(pratham antarrashtriya prithvi sammelan kab aur kahan hua tha)
जून 1992 को संयुक्त राष्ट्र संघ ने 172 देशों को ब्राजील के रियो-डी-जनेरियो में इकट्ठा किया और पर्यावरण को बचाने के लिए एक सम्मेलन रखा। जिसे प्रथम आंतरराष्ट्रीय पृथ्वी सम्मेलन (pratham antarrashtriya prithvi sammelan) कहा जाने लगा। जलवायु परिवर्तन की समस्या का इलाज करने के लिए संयुक्त राष्ट्र ने आज से तीन दशक पहले ही प्रयास किया। वैज्ञानिकों के चेतावनी पर सभी देशों ने संयुक्त राष्ट्र के कहने पर 3 से 14 जून 1992 को ब्राजील के रियो-डी-जनेरियो में बैठक ली। इस बैठक में 172 देशों में से 108 देशों के राष्ट्रध्यक्ष खुद शामिल हुए। इसके अलावा गैर सरकारी और सरकारी संगठनों के प्रतिनिधी, दुनियां भर के प्रमुख प्रत्रकार तथा अन्य एनजीओ के प्रतिनिधी भी शामिल हुए।
आज हम जिस जलवायु परिवर्तन की समस्या का सामना कर रहे हैं। उन समस्या के बारे में पहले ही वैज्ञानिक चेतावनी दे चुके थे। वैज्ञानिकों का कहना था कि, मानव गतिविधी पर्यावरण पर दिन प्रतिदिन भारी पड़ती जा रही है। आगे वैज्ञानिक कह रहे हैं कि, किसी देश के भीतर होने वाले प्रदूषण का केवल उस देश पर ही नहीं बल्कि उस देश के पड़ोसी देशों पर भी असर पड़ता है। जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए और पर्यावरण को बचाने के लिए यह पृथ्वी सम्मेलन आयोजित किया गया था। जिसमें कुछ नियम और नीतियां बनाई गई थी।
प्रथम पृथ्वी सम्मेलन 1992 की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि और वैज्ञानिक नींव
(Pratham prithvi sammelan kab hua tha) आपको बता दें कि, 3 से 7 जून 1992 के बिच जो प्रथम पृथ्वी सम्मेलन (pratham prithvi sammelan) हुआ वह दुनियां का प्रथम पृथ्वी सम्मेलन नही है। लेकिन तार्किक रूप से इसी सम्मेलन को प्रथम पृथ्वी सम्मेलन (pratham prithvi sammelan kahan hua tha) कहा जाता है। इस सम्मेलन से लगभग 50 वर्ष पहले स्वीडन के स्टॉकहोम शहर में 1972 में संयुक्त राष्ट्र ने मानव पर्यावरण पर चर्चा करने के लिए एक बैठक का आयोजन किया था। यह सम्मेलन स्वीडन के स्टॉकहोम शहर में होने के कारण इस सम्मेलन को स्टॉकहोम सम्मेलन के नाम से भी जाना जाता है। पर्यावरणीय समस्याओं पर चर्चा के लिए बुलाया गया यह सम्मेलन, दुनियां पहला अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन था।
स्टॉकहोम सम्मेलन 1972
आपको बता दें कि इसी स्टॉकहोम सम्मेलन में प्रथम पृथ्वी सम्मेलन की नीव रखी गई थी। जहा 113 देशों ने और 400 से अधिक सरकारी संगठनों के प्रतिनिधीयो ने हिस्सा लिया था। इस सम्मेलन में सर्वसम्मती से कुछ घोषणाएं की गई थी। जिसमें कहा गया था कि, प्रत्येक व्यक्ति एक स्वच्छ और स्वस्थ वातावरण का हकदार हैं और उसका यह हक किसी को भी छीनने का अधिकार नहीं है। इस सम्मेलन में एक कार्ययोजना भी तैयार की गई थी। जिसमें पर्यावरण को बचाने हेतु 109 शिफारसे थी। जैसे ओजोन की होने वाली हानि को रोकने के लिए क्लोरोफ्लूरो कार्बन का उत्सर्जन कम करना जैसी शिफारिशे शामिल थी।
ब्रूनलैंड आयोग 1983
इस स्टॉकहोम सम्मेलन के बाद 1983 में संयुक्त राष्ट्र ने पर्यावरण और विकास पर एक विश्व आयोग WCED का गठन किया। जिसे ब्रूनलैंड आयोग भी कहा जाता है। इस आयोग का काम पर्यावरण में होने वाली निरंतर गिरावट और मानव गतिविधियों के कारण उसपर पड़ने वाला प्रभाव, इसकी समीक्षा करके एक रिपोर्ट प्रकाशित करना था।
इस ब्रूनलैंड आयोग का सबसे उल्लेखनीय काम 1987 में दिया गया रिपोर्ट था। जो “अवर कॉमन फ्यूचर” नाम से प्रकाशित हुआ था।
इस रिपोर्ट ने भविष्य के पीढयों के लिए पर्यावरण की रक्षा करते हुए आर्थिक विकास को कैसे बढ़ावा दिया जा सकता है, यह बताया। ब्रूनलैंड आयोग के इस रिपोर्ट का सबसे प्रभावी काम यह हुआ कि, इस रिपोर्ट ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पृथ्वी सम्मेलन के लिए विश्व के नेताओं को एक राजनीतिक मंच तयार करके दीया।
