Skip to content

(uttamasha antrip) उत्तमाशा अंतरीप की खोज किसने की थी। जाने उत्तमाशा अंतरीप की खोज का इतिहास

(uttamasha antrip) उत्तमाशा अंतरीप की खोज किसने की थी। Who discovered uttamasha cape
4.5/5 - (41 votes)

Last Updated on 6 months by Sandip wankhade

उत्तमाशा अंतरीप, uttamasha antrip,  उत्तमाशा अंतरीप की खोज किसने की थी, उत्तमआशा अंतरीप (cape of good hope) की खोज किसने की, who discovered uttamasha cape


दुनिया के इतिहास में हुए अहम खोजो में से एक अहम खोज है उत्तमाशा अंतरीप की खोज। आपको बता दें कि, यूरोप से आए कुछ नाविकों ने एशिया की ओर जाने के लिए रास्ता खोजते समय उत्तमाशा अंतरीप की खोज की। मानो नाविकों के इस खोज के कारण दुनियां के इतिहास ने जैसे नई करवट ही ली। और दुनियां का इतिहास कुछ अलग ढंग से लिखा जाने लगा।

उत्तमआशा अंतरीप की खोज किसने की? (who discovered uttamasha cape)

प्रिय पाठक वर्ग आपको बता दें कि, 1488 यह वह वर्ष है, जब पहलीबार उत्तमाशा अंतरीप की खोज यूरोपीय नाविक एवम खोजकर्ता बार्टिलोमू डायस ने की थी। उत्तमाशा अंतरीप की खोज करने वाले खोजकर्ता बार्टिलोमू डायस एक पुर्तगाली नाविक है।

आपको बता दें कि, उत्तमाशा अंतरीप की खोज इसलिए भी सबसे अहम है। क्योंकि इसी खोज के कारण यूरोप को आफ्रीका और एशिया जाने का रास्ता मिला था। इसी खोज की बहुत ही रोमांचक कहानी है। आइए जानते हैं, आखिर कैसे उत्तमाशा अंतरीप द्विप की खोज हुई।

दरसल इस खोज के पीछे एशिया और खास कर भारत सबसे बड़ा कारण है। क्योंकि भारत उस समय दौलत के मामले में पूरी दुनिया में मशहूर था। इसलिए हर कोई भारत आना चाहता था। आप तो जानते ही होंगे कि, भारत के मसाले और कॉटन पूरी दुनिया में काफी मशहूर है। इन्ही चीजों के कारण उस समय हर कोई भारत आ कर व्यापार करना चाहता था। लेकिन भारत आने के लिए पहले केवल एक ही रास्ता उस वक्त मौजुद था और वह था जमीनी मार्ग। आपको बता दें कि, यह मार्ग भी अरब से होकर गुजरता था और उस मार्ग पर भी अरब व्यापारियों का ही कब्जा था। अरब व्यापारी भारत से बहुत ही सस्ते दाम पर कपास और मसाले खरीदते थे और उन्हें यूरोप में कई गुणा ज्यादा दामों पर बेचकर अच्छा खासा मुनाफा कमाते थे।

भारत के दौलत की चर्चा पूरे विश्व में होने के कारण जब भी यूरोपवासी भारत के दौलत के बारे में अरब व्यापारीयों से सुनते थे। तब वे भारत का गुणगान सुनकर दंग रह जाते थे और वे भी भारत आकर व्यापार करना चाहते थे। पर जमीनी मार्ग पर अरब व्यापारियों का कब्जा होने के चलते यह संभव नहीं था। क्योंकि अरब व्यापारी ऐसा नहीं चहते थे। और यदी कोई चोरी छिपे अरब रास्ते से होकर भारत की तरफ जाता तो उसका जीवित लौटना बिलकुल संभव नहीं था।

इसी समस्या को खत्म करने के लिए यूरोप में समुद्री मार्ग द्वारा भारत तथा एशिया के लिए खोजी अभियान चलाए जाने लगे। उनमें से पहला खोजी अभियान पुर्तगाली नाविक एवम खोजकर्ता बार्टोलोमू डायस के नेतृत्व में किया गया। जिसके कारण उत्तमाशा अंतरीप द्विप की खोज हुई।

आपको बता दें कि, 15वी और 16 वी शताब्दी के दौरान युरोप में स्पैनिश, पुर्तगाली और डच ये बड़े साम्राज्य हुआ करते थे। इन तीनों राज्यों में अपने राज्य का विस्तार करने धर्म का प्रचार करने आदी चीजों को लेकर होड़ लगी रहती थी। अपने साम्राज्य का विस्तार करने के लिए ये तीनों राज्य दुनियां भर में शाही मिशन को लगे।

इन्ही तीनों राज्यों में से एक राज्य पुर्तगाली राज्य है। जिसने एशिया की तरफ जाने का रास्ता खोजने के लिए अपना शाही मिशन बार्टोलोमू डायस के नेतृत्व में भेजा। इसी मिशन के तहत बार्टोलोमू डायस ने उत्तमाशा अंतरीप द्विप की खोज की। उत्तमाशा अंतरीप को केप ऑफ गुड होप भी कहा जाता है।

