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सब कहते हैं कि, महाभारत वेदव्यास ने लिखी, लेकिन यह सत्य नही है जाने महाभारत किसने लिखी (mahabharat kisne likhi thi)

महाभारत किसने लिखी (mahabharat kisne likhi thi)
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Last Updated on 2 months by Sandip wankhade

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जैसा कि आपने टाइटल में पढ़ा है कि, सब कहते हैं महाभारत वेदव्यास ने लिखी, लेकिन यह सत्य नही है जाने महाभारत किसने लिखी (mahabharat kisne likhi thi) हमारा ऐसा कहने का अर्थ इसके पीछे की एक कहानी है। जो हमे बताती है कि, महाभारत सिर्फ और सिर्फ वेदव्यास ने नही लिखी। बल्की इसे लिखने में एक प्रमुख देवता की भी भूमिका रही है। जिनकी मदद से महाभारत वेदव्यास ने लिखी। आइए जानते हैं वह कहानी जिसके कारण हम कह रहे हैं कि, महाभारत सिर्फ और सिर्फ वेदव्यास ने नही लिखी।

यह कहानी तब की है जब महाभारत का युद्ध पूर्ण हुआ था और इसे लोग युगों युगों तक ना भूले और हमेशा याद रखें इसलिए इसे लिख कर रखना बहुत जरूरी था।

आप तो जानते ही हैं कि, महाभारत एक विशाल और जटिल महाकाव्य है, महाभारत से हर कोई वाकिफ है। परंतु महाभारत का लेखकत्व कुछ बहस का विषय रहा है। ज्यादातर लोगों का कहना है कि, महाभारत महर्षि वेदव्यास द्वारा लिखा गया है। हालाकि यह पूर्ण रूप से सत्य नही है। बहुत कम लोगों को इसकी जानकारी है कि, महाभारत की कथा को महर्षि वेदव्यास ने सिर्फ बोला था, जबकि महाभारत का लिखान हमारे प्रिय भगवान महादेव और पार्वती पुत्र गणपति ने किया था।

कथा के अनुसार, व्यास को देवताओं के दर्शन के बाद महाभारत की रचना करने की प्रेरणा मिली। हालाँकि, उन्हें जल्द ही एहसास हुआ कि महाभारत एक विशाल और जटिल महाकाव्य है, इसलिए उन्हें एक ऐसे लेखक की आवश्यकता होगी जो उनकी बातों को बिना किसी रुकावट के लिख सके।

इस काम को करने के लिए महर्षि वेदव्यास ने कई देवताओं से मदद मांगी लेकिन वे सभी अपने काम में व्यस्त होने के कारण उन्होंने मदद करने से मना किया। इसी क्रम में महर्षि वेदव्यास जी को गणपती की याद आई और उन्होंने महाभारत लिखने के लिए भगवान गणेश जी को चुना। क्युकी भगवान गणेश ज्ञान और लेखन के देवता थे। शास्त्रों में भी विघ्नहर्ता गणपति की लेखन शक्ति को अद्वितीय माना गया है। इसके बाद महाभारत लिखने के लिए महर्षि वेदव्यास शीघ्रता से भगवान गणेश जी के पास पहुंचे और उन्हें आग्रह किया कि वे उनके महाकाव्य के लेखक बनें. महर्षि वेदव्यास की बात सुनने के बाद गणेश जी तैयार तो हो गए परन्तु उन्होंने महर्षि वेदव्यास जी के सामने एक शर्त रखी।

शर्त यह थी कि, वे उनके महाभारत के लेखक बनेंगे, यदी महर्षि वेदव्यास बिना रुके कथावाचन करेंगे तो, यदी महर्षि वेदव्यास बीच में रुक जाते हैं तो, वे महाभारत लिखना छोड़ देंगे। साथ ही गणेश जी ने महर्षि वेदव्यास जी को कहा कि वह हर पंक्ति लिखवाने से पहले उन्हे उसका अर्थ समझाना होगा।

महर्षि वेदव्यास सहमत हो गए और उन्होंने महाभारत को बोलना शुरू कर दिया. उन्होंने एक पल के लिए भी विश्राम नहीं लिया और उन्होंने हर पंक्ति का अर्थ गणेश जी को समझाया।

गणेश जी ने भी बिना रुके महाभारत को बहुत तेज गति से लिखने लगे। महर्षि वेदव्यास ने बिना रुके गणेश जी को लगातार तीन साल तक महाभारत की कथा सुनाई और भगवान गणेश जी ने भी बिना रुके इसे एक ही गति से लगातार तीन साल लिखा और अंत में महाभारत गणेश जी ने और वेदव्यास ने तीन वर्षों में पूरा कर दिया।

अर्थात इस कहानी से आप समझ सकते हैं कि, महाभारत सिर्फ और सिर्फ महर्षि वेदव्यास ने नही लिखा बल्की इसे लिखने में गणेश जी की भूमिका भी काफी महत्त्वपूर्ण है।

यह कथा इस बात की याद दिलाती है कि महाभारत केवल एक साहित्यिक कृति नहीं है, बल्कि एक पवित्र ग्रंथ भी है। यह एक ऐसी कहानी है जो पीढ़ियों से चली आ रही है, और यह आज भी लोगों को प्रेरित करती है और बहुत कुछ सिखाती है।

महाभारत किसने लिखी इससे जुड़ी कुछ और जरूरी जानकारी:

  • अंग्रेजी में महाभारत मोहन गांगुली ने लिखी।
  • हिन्दी में महाभारत गीता प्रेस लिखी।
  • तमिल में महाभारत रामानुजाचार्य ने लिखा (இராமானுஜச்சாரியார்)
  • बंगाली में महाभारत कालीप्रसन्न सिंह ने लिखी। (কালীপ্রসন্ন সিংহ)
  • चीनी भाषा में महाभारत हुआन पाओ शेन और मो ह पो लूओ दूओ ने लिखा।
  • जापानी भाषा में महाभारत यामागीवा मोतो ने लिखा।
  • बादशाह अकबर के कहने पर महाभारत फारसी में लिखा गया है।

Note: ऊपर जो अलग अलग भाषाओं में महाभारत का हमने जिक्र किया है वह अनुवाद किसने किया यह दर्शाता हैं।

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