भारतीय जीवन बीमा निगम| एलआईसी कंपनी क्या बंद हो रही है | एलआईसी कंपनी| एलआईसी कंपनी का मालिक कौन है| एलआईसी कंपनी सरकारी है या प्राइवेट| Is LIC is a government company| Who is the owner of LIC| History of LIC| History of Life insurance in India| एलआईसी कंपनी की जानकारी| LIC net worth| LIC IPO|
वर्तमान में सरकार रेलवे से लेकर बैंको तक, सभी सरकारी संपत्ति को बेच रही है। इन सरकारी संपत्तियो में से एक LIC भी है।
दैनिक भास्कर न्यूज रिपोर्ट केे मुताबिक़, LIC को सरकार द्वारा 5 करोड़ में बनाया गया था। जो अपने स्थापना से लेकर आज तक सरकार को 23 लाख करोड़ की सहायता कर चुकी है। लेकीन जिस कंपनी ने सरकार को 23 लाख करोड़ रुपए की सहायता की है। उसी को आज सरकार बेचना चाहती है।
तो चलिए जानते हैं देश की सबसे बड़ी बीमा कंपनी के सफ़लता की कहानी और जानेंगे कैसे LIC सरकार के लिए एक पैसों का पेड़ रहा है।
LIC को उसके स्थापना से लेकर आज तक इन 70 सालों में सभी सरकारों ने काफ़ी निचोड़ा है। मतलब इन 70 सालों में भारत में बने सभी सरकारों ने जैसे कांग्रेस से लेकर बीजेपी तक सभीं ने अपनी लाज बचाने के लिए LIC के खजाने का इस्तेमाल खुद की तिज़ोरी की तरह ही किया है।
आजतक न्यूज के रिपोर्ट के मुताबिक, हाल ही मे वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने रियल एस्टेट क्षेत्र को कोरोना इंपैक्ट से बाहर निकालने के लिए 25 हजार करोड़ रुपए का पैकेज ऑफर किया है। इस 25 हजार करोड़ रुपए में से 15 हजार करोड़ रुपए LIC से लिए जाने वाले है। तो वही बाकी के 10 हजार करोड़ रुपए एसबीआई से लिए जाने वाले है।
सरकार द्वारा LIC के तिजोरी से 15 हजार करोड़ रुपए लेने पर विपक्ष ने BJP की काफ़ी आलोचना की। प्रियंका गांधी ने भी सरकार पर निशाना साधा।
लेकिन आपको बता दे कि, LIC से पैसे लेने वाली BJP सरकार अकेली सरकार नहीं है। इसके पहले कांग्रेस से लेकर सभी सरकारों ने भी अपनी लाज बचाने के लिए LIC से हजारों करोड़ों रुपए लिए है।
आजतक के रिपोर्ट के मुताबिक, कांग्रेस सरकार के समय में जब IDBI Bank बंद होने की कगार पर खड़ी थी, तब उस समय की कांग्रेस सरकार ने IDBI Bank को बचाने के लिए LIC को IDBI की 51 फीसदी हिस्सेदारी खरीदने को कहा था। सरकार के आदेश पर ही LIC ने बैंकिंग प्रणाली का अनुभव ना होने पर भी एक डूबते हुए बैंक में 20 हजार करोड़ रुपए डाले थे और IDBI Bank को बचाया था।
आपको बता दें कि, आजतक और दैनिक भास्कर के रिपोर्ट के मुताबिक ही इन 70 सालों में LIC ने सभी सरकारी बैंको में लगभग 1.87 लाख करोड़ रुपए निवेश कर रखें है।
LIC ने ना केवल सरकारी बैंकों को बल्की सरकार के अन्य कम्पनियों को भी डूबने से बचाया है। प्राप्त जानकारी के अनुसार कांग्रेस सरकार के समय में 2010 में तब LIC ने REC, NMDC और NTPC में 11500 करोड़ रुपए इंवेस्ट करके इन्हें बंद होने से बचाया था और सरकार की लाज बरकरार रखी थी।
ठीक इसी तरह जब 2012 में देश की जानीमानी तेल कंपनी ONGC पर जब संकट के बादल मंडराने लगे थे और कोई भी ONGC में पैसे इंवेस्ट नही करना चाह रहा था, तब ONGC के लिए LIC अंतिम समय पर एक संकट मोचक बनकर आगे आई और ONGC की सबसे बड़ी हिस्सेदारी खरीदी। आंकड़े बताते हैं कि, उस समय पर LIC ने ONGC में 12749 करोड़ रुपए लगाकर ONGC की 84 फीसदी हिस्सेदारी खरीदी थी।