प्रथम पृथ्वी सम्मेलन 1992 (pratham prithvi sammelan kab hua tha)
इस रिपोर्ट के बाद, विश्व ने स्टॉकहोम सम्मेलन की 20 वी वर्षगांठ मनाने के लिए एक और सम्मेलन का आयोजन ब्राजील की राजधानी रियो-डी-जनेरियो में 3-14 जून 1992 में किया और इसी सम्मेलन को विश्व का प्रथम पृथ्वी सम्मेलन 1992 कहा जाने लगा। इस सम्मेलन को प्रथम पृथ्वी शिखर सम्मेलन भी कहा जाता है।
विश्व का यह पहला ऐसा पृथ्वी सम्मेलन 1992 था। जिसमें दुनिया के 172 देशों ने हिस्सा लिया, तथा कई बड़ी संख्या में एनजीओ और पत्रकारों ने हिस्सा लिया।
यह सम्मेलन 3-14 जून 1992 के बिच चला और इसमें 172 देशों में से 108 देशों के राष्ट्रध्यक्ष शामिल हुए थे, तथा बाकी देशों के प्रतिनिधी अपने देश का नेतृत्व करने के लिए शमील हुए थे। इसके अलावा दुनियां भर के सरकारी और गैर सरकारी संगठनों के लगभग 2400 प्रतिनिधी भी शामिल हुए थे। इस सम्मेलन में पत्रकार भी बड़ी मात्रा में शामिल हुए थे। आपको बता दें कि, इस प्रथम पृथ्वी सम्मेलन में 10,000 हजार पत्रकार शामिल हुए थे। इसके अतरिक्त 17,000 अन्य एनजीओ के प्रतिनिधीयो ने भी हिस्सा लिया था। ये सभी लोग ब्राजील में अपने पर्यावरण को बचाने के लिए इकट्ठा हुए थे।
इस प्रथम पृथ्वी सम्मेलन ने माना है कि, विकासशील देश और विकसनशील देश दोनों ही जलवायु परिवर्तन में अपना योगदान देते हैं। अक्सर गरीब देश अपने आर्थिक विकास को गति देने के लिए पर्यावरणीय नियमों को कमजोर रखते हैं। ताकी आर्थिक विकास में बाधा ना आए।
इस प्रथम पृथ्वी सम्मेलन में शामिल सभी लोगों ने मिलकर पर्यावरण संरक्षण के साथ आर्थिक विकास करने के लिए एक कार्यवाही योजना को सभी के सम्मती के साथ स्वीकृत किया। जिसे “एजेंडा 21” नाम दिया गया।
एजेंडा 21 क्या है (agenda 21 kya hai)
एजेंडा 21 एक धोरणीय विकास के लिए एक वैश्विक कार्य योजना है। यह एजेंडा 21 कार्य योजना परिस्थितिकी विनाश तथा आर्थिक असमानता को समाप्त करने पर जोर देता है। एजेंडा 21 को चार प्रमुख भागों में बाटा गया है।
1) जैविक विविधता का सर्वेक्षण और संकट ग्रस्त जीवों का संरक्षण।
2) विकासशील देशों में गरीबी निवारण और जनसंख्या नियंत्रण।
3) पूंजी स्थानांतरण को उदार बनाने पर जोर देना।
4) सबको सेहतमंद आहार और स्वच्छ जल और सामाजिक सुरक्षा देना।
इस एजेंडा 21 के तहत जलवायु परिवर्तन पर संयुक्त राष्ट्र फ्रेमवर्क कन्वेशन (यूएनएफसीसी) की स्थापन का भी नेतृत्व किया।
आपको बता दें कि, एजेंडा 21 घोषणापत्र पर्यावरण संरक्षण और सतत विकास के क्षेत्र मे दुनियां के सभी राष्ट्रों के अधिकारों और जिम्मेदारियों को परिभाषित करता है। यह एजेंडा 21 घोषणापत्र सभी राष्ट्रों को अपनी सीमाओं के भीतर प्राकृतिक संसाधनों के दोहन का अधिकार देता है। परंतु उनके द्वारा किए गए दोहन के कारण अन्य देशों का पर्यावरण प्रभावित ना होता है तो, यह एजेंडा 21 सभी को न्याय देने का आह्वान करता है। आसान भाषा में कहे तो, एजेंडा 21 पर्यावरण संरक्षण और सतत विकास के लिए सभी को मिलकर काम करने की व्यापक योजना है। एजेंडा 21 (agenda 21) के बारे में विस्तार से जानने के लिए लिंक पर क्लिक करें ???? एजेंडा 21 क्या है (agenda 21 kya hai) जाने इसके उद्देश, कमियां और सफलता
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ब्राजील में जून 1992 में हुए प्रथम पृथ्वी सम्मेलन के ठीक 5 वर्ष बाद 23-27 जून 1997 के बिच संयुक्त राष्ट्र ने एक विशेष समीक्षा बैठक न्यूर्योक में बुलाई। इस बैठक का उद्देश एजेंडा 21 को लागू करने के दिशा में कौन से देश ने किस प्रकार से कदम उठाए और उन उठाए गए कदमों का क्या सकारात्मक प्रभाव पर्यावरण पर हुआ। इसका मूल्यांकन करने के लिए यह एक समीक्षा बैठक थी। आसान भाषा में कहे तो यह समीक्षा बैठक एजेंडा 21 के कार्यवाही को लेकर थी।
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