बाल स्वतंत्रता सेनानी दत्तु रंगारी भारत के उन तमाम स्वतंत्रता सेनानीयो मे शामिल है जिनके बारे में बहुत कम जानकारी मौजूद है।
बाल स्वतंत्रता सेनानी दत्तु रंगारी जी का जन्म १६ अगस्त १९२९ में एक छोटे से ग्राम बेलहुंगल मे हुआ था। यह गाव भारत के कर्नाटक राज्य में बेलगाैम जिले आता है।
दत्तु रंगारी भारत के उन तमाम बाल स्वतंत्रता सेनानीयो मे से एक है। जिन्होंने देश के लिए अपने परिवार की चिंता किए बगैर हसते हसते अपनी मौत को गले लगाया।
यह घटना तब घटित हुई, जब पूरे भारत में महात्मा गांधी जी के आवाहन पर १९४२ मे भारत छोड़ो आंदोलन हुआ। तब इस आंदोलन में युवाओं से लेकर बुजुर्गो तक, शहरवासियों से लेकर गाववासियों तक सभी ने हिस्सा लिया और अपना अपना योगदान दिया।
इसी आंदोलन में बाल स्वतंत्रता सेनानी दत्तु रंगारी ने भी हिस्सा लिया था। जब स्वतंत्रता सेनानी दत्तु रंगारी ने आंदोलन में भाग लिया, तब उनकी उम्र महज १३ साल थी और वे कक्षा छह के विद्यार्थी थे। कहा जाता है कि, जब भारत छोड़ो आंदोलन का जुलूस निकाला गया, तब बाल स्वतंत्रता सेनानी दत्तु रंगारी ने उस जुलूस में बढ़ चढ़ कर हिस्सा लिया। क्रांतिकारीयों के विचारों से प्रेरित और अपने देश के प्रति मर मिटने की भावना चलते। पुलिस द्वारा गोलीबारी या लाठीचार्ज होने की संभावना होकर भी। बाल स्वतंत्रता सेनानी दत्तु रंगारी तिरंगा अपने हाथ में लिए जुलूस में सबसे आगे चल रहे थे।
आंदोलन को दड़पने की ब्रिटिश सरकार भी पूरी कोशिश कर रही थी। उनके आदेशों के अनुसार आंदोलन को दड़पने के लिए पुलिस द्वारा कई जगहों पर लाठीचार्ज हुआ। तो वही कई जगहों पर गोलीयाँ तक चलाई गई। जिस आंदोलन मे बाल स्वतंत्रता सेनानी दत्तु रंगारी थे उस स्थल पर भी पुलिस द्वारा गोलियां चलाई गई। जिसमें उनकी गोली लगने से मृत्यु हो गई और वे सन् २३ अगस्त १९४२ को महज १३ साल की उम्र में शहीद हो गए।
इन्हे भी पढ़े :
• वीर गाथा 13 साल के नायक ध्रुव कुंडू की जिसे तिरंगा फहराने के दौरान लगी थी गोली
• अंग्रेज अफसर की दाढ़ी पकड़ने पर काट दिया था 12 साल के क्रांतिकारी बिशन सिंह कूका का सिर।
जिस उम्र में हम खुद के लिए कुछ कर नही सकते उस उम्र में दत्तु रंगारी ने अपने देश के लिए अपनी जान कुर्बान कर दी। ऐसे थे बाल स्वतंत्रता सेनानी दत्तु रंगारी।