ONGC में LIC द्वारा इतनी बड़ी रक्कम इंवेस्ट करने पर उस वक्त के BJP के नेता यशवंत सिन्हा ने हैरानी जताते हुए कांग्रेस सरकार की काफ़ी आलोचना की थी।
कांग्रेस सरकार के समय में शुरु हुई LIC के लूट की परंपरा BJP सरकार के समय में भी जारी रहते हुए हमें दिखाई देती है।
आपको बता दें कि, 2014 में BHEL की एक बड़ी हिस्सेदारी LIC ने खरीदकर केंद्र के BJP सरकार को राहत दिलाई थी और 2015 में भी coal India मे LIC ने 7000 हजार करोड़ रुपए लगाकर सरकार की इज्जत बचाई थी।
केंद्र में BJP सरकार के समय पर जब साल 2016 में Indian Oil का निवेश फ्लॉप होने लगा था, तब LIC ने Indian Oil मे करीब 8000 हजार करोड़ रुपए लगाकर केंद्र के मोदी सरकार की सहायता की थी। इसी प्रकार से 2017 में भी न्यू इंडिया एश्योरेंस कंपनी और जनरल एश्योरेंस कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया मे भी BJP सरकार के समय में LIC ने करीब 13000 करोड़ रुपए निवेश किए थे।
2018 में भी LIC ने हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स में 2900 करोड़ रुपए इंवेस्ट करके ऑफर किए हुए शेयर का 70 फीसदी हिस्सा अकेले LIC ने खरीद लिया था।
आपको जानकर हैरानी होगी कि, देश में सड़को का निर्माण और उनका विकास करने के लिए 2024 तक LIC सरकार को 1.25 लाख करोड़ रुपए का कर्ज देने वाली है। इसकी जानकारी खुद मंत्री नितिन गडकरी जी ने अपने एक इंटरव्यूव में दी है। नितिन गडकरी जी ने बताया है कि, पांच सालों तक पूरे देश में राजमार्गो का निर्माण और उनका विकास करने के लिए LIC सरकार को हर साल 25000 हजार करोड़ रुपए देने वाली है।
ऐसी भी जानकारी मिलती है कि, अगर एयर इंडिया को कोई खरीददार नहीं मिलता, तो उसको भी बचाने का जिम्मा LIC पर ही सरकार थोप देती थी। मगर एयर इंडिया को टाटा ने खरीद लिया।
कांग्रेस नेता अजय माकन ने RBI की एक रिपोर्ट का हवाला देते हुए ऐसा कहा था कि, LIC ने सरकार के जोखिम भरे सभी सरकारी कंपनियों में अपना लगभग 22.64 लाख करोड़ रुपए पैसा लगा कर रखा हुआ है।
अब सबके दिमाग में यह भी सवाल आ रहा होगा कि, पूरे देश में 23 लाख करोड़ रुपए इन्वेस्ट करने वाली LIC असल में कितनी बडी होगी? आइए जानते है इस सवाल का भी जवाब।
कितनी बडी है LIC (LIC net worth) :-
वित्त वर्ष 2018 – 19 में LIC का एसेट अंडर मैनेजमेंट 31.11 लाख करोड़ रुपए बताया गया है। कुछ विशेषज्ञ LIC के बारे में मानते है कि, LIC का मौजूदा समय में बाजार मूल्य 28 लाख करोड़ रुपए के आसपास है। आपको बता दूं कि, LIC अभी तक शेयर बाजार में लिस्टेट नही है। इसलिए LIC के मूल्य का सही से आकलन करना मुश्किल है।
LIC कंपनी कितनी बडी है, इसका अंदाजा हम इस बात से लगा सकते हैं कि, 2018 – 19 में LIC ने अपने पॉलिसी धारको को 50 हजार करोड़ रुपए का केवल बोनस दिया था।
प्राप्त जानकारी LIC के बारे में ऐसा बताती है कि, LIC हर साल करीब 20 लाख पॉलिसीज जारी करती है। इतना ही नहीं LIC के पास हर साल करीब 3 लाख करोड़ रुपए का केवल प्रीमियम जमा होता है। अब हम इन सभी आंकड़ों से यह अंदाजा लगा सकते हैं कि, LIC वास्तव में कितनी बडी है।
