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Deepfake technology: क्या होती है deepfake technology जिसके जरिए deepfake video, deepfake photo आदी वायरल करके बदनाम किया जा रहा है।

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Last Updated on 1 month by Sandip wankhade

हाल के दिनों में कई सारे सेलिब्रिटीज और नेताओं के deepfake video बड़ी मात्रा में वायरल हो रहे हैं। जिनके कारण उन्हे समस्याओ का सामना करना पड़ रहा है। बेवजह कोई भी किसी भी व्यक्ती का deepfake video बना रहा है और उन्हे सोशल मीडिया पर वायरल करके बदनाम कर रहा है। यह टेक्नोलॉजी दुनियां के लिए जितनी अच्छी है, उससेे कई ज्यादा यह खतरनाक भी है। इसलिए इस टेक्नोलॉजी के जमाने में आपकों भी ज़रुर यह पता होना चाहिए कि, आखिर Deepfake technology होती क्या है और यह कितनी खतरनाक है। क्या यह टेक्नोलॉजी दुनियां के लिए अच्छी भी है? आज के इस लेख में इसी Deepfake technology के बारे में जानेंगे।

डीपफेक टेक्नोलॉजी क्या है (Deepfake technology kya hai)

Deepfake technology को आप एक प्रकार की कृत्रिम बुद्धिमत्ता कह सकते हैं जो artifical Intelligence (AI) पर आधारित है। इस टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल करके कोई भी व्यक्ति नकली फोटो, नकली ऑडियो और नकली वीडियो बनाने के लिए आसानी से कर सकता है। Deepfake technology के यूज से बना कोई भी ऑडियो, वीडियो, फोटो इतना सटीक होता है कि, उसमें भेद करना किसी के भी लिए कठिन होता। आप इसे ऐसे समझ सकते है कि, Deepfake technology से बना Deepfake video इतना सटीक होता है कि, जैसे वह सच है और उसमें किसी तरह की कोई भी छेड़छाड़ नहीं की गई है। यह वीडियो दिखने में बिलकुल वास्तविक लगता हैं।

Wikipedia पर मिले जानकारी के आधार पर डीपफ़ेक जिसे अंग्रेजी में deepfake कहते हैं यह शब्द दो शब्दों से मिलकर बना है (deep learning + fake)। यह एआई पर आधारित नई टेक्नोलॉजी है जिसका meaning कृत्रिम मीडिया से होता है। deepfake मतलब  किसी भी व्यक्ती का फोटो सोशल मीडिया या अन्य जगह से लेकर उसका यूज ऐसे फोटो या वीडियो में करना, जो उसका फोटो या वीडियो है ही नहीं। यह काम इस टेक्नोलॉजी की मदद से इतनी समानता से किया जाता हैं कि, उनमें अंतर करना कठिन हो जाता है। हालाँकि आपकों बताना चाहेंगे कि, फ़र्ज़ी वीडियो बनाना कुछ नया कार्य नहीं है, किंतु deepfake ने मशीन लर्निंग और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस जैसी शक्तिशाली तकनीकों का लाभ उठाकर नज़र और कान को धोखा देने हेतु दृश्य और ऑडियो सामग्री उत्पन्न करने में काफ़ी बड़ी मदद की है।

deepfake किस टेक्नोलॉजी पर काम करता है?

Wikipedia पर मिले जानकारी के मुताबिक, deepfake ‘human image synthesis’ नाम की टेक्नोलॉजी के आधार पर काम करता है। यह ठिक इस तरह से समझे, जैसे कि हम किसी भी चीज़ की फोटो-कॉपी करते हैं, यह टेक्नोलॉजी भी ठिक वैसे ही चलते-फिरते और बोलते लोगों की हूबहू कॉपी कर सकती है। मतलब हम स्क्रीन पर जिस व्यक्ती को देख रहे हैं असल में वह व्यक्ती उसमें होती ही नहीं है, उसे उसमें इस टेक्नोलोजी की मदद से ऐसे डाला जाता हैं जैसे वह खुद ही थी।

आपकों बता दें कि, इस टेक्नोलॉजी पर आधारित जो आज मार्केट में ऐप्स बने हुए हैं। वे बेहद नुकसान दायक हैं। क्यूंकि इसकी मदद से किसी भी व्यक्ति के चेहरे पर हम जिसका चाहे उसका चेहरा आसानी से लगा सकते है और वो भी इतनी सफ़ाई और बारीकी के साथ कि, कोई पहचान भी न पाए कि, यह fake है।

Deepfake technology कितने प्रकार की है

डीपफ़ेक टेक्नोलॉजी को उसके उपयोग के आधार पर तीन प्रकारों में वर्गीकृत किया जा सकता है:

Face-Swap: इस तरह के Deepfake video में व्यक्ति के चेहरे को स्वचालित रूप से किसी अन्य व्यक्ति के चेहरे से बदल दिया जाता है।

lip-Sync: इस तरह के Deepfake video में विडियो के एक स्रोत को संशोधित किया जाता है, ताकि जो बोल रहा है उसका मुंह और होंठ अपने मनमानी ऑडियो रिकॉर्डिंग के अनुरूप हो सके।

puppet Master: इस तरह के Deepfake video में एक कलाकार द्वारा एक लक्षित व्यक्ति को एक कैमरे के सामने बैठाकर मिमिक (सिर और आंखो का चलना, चेहरे के हाव भाव) किया जाता है और आवाज आदी चीजे दूसरे की होती है।

कैसे काम करती है यह डीपफ़ेक तकनीक ?

