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कुछ COVID रोगी खतरनाक रूप से बीमार क्यों हो जाते है, जबकि अन्य को यह तक पता नहीं चलता कि, उन्हें कोरोना हुआ है।

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Last Updated on 2 years by Sandip wankhade

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हर किसी के दिमाग में यह सवाल मुख्य रूप से आ रहा होगा कि, जब कुछ लोगों को कोरोना होता है। तो वे इतना खतरनाक रूप से बीमार पड़ते हैं कि, उन्हे ICU में रखने की नौबत आती है। जबकि अन्य लोगों को जब कोरोना होता है, तब उन्हे बिलकुल भी इस बात का पता नही चलता कि, उन्हें कोरोना हुआ है। वे लोग बिलकुल स्वस्थ दिखते हैं। उन्हे कोरोना के कोई भी लक्षण दिखाई नहीं देते हैं।

लोगों केे साथ ऐसा क्यों हो रहा है। इस सवाल का जवाब जब हमने इंटरनेट पर सर्च किया, तब हमें इस सवाल का जवाब देने वाला एक आर्टिकल Universal -sci.com के वेबसाइट पर मिला। जो अंग्रेजी में लिखा हुआ था। इस आर्टिकल में इस सवाल का सटीक जवाब देने का प्रयास किया गया है। जिससे प्रेरित होकर हमने भी यह आर्टिकल अपने साइट पर बनाया है और आसान भाषा में हमने लोगों को यह समझाने का प्रयास किया है कि, आख़िर कोरोना से पीड़ित कुछ लोगों के साथ ऐसा क्यों हो रहा है।

Universal -sci.com पर मिले आर्टिकल के मुताबिक़ बताया गया है कि, एम्सटर्डम यूएमसी में काम करने वाले शोधकर्ताओं के एक टीम ने दावा किया है कि, उन्होंने इस सवाल का जवाब ढूंढ़ निकाला है। टीम ने बताया है कि, जब कोई व्यक्ति किसी भी वायरस से प्रभावित होता है, तब उस व्यक्ती के शरीर में मौजूद प्रतिरक्षा प्रणाली वायरस से लड़ने के लिए जरूरत के मुताबिक़ शरीर में एंटीबॉडी का उत्पादन करती है। जिनका लक्ष हमलावर वायरस से व्यक्ती की रक्षा करना होता है।

आपको बता दें कि, हमलावर वायरस कितना खतरनाक है उसके मुताबिक़ ही प्रतिरक्षा प्रणाली हमारे शरीर में एंटीबॉडी का निर्माण करती है। लेकिन आपको जानकर हैरानी होगी कि, कोरोना वायरस के मामले में प्रतिरक्षा प्रणाली सभी लोगों के शरीर में जरूरत के मुताबिक़ एंटीबॉडीज का निर्माण नही कर रही है।

यूएमसी इम्यूनोलॉजिस्ट जेरोएन डेन डनन इस बारे ज्यादा जानकारी देते हुए बता रहे हैं कि, अधिकांश लोगों में पाया गया है कि, प्रतिरक्षा प्रणाली कोरोना वायरस से लड़ने के लिए सामान्य तौर पर जितने एंटीबॉडी की शरीर को जरूरत है उतने ही एंटीबॉडी को निर्माण करनी चाहिए।लेकिन वह यहां पर कई गुना ज्यादा एंटीबॉडीज का निर्माण कर रही है और वह भी एंटीबॉडीज ज्यादा सक्रिय और भड़काऊ है।

आपको बता दें कि, प्रतिरक्षा कोशिकाओं के क्षेत्र में विशेषज्ञ रहे मेनो डी विंटर, एंटीबॉडिज के संरनचाओ के बारे में बताते हैं कि, हमारे शरीर में उत्पन्न होने वाले एंटीबॉडीज Y आकार के होते हैं। जिनका उपरी हिस्सा हमलावर वायरस से कनेक्ट होता है और निचला हिस्सा हमारे फेफड़ों के प्रतिरक्षा कोशिकाओं से कनेक्ट होता है। जो इन कोशिकाओं को सक्रिय करते हैं। ताकी वायरस से मुकाबला किया जा सके।

लेकिन कोरोना वायरस से प्रभावित वे लोग जो गंभीर बीमार पड़े हुए हैं। उनके शरीर में शोधकर्ताओ को जो एंटीबॉडीज मिले हैं। उनकी संरचना सामान्य एंटीबॉडीज की संरचना से अलग है। इतना ही नहीं उनके यौगिक गुण भी पूरी तरह से अलग पाए गए हैं।

कोरोना से संक्रमित जीन मरीजों में इस प्रकार के एंटीबॉडीज मिले हैं। वे एंटीबॉडीज मरीज के फेफड़ों में प्रतिरक्षा कोशिकाओं को काफ़ी मजबूती से सक्रिय कर रहे हैं और इसी अति सक्रियता के कारण मरीज को साइटोंकाइन स्टॉर्म हो रहा है।

यहां पढ़े:-

???? साइटोंकाइन स्टॉर्म क्या है? जिससे कोरोना मरीज का अपना ही शरीर उसके खिलाफ़ हो जाता है। 

डेन डनन ने आगे बताया है कि, जब प्रतिरक्षा प्रणाली अति सक्रिय और बहुत अधिक भड़काऊ प्रोटीन को मरीज के शरीर में पैदा करती है, तब यह भड़काऊ प्रोटीन ना केवल वायरस को बल्कि शरीर के अन्य उतको को भी नष्ट करने लग जाता है। इसके अलावा प्रतिरक्षा प्रणाली के अति सक्रिय होने से और बहुत अधिक भड़काऊ प्रोटीन को पैदा करने से शरीर की रक्त वाहिकाए भी फट जाती हैं और फेफड़े तरल पदार्थ से भर जाते है। इसके अलावा प्लेटलेट्स भी आपस में टकराने लगते है। इस सारे घटना क्रम के कारण शरीर में हर जगह खून के थक्के बन जाते है।

जिस कारण कोरोना से पीड़ित रोगी ठीक होने के बजाए और ज्यादा खतरनाक बीमार हो जाता है। यहां तक कि, रोगी को ICU में भी भरती करने की नौबत आ जाती है।

आसान भाषा में समझे तो, शरीर में ज्यादा एंटीबॉडीज बनने से शरीर के बाकी अंग भी कोरोना के कारण प्रभावित हो रहे हैं जिस कारण मरीज ज्यादा बीमार हो रहे हैं और उन्हें इस संक्रमण से बचाने के लिए ICU में भरती करना पड़ रहा है।

दोस्तो यह था इस सवाल का सटीक जवाब। एम्सटर्डम यूएमसी के शोधकर्ताओं के टीम द्वारा इसके पीछे की खोजी गई वजह, हमे यह बताती हैं कि, ज्यादा एंटीबॉडीज का हमारे शरीर में बनना  हमेशा फायदेमंद साबित नही होता है।

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