LIC असल में कितनी बडी होगी इसका आकलन करने के बाद हम सबके दिमाग में यह भी सवाल उठ रहा होगा कि, बीमा पॉलिसी की शुरुआत भारत में पहली बार कब हुई थी। तो चलिए जानते हैं इस से जुड़ी कुछ रोचक जानकारी।
शुरुआत में भारतीयों का बीमा नही किया जाता था :-
ओरिएंटल लाइफ इंश्योरेंस कंपनी ने भारत में पहली बार 1818 में बीमा पॉलिसी की नीव रखी थी। लेकिन तब भारत में अंग्रेजों का शासन हुआ करता था और यह कंपनी तब केवल अंग्रेजो का ही बीमा निकाला करती थी। अंग्रेज शासन मे भारतीयों को बीमा निकालने की अनुमती नही हुआ करती थी।
दैनिक भास्कर न्यूज से मिली जानकारी के मुताबिक, यह अनुमती बाबू मुत्तिलाल सील जैसे कुछ लोगों के प्रयासों के बाद भारतीयों को मिली। लेकिन बाबू मुत्तिलाल सील जैसे कुछ लोगों के प्रयासों के बाद तो भारतीयों को बीमा निकालने की सुविधा तो मिली, लेकिन बराबरी का हक तब भी हम भारतियो को नही मिला था। बीमा पॉलिसी का रेट भारतीयों के लिए और अंग्रेजो के लिए अलग अलग हुआ करता था। मतलब अंग्रेज बीमा पॉलिसी धारक को बीमा पॉलिसी की ज्यादा रक्कम मिला करती थी। तो वही भारतीयों को बीमा पॉलिसी की रक्कम उनके मुकाबले में बहुत कम मिला करती थी।
आपको बता दें कि, भारतीयों को पहली बार 1870 में बीमा पॉलिसी को लेकर बराबरी का हक मिला और यह हक भी भारतीयों को लाइफ इंश्योरेंस कंपनी ने दिया था।
245 कंपनियों के विलय से बनी LIC :-
1870 में शुरु हुई लाइफ इंश्योरेंस कंपनी के भारतीय बाजार में उतरने के बाद धीरे धीरे भारत में बीमा कंपनियों की जैसी बाढ़ सी ही आ गई थी। एक रिपोर्ट के मुताबिक 1956 तक पूरे भारत में 245 बीमा कंपनियां मौजूद थीं। इनमें 154 भारतीय बीमा कंपनियां थी। तो वही 16 विदेशी कंपनीया थी। इसके अलावा भारतीय बाजार में 75 प्रोविडेंट कंपनीया भी मौजुद थी।
तभी देश की जनता को मद्देनजर रखते हुए उस समय के कांग्रेस सरकार ने 1 सितंबर 1956 को इन सभी 245 कंपनियों को मिलाकर एक ही बीमा कंपनी का निर्माण किया। जीसका नाम है “भारतीय बीमा निगम” जिसे हम LIC भी कहते हैं। यह भारत सरकार के अधीन सबसे बड़ी बीमा कंपनी थी। जिसपर पूरा नियंत्रण सरकार का आज भी है।
5 करोड़ में शुरु हुआ LIC का सफर :-
1 सितंबर 1956 को जब सरकार द्वारा LIC बीमा कंपनी का निर्माण किया गया था, तब सरकार ने LIC के लिए 5 करोड़ रुपए की रक्कम जारी की थी। ताकि कंपनी अपना कामकाज कर सके। दैनिक भास्कर न्यूज के अनुसार बताया जाता है कि, सरकार द्वारा 5 करोड़ जारी करने के एक साल बाद ही कंपनी ने भारत सरकार को 200 करोड़ रुपए का बिजनेस करके दिखाया था। जो अपने आप में बहुत बड़ा था।
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1990 के उदारीकरण मे भी कंपनी का दबदबा कायम रहा :-
