Last Updated on 11 months by Sandip wankhade
fat kaha jama hota hai| where fat goes when you lose weight in hindi| फैट कैसे कम होता है| what happens to fat cells when you lose weight in hindi| weight loss me fat ka kya hota hai|motapa kam hone par fat kaha jata hai|
मोटापा एक बड़ी समस्या बनकर दुनिया भर के लोगों के सामने खड़ी हुई है। मोटापा कम करने के लिए लोग आजकल कई सारे नए नए तरीके आजमाते हुए हमने अक्सर देखे हैं। आजकल मार्केट में भी मोटापा कम करने की कई सारी दवाइया और उपकरण उपलब्ध है। वर्तमान समय में मोटापा कम करने वाले उपकरण और दवाइयों का मार्केट तेजी से फल फूल रहा है।
लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि, जब हम अपना वजन कम करते है, तब वह असल में जाता कहा है? जब हम अपना फैट कम करते हैं तब वह असल में कहा गायब हो जाता है? क्या आप जानते है, नही ना, तो चलिए जानते है इस सवाल का सटीक जवाब इस लेख में।
universal-sci.com वेबसाइट पर दिए जानकारी के मुताबिक बताया गया है कि, इस सवाल का सटीक जवाब जानने के लिए एक 150 डॉक्टर्स, आहार विशेषज्ञ और निजी प्रशिक्षको का सर्वे किया गया तो यह पता चल पाया कि,
हमारे शरीर में जमा हुआ फैट हमारे शरीर से कार्बन डाइऑक्साइड, पानी और पसीने के माध्यम से शरीर के बाहर निकल जाता है और हम पाते है कि, हमारा मोटापा कम हुआ है, हमारा वजन घट चुका है।
लेकिन हम स्कूल में पढ़े हैं कि, जो ऑक्सीजन हम अंदर लेते हैं, वही ऑक्सीजन कार्बन डाइऑक्साइड में परिवर्तित होकर हमारे शरीर से बाहर निकल जाता है। फिर मोटापे का इसमें कोई लेना देना ही नही है। लेकिन आपको बता दें कि, हम सांस के माध्यम से केवल ऑक्सीजन को ही कार्बन डाइऑक्साइड मे परिवर्तित करके उसे शरीर के बाहर नहीं निकालते हैं बल्कि शरीर के अन्य घटकों को भी कार्बन डाइऑक्साइड मे परिवर्तित करके उसे भी हम शरीर से बाहर छोड़ते हैं।
इसी प्रकार से हम मूत्र और पसीने के माध्यम से न केवल पानी बल्की अन्य घटक भी शरीर के बाहर छोड़ते हैं।
इन अन्य घटकों में से एक है हमारी चर्बी या फैट जिसे हम कार्बन डाइऑक्साइड, मूत्र और पसीने के मध्यम से बाहर छोड़ते हैं।
अब आपके दिमाग में यह भी सवाल जरूर आ रहा होगा कि, यदि हम हमारे फैट को सांस और मूत्र, पसीने के मध्यम से बाहर छोड़ते हैं, तो फिर हम कितना किस मध्यम से बाहर छोड़ते हैं या निकालते हैं। इस सवाल का जवाब भी साइंस हमे जरूर देता है।
इस सवाल को हम एक उदाहरण के जरिए समझते है। हम ऐसा मान लेते है कि, यदि कोई व्यक्ति अपना 10 kg फैट को खो देता है, तो वह व्यक्ती अपने 10 kg फैट मे से ठीक 8.4 kg फैट अपने फेफड़ों के माध्यम से शारीर के बाहर निकाल देता है। तो वही बचा हुआ 1.6 kg फैट को वह पानी में परिवर्तित करके उसे मूत्र और पसीने के माध्यम से बाहर निकाल देता है।
आसान भाषा में देखें तो, हम जो भी वजन कम करते हैं, जितना वजन हम कम करते हैं। वह लगभग हमारे शरीर से बाहर निकल जाता है।
ऊपर बताए गए जानकारी से आप जरूर चौंक गए होंगे। लेकिन यह साइनटफिकली बिलकुल सही है। हम जो कुछ भी खाते और पीते है वह सब फेफड़ों और मूत्र और पसीने के जरिए वापस बाहर आ जाता है। प्रत्येक कार्बोहाइड्रेड जिसे हम पचाते है और लगभग सभी फैट कार्बन डाइऑक्साइड और मूत्र में परिवर्तित हो कर बाहर आ जाता है।
हमारे सेवन का ठोस हिस्सा मतलब यूरिया और अन्य ठोस पदार्थों में बदल जाने वाले छोटे हिस्से को छोड़कर, प्रोटीन एक ही भाग साझा करता है। जिसे हम कार्बन डाइऑक्साइड और मूत्र के रूप उत्सर्जित करते है।
