Last Updated on 2 months by Sandip wankhade
पोस्ट का टाइटल पढ़कर आपको थोड़ी हिचकिचाहट जरुर हो सकती है कि, ऐसा कैसे हो सकता है न्यूटन जैसा जगप्रसिद्ध वैज्ञानिक जिसने दुनियां को गती के तीन नियम बताए हैं और जिसका हर हर क्षेत्र में इस्तमाल आज भी हो रहा है। आखिर मानव शुक्राणु उन्हे कैसे चुनौती दे सकते है। लेकीन यह सच है। हाल ही में हुए शोध में यह बात सामने निकल कर आई है कि, मानव शुक्राणु न्यूटन के गति के नियमों में से एक को तोड़ रहा है।
मानव शुक्राणु न्यूटन के गति के किस नियम को तोड़ रहे हैं?
जैसा कि हम सब जानते है कि, न्यूटन के द्वारा बताए गए गति का तीसरा नियम भौतिकी के क्षेत्र के सबसे प्रसिद्ध नियमों में से एक है, इस नियम में आइज़क न्यूटन दुनियां को कहते है कि, “प्रत्येक क्रिया के लिए एक समान और विपरीत प्रतिक्रिया होती है।” यह नियम सभी जगह लागू होता है और आज तक इस नियम को किसी भी क्रिया ने चुनौती नहीं दी है। हालाँकि, जांच में यह पाया गया है कि, मानव शुक्राणु जैसे जैविक तैराकों के लिए, यह नियम लागू नहीं होता है और मानव शुक्राणु न्यूटन के गति के तीसरे नियम को ही चुनौती दे रहा है।
आपको बता दें कि, वैज्ञानिकों के अनुसार मानव शुक्राणु शरीर को इस तरह से विकृत करके तैर सकता है कि उनके आस-पास से कोई भी प्रतिक्रिया न हो। यह एक ऐसा करतब है जो न्यूटन के गति के तीसरे नियम को तोड़ता है, जो कहता है कि हर क्रिया के बराबर और विपरीत प्रतिक्रिया होती है।
वैज्ञानिकों ने यह बात हालिया अध्ययन में कही है, आपको बता दें कि, वैज्ञानिकों ने इस निष्कर्ष पर पहुंचने के लिए, उन्होंने न्यूटन के तीसरे नियम की अवहेलना करने वाले गैर-पारस्परिक यांत्रिक इंटरैक्शन की पहचान करने के लिए मानव शुक्राणु कोशिकाओं की और क्लैमाइडोमोनस शैवाल पर डेटा की जांच की।
इस जांच में उन्होंने पाया कि ये जीव एक-दूसरे को बिना किसी प्रतिक्रिया के आगे बढ़ा रहे हैं। यह एक ऐसी घटना है जो विज्ञान की जगत में काफी रहस्यमई और अजीब थी। अपने अजीब तरह के नेचर के कारण, उन्होंने इसे”अजीब लोच” कहा है, क्योंकि यह न्यूटन के तीसरे नियम का उल्लंघन करता है।
नया शोध क्या कहता है?
जैसा कि आप शायद जानते होंगे कि, हमारे शुक्राणु की पूंछ में एक बाल जैसा उपांग होता है जिसे विज्ञान जगत फ्लैगेला भी कहा जाता है। यह फ्लैगेला कोशिकाओं के अंदर एक तंतु से बना होता है जो कोशिका के बाहर की तरफ फैलता है। यह तंतु आसपास के तरल पदार्थ की प्रतिक्रिया में आकार बदलता है, जिससे शुक्राणु को आगे बढ़ने में मदद मिलती है।
लेकिन अब, शोधकर्ताओं ने पाया है कि शुक्राणु फ्लैगेला गैर-पारस्परिक तरीके से चलते हैं। इसका मतलब है कि वे अपने परिवेश से समान और विपरीत प्रतिक्रिया प्राप्त नहीं करते हैं।
यह खोज न्यूटन के तीसरे नियम का उल्लंघन करती है, जो कहता है कि हर क्रिया के बराबर और विपरीत प्रतिक्रिया होती है। तो शुक्राणु कैसे चलते हैं अगर वे अपने परिवेश से बल नहीं प्राप्त करते हैं?
शोधकर्ताओं का मानना है कि फ्लैगेला एक तरल पदार्थ का प्रवाह बनाता है जो शुक्राणु को आगे बढ़ाने में मदद करता है। यह प्रवाह शुक्राणु के पीछे एक बल क्षेत्र बनाता है, जिससे वे आगे बढ़ते हैं।
आपको बता दें कि, केवल एक ही फ्लैगेलम की उपस्थिति से कोशिकाओं की गति की पूरी जानकारी नहीं मिलती कि, आखिर कोशिका कैसे गति कर पाती है। इसी के कारण से यहां पर विषम लोच की अवधारणा चलन में आती है। इन कोशिकाओं में निहित जो अजीब लोच हैं वह उन्हें किसी भी तरह की ऊर्जा खर्च किए बिना अपने पर्यावरण में स्थानांतरित होने में अनुमति देती हैं। जो उनके गति में बाधा उत्पन्न करती है।
इस अध्ययन के पीछे की टीम ने न्यू साइंटिस्ट मैगज़ीन को बताया है कि, इंसानों को गैर-पारस्परिक गति में सक्षम अन्य कोशिकाओं या जीवों को समझने और उन्हे वर्गीकृत करने में हमें सक्षम होना बहुत जरुरी है क्यूंकि यह हमारे लिए बहुत उपयोगी हो सकता है।
इस अध्ययन से जुड़े एक लेखक, जापान में क्योटो विश्वविद्यालय के केंटा इशिमोटो के मुताबिक, उनका कहना है कि, यह अध्ययन छोटे लोचदार रोबोटों के डिजाइन में हमें मदद कर सकता है।
कुछ भी हो लेकीन यह विज्ञान के दुनियां की एक अद्भुत खोज है जो हमें शुक्राणु की गति को बेहतर ढंग से समझने में मदद कर सकती है। यह बांझपन के इलाज में भी सुधार के लिए नए तरीकों के विकास में योगदान दे सकता है।
स्त्रोत:
https://www.wionews.com/science/sperm-caught-breaking-newtons-third-law-of-motion-know-how-650556