1990 के दशक के पहले भारत में कई सारी जो बड़ी कंपनिया थी वो केवल सरकार के अधीन की थी। लेकिन जब भारत की आर्थिक स्थिती 1990 के आसपास मे बहुत ज्यादा खराब हुई। तो भारत ने अपने यहां उदारीकरण का स्विकार किया। जिसके चलते भारत में निजी कंपनियों की बाढ़ आनी शुरू हुई और तो और सरकार ने भी अपनी सारी कंपनियों को धीरे धीरे बेचना शुरु किया। मतलब सरकार के अधीन वाली कंपनियों का निजीकरण करना शुरु किया। इस उदारीकरण के धोरन के चलते भारत की कई सरकारी कंपनियों को निजी हाथों में सौपा जाने लगा था। इस दौर में जहां सरकार सरकारी कंपनियों को बेच रही थी। उस वक्त में भी सरकार ने LIC को हाथ तक नहीं लगाया। क्युकी LIC सरकार के लिए हमेशा एक बारही महीने दुध देने वाली कंपनी थी। जो हमेशा सरकार को मुसीबत के समय में बचाने का कार्य करती थी।
इस 1990 के दशक में भारत में कई सारी इंटरनेशनल बीमा कंपनीया आई लेकिन कोई भी कंपनी भारत के LIC को टक्कर नही दे सकी। LIC की जड़े भारत में इतनी मजबूत थी और है कि, कोई भी निजी कंपनी उन जड़ों को उखाड़ नही सकी। दैनिक भास्कर न्यूज रिपोर्ट के मुताबिक इस 1990 के दशक में जहा बाकी भारतीय कंपनियां विदेशी कंपनियों के सामने हार रही थी। तो वही दूसरी ओर LIC ने इस दौर में भी भारत के बीमा बाजार के दो तिहाई हिस्से पर अपना कब्जा जमा लिया था। कहा जाता है कि, इस दौर में भी भारत के बीमा बाजार के 66 प्रतिशत हिस्से पर अकेले LIC कब्जा था जो आज भी बरकरार है।
जानकार बताते हैं कि, LIC के इस सफ़लता के पीछे की वजह LIC द्वारा लोगों में अपने प्रति भरोसा निर्माण करने की है। तो वही कुछ जानकर ऐसा भी मानते है कि, LIC एक सरकारी कंपनी होने के कारण भी लोग बाकी बीमा कंपनियों से ज्यादा LIC पर भरोसा करते हैं। क्युकी LIC कंपनी के पीछे सरकार खड़ी है। जो कुछ भी हो जाए लेकिन लोगों के पैसे को नही डूबने देगी।
कुछ भी हो लेकिन घूम फिर कर हमे इन कयासो से तो यहीं पता चलता है कि, LIC पर लोगो का भरोसा है। जो बाकी कंपनियों पर शायद नहीं है।
LIC के सफ़लता में ऐड्स का अहम योगदान :-
LIC के सफल बनने में एक और अहम रोल LIC द्वारा चलाई जाने वाली ऐड्स का भी है। LIC ने अपने बीमा पॉलिसीयो की ऐड्स को लोगों को सामने इस कदर फैलाया की लोगो के जेहन में बीमा मतलब LIC और LIC का मतलब बीमा बन गया।
1970 के दशक में LIC द्वारा चलाया गया दो हाथो के बीच में लड़के की तस्वीर वाला ऐड्स काफी लोकप्रिय रहा था।

1980 के दशक में भी LIC ने एक नया ऐड्स चलाया जो दूरदर्शन पर चलने वाला वीडियो ऐड्स था। यह 1980 के दशक का सबसे प्रभावी ऐड्स था। कहा जाता है कि, इस ऐड्स ने लोगों के दिमाग में यह बात बिठा दी थी कि, लाइफ इंश्योरेंस मतलब LIC है। दूरदर्शन पर चलने वाले इस ऐड्स की टैग लाइन थी “कपड़ा, मकान और जीवन बीमा“।
1990 के दशक में भी LIC द्वारा एक प्रभावी ऐड्स चलाया गया था। इस ऐड्स की टैग लाइन तो शायद सबके जेहन में आज भी होगी। “जिंदगी के साथ भी, जिंदगी के बाद भी”
दोस्तों यह था LIC का 5 करोड़ रूपए से शुरु हुआ सफर 30 लाख करोड़ रुपए तक पहुंचने का। यह जानकारी आपको कैसी लगी हमे कमेंट बॉक्स में जरूर बताए और सरकार को LIC बेचनी चाहिए या नहीं। इस बारे में आपकी क्या राय है इसे भी कमेंट में जरूर लिखे।
स्त्रोत :-
LIC के ब्रांड बनने की कहानी (दैनिक भास्कर, 2021)
संकटमोचक बनने का LIC का इतिहास है पुराना, BJP हो या कांग्रेस सरकार- काम है बचाना (आज तक, 07 नवंबर 2019)
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