हम जो कुछ भी खाते हैं वह हमारे रक्त प्रवाह और बाकी अंगो में अवशोषित होता है। जिसके बाद यह हमारे शारीर से तब तक कही नही जाता है, जब तक हमारा शारीर कुछ काम नहीं करेगा। जब हम कुछ काम करते है, जैसे की चलना आदि, तब यह बाष्पीकृत होता है और शरीर के बाहर निकल जाता है।
किलो ग्राम बनाम किलो ग्राम:-
स्कूल में सभी ने पढ़ा होगा कि, “अंदर आनेवाली ऊर्जा बराबर बाहर जाने वाली उर्जा” (energy in equal energy out) होती है। लेकिन ऊर्जा का यह नियम मोटापे का अध्ययन करने वाले स्वास्थ पेशेवरों और वैज्ञानिकों के बीच एक भ्रमित धारणा बनाता है।
आपको बता दें कि, आस्ट्रेलियाई लोग प्रतिदिन 3.5 kg भोजन और पेय पदार्थों का सेवन करते हैं। इस 3.5 kg मे 415 ग्राम ठोस मैक्रोन्यूट्रियस है। 23 ग्राम फाइबर और बाकी का शेष 3 kg पाणी होता है। यह सारी आंकड़ेवारी सरकारी रिपोर्ट के मुताबिक है।
पर रिपोर्ट में जिस चीज का जिक्र नहीं किया गया है, वह है 600 ग्राम से अधिक का ऑक्सीजन। क्युकी हम 3.5 kg भोजन और पेय पदार्थों के अलावा ऑक्सीजन भी तो ग्रहण करते है। जो बाकी चीजों के उतना ही जरूरी है।
यदि हम इन सभी को मिलाए तो यह 3.5 kg + 600 g = 4.1 kg होता है। मतलब हम 4.1 kg सामान अंदर ले रहे हैं। तो वही हमे यह 4.1 kg सामान ही शारीर से बाहर निकालना पड़ेगा। नही तो हमारा वजन कभी कम नहीं होगा। इसलिए यहां अंदर ली जाने वाली उर्जा बराबर बाहर निकलने वाली उर्जा के नियम को मोटापा लगभग चुनौती देता है। लेकिन यह भी एक सच है कि, जो ऑक्सीजन हम लेते हैं, वह भी तो एक उर्जा का ही भाग है।
यदि सांस के मध्यम से ही हमारा फैट शरीर से बाहर निकल जाता हैै, तो क्या ज्यादा सांस लेने से और कम खाने से हम अपना वजन कम कर सकते है?
औसतन एक 75 kg वजन वाले व्यक्ती की पाचन दर (जिस दर पर शरीर उर्जा का उपयोग करता है, जब व्यक्ती हिलता नही है) प्रति दिन सामान्यत: 590 ग्राम कार्बन डाइऑक्साइड निर्माण करने की और उसे शरीर से बाहर छोड़ने की होती है। मतलब हम हर रात सोते समय 200 ग्राम कार्बन डाइऑक्साइड बाहर छोड़ते हैं। इसका मतलब यह हुआ कि, हम सोकर जब नींद से जागते हैं, तब हम बिस्तर से बाहर निकालने से पहले ही अपने दैनिक हिस्से का एक चौथाई हिस्सा बाहर निकाल चुके होते है।
तो फिर सवाल यह उठता है कि, तो क्या हम कम खा कर और ज्यादा सांस छोड़कर अपना वजन कम कर सकते है?
दुर्भाग्य से हम ऐसा नही कर सकते है। आपको बता दें कि, जरूरत से अधिक सांस को अंदर बाहर करने से हमे हाइपरवेंटिलेशन होता है। जिससे हमें चक्कर आना और बेहोश होना जैसी समस्या पैदा हो सकती है।
शरीर से उत्पन कार्बन डाइऑक्साइड की मात्रा को सचेत रुप से बढ़ाने का एकमात्र सही विकल्प है अपनी मासपेशियों को हिलाना।
आपको बता दें कि, केवल खड़े होकर कपड़े बदलने से भी हमारी चयापचय दर दुगनी हो जाती है। आसान भाषा में, यदि हम अपना डेली रूटीन 24 घंटों के भीतर पूरा कर लेते है। तब भी हम 1200g से अधिक का कार्बन डाइऑक्साइड शरीर से बाहर निकाल सकते है। केवल टहलने से ही हमारी चयापचय दर तिन गुनी हो जाती है। मतलब हमारे फैट का कार्बन डाइऑक्साइड मे रूपांतर होने का दर तिन गुना हो जाता है।
आपको बता दें कि, 100g फैट के चयापचाय के लिए हमें 290g ऑक्सीजन की जरूरत होती है। जिसके बाद ही 280g कार्बन डाइऑक्साइड का और 110g पाणी का उत्पादन होता है। इसलिए 100g फैट को घटाने के लिए हमें अपने सभी भोजन को बाष्पिकृत करके 280g कार्बन डाइऑक्साइड बाहर निकालना होगा।
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दोस्तों यह थी सारी जानकारी फैट के गायब होने के पीछे की। यह जानकारी आपको कैसी लगी हमे कमेंट करके जरूर बताए।