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नॉर्मल डिलीवरी में बच्चा कहां से निकलता है तथा नॉर्मल डिलीवरी कैसे होती है? जाने पूरी प्रोसेस

नॉर्मल डिलीवरी में बच्चा कहां से निकलता है तथा नॉर्मल डिलीवरी कैसे होती है?
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Last Updated on 10 months by Sandip wankhade

नॉर्मल डिलीवरी में बच्चा कहां से निकलता है? नॉर्मल डिलीवरी कैसे होती है? बच्चे कैसे पैदा होते हैं नॉर्मल डिलीवरी? normal delivery kaise hoti hai? normal delivery in hindi|normal delivery kaise hota hai?


जीवन के पहले नॉर्मल डिलीवरी को लेकर हर महिला के मन में तरह तरह के सवाल आते है। जैसे नॉर्मल डिलीवरी में बच्चा कहां से निकलता है? नॉर्मल डिलीवरी कैसे होती है? आदी तरह तरह के सवाल खासकर पहली बार मां बनने वाली महिला के दिमाग में आते है।

नॉर्मल डिलीवरी में बच्चा कहां से निकलता है? नॉर्मल डिलीवरी कैसे होती है? इन सवालों को ध्यान में रखकर ही हमने इस लेख को तयार किया है। जिसमें हमने नॉर्मल डिलीवरी से जुड़ी सभी बाते कवर की है। आशा करता हूं आपको यह जानकारी पढ़कर अच्छी लगेगी। तो चलिए जानते हैं नॉर्मल डिलीवरी में बच्चा कहां से निकलता है तथा नॉर्मल डिलीवरी कैसे होती है? (Normal delivery me bachha kahan se nikalta hai tatha normal delivery kaise hoti hai?)

आपको बता दें कि, नॉर्मल डिलीवरी में बच्चा प्राकृतिक तरीके से योनिमार्ग से बाहर निकलता है। अब नॉर्मल डिलीवरी में बच्चा प्राकृतिक तरीके से योनिमार्ग से बाहर कैसे निकलता है? या फिर नॉर्मल डिलीवरी कैसे होती हैं? यह जानने से पहले हमे यह जानना बहुत जरुरी है कि, नॉर्मल डिलीवरी असल में होती क्या है? नॉर्मल डिलीवरी कितने प्रकार की होती हैं और इस डिलिवरी के लक्षण क्या हैं? आईए पहले यह जान लेते हैं।

नॉर्मल डिलीवरी असल में होती क्या है? (Normal delivery hoti kya hai)

डिलीवरी के कई प्रकार हमें देखने को मिलते हैं। जैसे सिजेरियन डिलीवरी, आईवीएफ डिलीवरी, आईयूआई डिलीवरी और नॉर्मल डिलीवरी। नॉर्मल डिलीवरी उसे कहते हैं, जिसके तहत बच्चा प्राकृतिक तरीके से जन्म लेता है। अर्थात बच्चे का प्राकृतिक तरीके से जन्म लेना या जन्म होना नॉर्मल डिलीवरी कहलाता है। जब बच्चे के जन्म को लेकर महिला को कोई समस्या नहीं होती है, तब नॉर्मल डिलीवरी डॉक्टरों द्वारा की जाती है।

नॉर्मल डिलीवरी के प्रकार (normal delivery ke prakar)

वर्तमान में नॉर्मल डिलीवरी के केवल 2 प्रकार दिखाई देते हैं एक प्राकृतिक और दूसरा एपिड्यूरल।

1) नॉर्मल डिलीवरी का प्राकृतिक तरीका

यदि कोई महिला किसी भी तरह के दवा का सहारा ना लेते हुए अपने बच्चे को जन्म देना चाहती है या दे सकती है। वह नॉर्मल डिलीवरी का प्राकृतिक तरीका माना जाता है। इसमें महिला को दर्द और दबाव दोनों ही झेलने के लिए तैयार रहना पड़ता है। इस प्रकार के नॉर्मल डिलीवरी में महिला को संवेदनाएं महसूस होती है।

2) नॉर्मल डिलीवरी का एपिड्यूरल तरीका

यहां भी नॉर्मल डिलीवरी का एक प्राकृतिक ही तरीका है। पर यहां नॉर्मल डिलीवरी करने के लिए दवाओं का सहारा लिया जाता है। अर्थात डॉक्टरों द्वारा महिला को दवाइयां देकर डिलीवरी की जगह को या फिर हम कह सकते हैं कि, तंत्रिकाओं को सुन्न किया जाता है। जिसके चलते महिला को दर्द का एहसास नहीं होता है और वह अपने बच्चे को प्राकृतिक तरीके से ही जन्म दे देती है। दवाओं के सहारे होने वाले नॉर्मल डिलीवरी को नॉर्मल डिलीवरी का एपिड्यूरल तरीका माना जाता है।