बीबीसी हिंदी न्यूज के अनुसार, deepfake तकनीक बेहद ही पेचीदा तकनीक कही जाती हैं है। क्यूंकि इसके लिए आपके पास मशीन लर्निंग की अच्छी नॉलेज होनी चाहिए।

  • जब भी deepfake video या फोटो या ऑडियो बनाया जाता हैं तो, इसके लिए दो एल्गोरिदम का उपयोग किया जाता है, जो एक दूसरे के साथ प्रतिस्पर्धा करते हैं और खामियों का पता लगाते और सुधारते है।
  • इस तकनीक के लिए जो दो एल्गोरिदम यूज किए जाते है उनको डिकोडर और एनकोडर कहते हैं।
  • जब व्यक्ती कोई भी फेक डिजिटल कंटेंट बनाता है तो , वह असली लग रहा है या नकली यह जानने के लिए डिकोडर का इस्तेमाल करता है अर्थात वह डिकोडर से यह पता लगाने के लिए कहता है कि कंटेंट असली है या नकली.
  • हर बार डिकोडर एल्गोरिदम फेक डिजिटल कंटेंट को रियल या फे़क के रूप में सही ढंग से पहचानता है, फिर व्यक्ती उस जानकारी को एनकोडर को भेज देता है ताकि अगले deepfake में गलतियां सुधार करके उसे और बेहतर किया जा सके।
  • इन दोनों प्रक्रियाओं को मिलाकर जेनरेटिव एडवरसैरियल नेटवर्क बनाते हैं जिसे जीएएन कहा जाता है.

कहा होता है Deepfake इस्तेमाल

ऐसा कहा जाता हैं कि, इसका इस्तेमाल खास कर अश्लील कंटेंट बनाने से हुआ था। बाद में एआई (AI) के विकास के बाद इसमें भी काफी विकास हुआ।

ऐसा नहीं है कि, डीपफेक सिर्फ खतरनाक है बल्की इसके कई सारे फायदे भी है। जैसे फिल्मों में किसी मर चुके एक्टर्स को इस तकनीक के सहारे दिखा सकते है।

हमारे पूर्वजों को हम इस तकनीक के सहारे जिंदा कर सकते है। अर्थात इस फीचर का इस्तेमाल करके हम अपने पूर्वजों से लेकर ऐतिहासिक लोगों तक को हम जीवंत कर सकते है।

आपने ऐसे कई सारे विडियो सोशल मीडिया पर देखें होगे जिसमें हमारे पूर्वज बोलते हुए हैं। जैसे महात्मा गांधीजी का नोट वाला एक विडियो वायरल हुआ था। जिसमें उन्हे बोलते हुए दिखाया गया था। वह वीडियो दीपफेक का ही नतीजा है।

इस तकनीक का इस्तेमाल मनोरजन के अलावा शिक्षा तक सभी जगह कर सकते है लेकिन इस deepfake technology जैसे फायदे हैं वैसे इसके काफी सारे नुकसान भी।

क्यूंकि उसकी मदद से किसी का भी fake video बनाया जा सकता है। धोखा दिया जा सकता है। बदनाम किया जा सकता है।

राजनिति में भी इस तकनिक का इस्तेमाल हो सकता है। जैसे किसी भी नेता का deepfake video बना कर उसे वायरल किया जा सकता है। और अपने विरोधियों की छवि लोगों के नज़र में खराब की जा सकती है।

कैसे करें डीपफे़क कंटेंट की पहचान? (Deepfake content kaise pahchane)

अब सवाल यह उठता है कोई कंटेंट Deepfake content है यह हम कैसे पहचाने। इसको पहचाने के कई तरीके हैं। जिनकी मदद से आप कंटेंट जैसे फ़ोटो, वीडियो, ऑडियो आदि Deepfake हैं या नहीं यह पता लगा सकते है:

यदी आपकों किसी भी कंटेंट पर जैसे फ़ोटो, वीडियो, ऑडियो पर संदेह है तो, आप उस कंटेंट को गौर से देखे। क्यूंकि गौर से देखने पर आपकों उनमें कई सारे ऐसे छोटे छोटे पहलु दिखाई देंगे जिनसे आप समझ सकते है कि, कंटेंट असली है या नकली। जैसे नाक, पलको का झपकना, नजरे यह कुछ चीजे ऐसी है जिन्हे fake बनाना बहुत कठीन हैं और वह ज़रूर पकड़े जाते है।

अन्त में,

Deepfake technology एक शक्तिशाली तकनिक है जिसका उपयोग अच्छे और बुरे दोनों कामों के लिए किया जा सकता है। यह सब हम पर निर्भर करता हैं कि, हम इसका यूज कैसे करते हैं। हमारे लिए यह महत्वपूर्ण है कि हम इस तकनीक के संभावित खतरों से अवगत हों और उन्हें कम करने के लिए कदम उठाएं।

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error: प्रिय पाठक ऐसे कॉपी ना करें डायरेक्ट शेयर करें नीचे सोशल मीडिया आइकॉन दिए हैं