जिनसे इसकी पुष्टि की जा सकती है।
- 1) सिर के एक भाग में दर्द होना।
- 2) चेहरे के एक हिस्से (गाल वाला हिस्सा) में दर्द होना। वह हिस्सा सुन्न पड़ जाना। मतलब उसे छूने पर कुछ भी महसूस ना करना। उसपर सुजन आना।
- 3) दातों का दुखना, ढीला हो जाना, या फिर दात गिरना।
- 4) खाना खाने मे परेशानी आना, मुह को खोलने मे परेशानी होना।
- 5) सांस लेने मे तकलीफ होना, मतलब सांस लेते वक्त ऐसा महसूस होना जैसे कि, नाक में कुछ फसा हो।
- 6) नाक से खून का बहना, कुछ काला सा निकलना, नाक में काली पपड़ी जमना।
- 7) आँखों का लाल हो जाना, पलक झपकते वक्त दिक्कत होना, आँखों में दर्द होना, उस पर सूजन आना, या आँख का सुजना, आँखो की रोशनी कम होना।
शुरुआती दौर में ब्लैक फंगस काफी सामान्य नजर आता है। जब यह पहले स्टेज मे होता है, तब यह बिलकुल भी पहचानने में नही आता।
कितना खतरनाक है black fungus?
ब्लैक फंगस भले ही कम संक्रामक हो लेकिन इसका मृत्यु दर काफी ज्यादा होता है। जैसा कि, कोरोना का मृत्यु दर 2-3% है। मतलब अगर कोरोना के 1000 मरीज है तो उनमें से मरने वाले संक्रमितो की संख्या 200 के आस पास होती है। लेकिन वही अगर हम बात ब्लैक फंगस की करे तो, अगर 1000 लोगों को ब्लैक फंगस हो जाए तो उनमें से मरने वाले लोगों की संख्या लगभग आधी होती है। मतलब 50% प्रतिशत होती है। इससे हम अंदाजा लगा सकते है कि, यह कितना खतरनाक है।
Black fungus का इलाज कैसे करे?

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बताए गए लक्षण अगर नजर आते है। तो जल्दी से डॉक्टर के पास जाना चाहिए। जितने जल्दी इसका इलाज करेंगे उतने ज्यादा चांस बचने के बढ़ जाते है। घरेलू नुस्खे ना आजमाएं वरना संक्रमित को अपनी जान भी गवानी पड़ सकती है।
अगर ब्लैक फंगस की पुष्टि हो जाए, तो अच्छे अस्पताल में अपना इलाज करे। क्युकी वहा पर इसके इलाज के लिए डॉक्टरों की एक टीम होतीं हैं। जिनमें
1) Eye doctor
2) ENT doctor
3) Pathologist doctor
4) Micro Biologist doctor
5) Neuro Sergeant doctor
6) Interveshanist doctor
होते है। यह पूरी टीम ब्लैक फंगस के इलाज के लिए होती है। मतलब हम समझ सकते है कि, इसका इलाज हम शायद छोटे क्लिनिक में नही कर सकते।
इसलिए जितने जल्दी हो सके, उतने जल्दी डॉक्टर को बताए। इससे हमारे वक्त के साथ साथ जान और पैसे भी बच जाएंगे।
इलाज मे क्या किया जाता है?

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ब्लैक फंगस मे जो अहम टेस्ट की जाती है, वो है Nasal Endoscopy with Biopsy। जैसा की हमने जाना कि, इसका डेथ रेट 50% होता है। इसलिए इसके इलाज मे क्या किया जाता है? आइए जानते है।
1) शुगर को कंट्रोल किया जाता है।
2) स्टेरॉइड को बंद किया जाता है।
3) एंटी फंगल दवाइयों का इस्तेमाल किया जाता है।
4) बॉडी का जो पार्ट फंगस इंफेक्शन के कारण खराब हुआ हैहै, या तो मर गया है। उसको सर्जरी के जरिए हटाया जाता है।
क्या black fungus संक्रामक है?
सवाल ये भी खड़े होते है कि, क्या ब्लैक फंगस संक्रामक है? मतलब किसी व्यक्ती को अगर ब्लैक फंगस है, तो क्या उसके संपर्क में आने से ब्लैक फंगस हो सकता है? इसका जवाब है नही। यह एक असंक्रामक बीमारी है। यह कोरोना की तरह संक्रामक नही है।
किस उम्र के लोगों को black fungus हो सकता है?
यह किसी को भी हो सकता है। जवान, बूढ़े, बच्चे किसी को भी हो सकता है। पर खासकर यह उन लोगों को अपना निशाना बनाता है। जो डायबेटिक से पीड़ित है और बिना डॉक्टर की सलाह से काफी समय से स्टेरॉइड ले रहे है। ये उन लोगों को अपना निशाना बनाता है। जिनका इम्युनिटि सिस्टम कमजोर है। जरूरी नही कि, कोरोना हुए लोगों को ही ब्लैक फंगस हो। यह किसी को भी हो सकता है। कोरोना से रिकवर हुए व्यक्ति को लगभग 6 सप्ताह तक ब्लैक फंगस होने का खतरा अधिक होता है।
> मच्छरों से कई बीमारीयां फैलती है फिर हम क्यों नही धरती से मच्छरों का खात्मा कर देते है?
क्या black fungus के कारण स्टेरॉइड लेना बंद कर दे?
इसका जवाब है, स्टेरॉइड डॉक्टर की सलाह से ही ले।
Note:- ये जो जानकारी हमने आपसे शेयर की है। ये सारी जानकारी जिन जिन डॉक्टरों ने इस बीमारी के बारे में अलग अलग न्यूज़ चैनल को बताया है। उन सारी जानकारीयो को सरल और क्रमबद्ध करके हमने आपके सामने प्रस्तुत किया है। जैसा कि, ना हम डॉक्टर है और नाही आप डॉक्टर है। अगर आपको ऐसे कोई भी लक्षण नजर आते है। तो आप डॉक्टर के पास जाए।