नॉर्मल डिलीवरी कैसे होती है? बच्चे कैसे पैदा होते हैं नॉर्मल डिलीवरी? (normal delivery kaise hoti hai)

आप तो जान ही गए हैं कि, नॉर्मल डिलीवरी में बच्चा योनि मार्ग से बाहर निकलता है। यह डिलीवरी एक प्राकृतिक डिलीवरी होती है। जिसमें  हमें प्रमुख तीन चरण दिखाई देते हैं।

1) प्रथम चरण

नॉर्मल डिलीवरी का प्रथम चरण तब शुरू होता है। जब महिला को संकुचन महसूस होने लगता हैं और यह संकुचन समय के साथ बढ़ता जाता है। साथ ही यह और अधिक मजबूत तथा लगातार होने लगता है। यह संकुचन इसलिए होता है, ताकि बच्चा जन्मनहर में जा सके। अर्थात यह संकुचन महिला के गर्भाशय ग्रीवा को खोलने में मदद करता है।

आपको बता दें कि, नॉर्मल डिलीवरी के तीनों चरणों में यह चरण सबसे लंबा चरण होता है और इस चरण को दो भागों में विभाजित किया जा सकता है, प्रारंभिक श्रम, सक्रिय श्रम।

1) प्रारंभिक श्रम

प्रारंभिक श्रम के दौरान महिला की गर्भाशय ग्रीवा खुलती है और मिट जाती है। यहां महिला को हल्का और अनियमित संकुचन महसूस होने लगता है। आपको बता दें कि, इस प्रारंभिक श्रम के दौरान जब महिला की गर्भाशय ग्रीवा खुलती है, तब महिला के योनि से एक स्पष्ट गुलाबी या थोड़ा खूनी रक्तस्राव देखा जा सकता है। यह स्त्राव महिला के गर्भावस्था के दौरान सवाईकल ओपनिंग को ब्लॉक कर देता है। नॉर्मल डिलीवरी का यह प्रारंभिक श्रम पहली बार माता बनने वाली महिलाओं के लिए कुछ घंटों से लेकर कुछ दिनों तक का हो सकता है। पर बाद के डिलीवरी के लिए यह समय अक्सर छोटा पाया गया है।

प्रारंभिक श्रम कुछ महिलाओं के लिए नॉर्मल होता है। तो वहीं कुछ महिलाओं के लिए नॉर्मल नहीं होता है। यदि महिला को यह प्रारंभिक श्रम नॉर्मल लगे तो महिला अपने इस चरण को घर पर भी पूरा कर सकती है। लेकिन अपने स्वास्थ्य देखभाल प्रदाता के निगरानी में यह कर सकती है। यदि महिला को असुविधा महसूस हो तो, महिला निसंकोच अपने स्वास्थ्य देखभाल प्रदाता को बताएं और जल्द से जल्द डॉक्टर की सलाह ले।

2) सक्रिय श्रम

प्रारंभिक श्रम के बाद नार्मल डिलीवरी का जो दूसरा भाग या दौर आता है, वह सक्रिय श्रम कहलाता है। नॉर्मल डिलीवरी के सक्रिय श्रम के दौरान महिला की गर्भाशय ग्रीवा 6 सेंटीमीटर से लेकर 10 सेंटीमीटर तक फैलने लगती है। संकुचन भी मजबूत होता है, साथ ही यह नियमित भी होने लगता है। इसके अलावा महिला के पैरों में ऐंठन भी होने लगती हैं। जी मचलने लगता है।

आपको बता दें कि, नॉर्मल डिलीवरी के इस चरण में महिला का प्रारंभिक उत्साह दर्द बढ़ने के साथ साथ कम होने लगता है और बैचेनी बढ़ने लगती हैं। क्युकी आगे क्या होगा? इस विचार के कारण। पर महिला को ज्यादा प्रेशर नहीं लेना चाहिए। यदी दर्द बहुत ज्यादा हो रहा है तो, महिला दर्दनीवारक दवा का सेवन कर सकती हैं। पर ध्यान रहें यह दवा डॉक्टर की सलाह से ही ले। चिंता ना करें, यह सारा काम आपकी स्वास्थ देखभाल प्रदाता ही आपके लिए करती हैं। आपको बता दें कि, स्वास्थ देखभाल प्रदाता ही महिला का हौसला भी बढ़ाती हैं।