आपको बता दें कि, जब पहली बार उत्तमाशा अंतरीप की खोज हुई थी, तब उसका नाम केप ऑफ गुड होप नही था। बल्कि उसका नाम केप ऑफ स्टॉर्म था। इसके नाम के पीछे का तर्क भी काफी interesting है।

उत्तमाशा अंतरीप द्वीप को केप ऑफ गुड होप क्यों कहा जाता है? (Why is the Uttamasha Cape Island called the Cape of Good Hope)

आपको बता दें कि, जब पहली बार उत्तमाशा अंतरीप की खोज बार्टोलोमू डायस ने की थी। तब उसने वहा देखा था कि, यहां का मौसम काफी भयानक है और इस द्वीप के पास के समंदर के नीचे ज़मीन भी काफी उबड़ खाबड़ तथा ज्वार से भरी हुई है। इसके अलावा बार्टोलोमू डायस ने उत्तमाशा अंतरीप द्विप देखा कि, यहां तूफान बडी संख्या में हमेशा आते रहते हैं। अर्थात खतरनाक मौसम, समंदर के नीचे की उबड़ खाबड़ चट्टाने और हमेशा आने वाले समुद्री तूफान के चलते ही बार्टोलोमू डायस ने इस द्विप को केप ऑफ स्टॉर्म नाम दिया था। कहा जाता है कि, इस अहम खोज के बाद बार्टोलोमू डायस और आगे बढ़ना चाहता था। लेकिन खराब मौसम, समुद्री तूफान और साथियों की निराशा के चलते वह इस द्विप से ही वापस अपने राज्य पुर्तगाल चला गया। अपने राज्य पुर्तगाल में वापस पहुंचने के बाद पुर्तगाल के राजा जॉन द्वितीय ने इस उत्तमाशा अंतरीप द्विप का नाम केप ऑफ स्टॉर्म को बदलकर केप ऑफ गुड होप रखा। इसके पीछे कारण था इस द्वीप की अहम खोज। अपने साम्राज्य के विस्तार के दृष्टिकोण के लिए यह इस द्वीप की खोज एक आशा की थी। इसलिए आशा की एक किरण होने के कारण पुर्तगाल के राजा जॉन द्वितीय ने इसका नाम केप ऑफ स्टॉर्म को बदलकर केप ऑफ गुड होप रखा।

उत्तमाशा अंतरीप द्विप या केप ऑफ गुड होप की खोज के बाद युरोप वासियों को यह एहसास हुआ था कि, वे जितना सोच रहे थे दुनियां उससे कहीं अधिक बड़ी। तथा उन्हें यह भी अहसास हुआ था कि, यदि वे इसी तरह प्रयास करते रहें तो वे एक दिन एशिया की और खास कर भारत की खोज समुद्री मार्ग के जरीए ही कर सकते है।

उत्तमाशा अंतरीप (केप ऑफ गुड होप) की खोज होने के बाद आगे क्या हुआ? (What happened next after the Cape of Good Hope was discovered)

आपको बता दें कि, उत्तमाशा अंतरीप की खोज होने के बाद इस स्थान पर अपना नियंत्रण स्थापित करने की तीनों साम्राज्यो में होड़ लगी और अंत में बहुत ही निर्दयता से वहा के लोगों को मौत के घाट उतारकर यूरोपवासीयो ने इस स्थान पर अपना कब्जा जमाया।

आपको बता दें कि, उत्तमाशा अंतरीप द्वीप पर रहने वाले कई लोगों को दास बनाकर उन्हें यूरोप के बाजारों में भी बेचा गया था। इसके अलावा ऐसी भी जानकारी कुछ वेबसाइट के माध्यम से मिली है कि, इस उत्तमाशा अंतरीप द्वीप पर डच ईस्ट कंपनी ने अपना शिविर भी लगाया था। ताकी यूरोप से आने वाले नाविकों को यहां विश्राम करने और अपने जहाजों की मरम्मत करने के लिए सुविधा मिले। वक्त के साथ यूरोप ने इस स्थान पर अपना नियंत्रण इस प्रकार से स्थापित किया कि, मानो यह स्थान यूरोपवासीयो का ही है और यहां के मूलनिवासी उनके गुलाम है।

वक्त के साथ उत्तमाशा अंतरीप द्वीप अर्थात केप ऑफ गुड होप अफ्रीकी दास व्यापार का प्रमुख केन्द्र बन कर उभरा। इसी के साथ ही यह स्थान जहाजों के रुकने का एक प्रमुख बंदरगाह तथा व्यापार का एक प्रमुख केंद्र बनकर भी उभरा। आपको बता दें कि, इसी स्थान के खोज के बाद एशिया पहुंचने का खास कर भारत पहुंचने का मार्ग प्रशस्त हुआ।

???? कई मुश्किलों को मात देने के बाद हुई भारत की खोज। भारत की खोज का रोमांचकारी इतिहास।

प्रिय पाठक वर्ग यह थी उत्तमाशा अंतरीप की खोज की रोमांचक कहानी। आपको यह कहानी कैसी लगी हमें कमेंट करके में जरूर बताए।

Spread the love

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: प्रिय पाठक ऐसे कॉपी ना करें डायरेक्ट शेयर करें नीचे सोशल मीडिया आइकॉन दिए हैं