इस सक्रिय श्रम के दौरान महिला की गर्भाशय ग्रीवा एक सेंटीमीटर प्रति घंटा की दर से फैलती है। अर्थात यह चरण पूरा होने में महिला को 4 से 8 घंटे या इससे भी अधिक का समय लग सकता है। अक्सर देखा गया है कि, पहली बार मां बन रही महिला को ज्यादा समय लगता है।

सक्रीय श्रम के अंतिम क्षणों में महिला को तेज दर्द होने लगता है। तथा संकुचन भी एक साथ आने लगता है। जो 60 से 90 सेकंड तक का हो सकता है। इससे महिला को पीठ के निचले हिस्से में दबाव महसूस होने लगता है।

2) दूसरा चरण

नार्मल डिलीवरी में महिला योनिमार्ग से बच्चे को जन्म देती हैं। दूसरे चरण के शुरु होने के बाद महिला की स्वास्थ देखभाल प्रदाता महिला को दर्द सहने को प्रोत्साहित करेंगी और यह भी बताएंगी कि, बच्चे को कब पुश करना है।

आपको बता दें कि नॉर्मल डिलीवरी के इस दूसरे चरण में बच्चे के जन्म के वक्त बच्चे का सर सबसे पहले बाहर आता है और फिर बाद में पूरा शरीर बाहर आता है। लेकिन कुछ केसेस में यह उल्टा होता है। अर्थात पहले बच्चे के पैर बाहर आते हैं और अंत में उसका सर बाहर आता है। आपकों बता दें कि, ऐसे बच्चे का धार्मिक महत्व काफी होता है। जो पैर के तरफ से जन्म लेते है।

दूसरे चरण के इस पूरे प्रक्रिया को पूरा होने में कुछ मिनटों से लेकर कुछ घंटों का समय लगता है। यदि कोई महिला पहलीबार मां बन रही है तो, अक्सर ज्यादा समय लगता है।

नॉर्मल डिलीवरी का दूसरा चरन जब समाप्त होने की स्थिती में होता है, तब बच्चे की केवल गर्भनाल काटने की बाकी रहती हैं। गर्भनाल काटने में कुछ सेकंड या मिनट का समय लग सकता है। यह काम भी महिला की स्वास्थ देखभाल प्रदाता ही करती हैं। वह गर्भनाल काटने के लिए प्रतीक्षा भी कर सकती हैं। वह ऐसा इसलिए करती हैं। ताकी बच्चे को पोषक तत्वों से भरपूर रक्त प्रवाह मिल सके। ताकी बच्चा बाहर आने पर हेल्थी हो। गर्भनाल के काटने के बाद यह नॉर्मल डिलीवरी का दूसरा चरण समाप्त हो जाता हैं और नॉर्मल डिलीवरी का तीसरा चरण शुरु हो जाता हैं।

3) तिसरा चरण

तीसरे चरण में महिला काफी राहत महसुस करेंगी। इस चरण में महिला अपने बच्चे को अपनी बाहों में या पेट पर पकड़ कर, उन पलों का आनंद ले सकती हैं। लेकिन यह चरण भी महिला के डिलीवरी का एक महत्त्वपूर्ण चरण है। क्युकी इस चरण में महिला के प्लेसेंटा की डिलीवरी होती हैं। प्लेसेंटा की डिलीवरी होने में आधा घंटा या फिर एक घंटा लग सकता है। इस चरण में पहिले और दूसरे चरण में हुए दर्द जितना दर्द नही होता है। अर्थात कम दर्द इस चरण में होता है। प्लेसेंटा के डिलीवरी के साथ ही किसी भी महिला की नॉर्मल डिलीवरी पूर्ण हो जाती हैं।

पहले जुड़वा बच्चे पैदा होना जादू टोना लगता था। लेकिन आज यह नॉर्मल है। पर क्या आप जानते है जुड़वा बच्चे कैसे पैदा होते है?

जान ले, बच्चा कहां से पैदा होता है

क्या आपके मन मे भी यह सवाल आया है कि, बच्चा कैसे पैदा होता है 

टॉप 10 बच्चा कैसे पैदा करे टिप्स (Top 10 bacha kaise paida kare tips)

इस सारे प्रक्रिया को पढ़ने के बाद आप समझ गए होगे कि, नॉर्मल डिलीवरी में बच्चा योनिमार्ग से बाहर निकलता है।

आशा करता हूं आपको नॉर्मल डिलीवरी में बच्चा कहां से निकलता है तथा नॉर्मल डिलीवरी कैसे होती है? (Normal delivery me bachha kahan se nikalta hai? normal delivery kaise hoti hai?) यह जानकारी आपको पसंद आई होगी।

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