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सिर्फ महिलाओ को ही क्यो कहा जाता है कि, बाहर मत निकालो जमाना खराब है (Why only women are told that don’t go out, the world is bad)

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सिर्फ महिलाओ को ही क्यो कहा जाता है कि, बाहर मत निकालो जमाना खराब है, Why only women are told that don’t go out, the world is bad


यह कहावत सिर्फ महिलाओं के लिए नहीं है, बल्कि इसे महीला, बच्चे और लड़कियों तीनों के लिए कही जाती है। इसका मतलब होता है कि सुरक्षित रहने के लिए हमें सतर्क रहना चाहिए और घर से बाहर जाने से पहले हमें अपने आसपास के माहौल का भी ध्यान रखना चाहिए। यह संदेश सामाजिक सुरक्षा के अलावा प्रीतृसत्ताक सोच को भी दर्शाता है। जो उनके आज़ादी से जुड़ा मुद्दा है। आखिर क्यों सिर्फ महिलाओ को ही क्यो कहा जाता है कि, बाहर मत निकालो जमाना खराब है। इसके कई कारण मौजुद है। वे कारण कुछ इस तरह के है।

स्त्री सुरक्षा: महिलाओं को दुनिया में सबसे ज्यादा सुरक्षित नहीं माना जाता है। अधिकांश संदर्भों में, महिलाओं को जब भी शामिल होने के लिए बाहर जाना पड़ता है, उन्हें उनकी सुरक्षा के बारे में चिंता करनी पड़ती है।

समाज के मूल्यों और नैतिकता के बारे में: दुनिया भर में कुछ समाजों में महिलाओं को लोगों के नैतिक मूल्यों के संबंध में एक खतरा माना जाता है। इसलिए, उन्हें सावधान रहने की सलाह दी जाती है।

पुरुष संचार: आमतौर पर, लोग यह सोचते हैं कि महिलाएं अधिक संवेदनशील और नरम होती हैं जो उन्हें संचार करने के लिए ज्यादा संवेदनशील बनाता है। इसलिए उन्हें सुरक्षित रखने के लिए आप उन्हें बाहर न जाने की सलाह देते हैं।

समाज की सोच: धार्मिक, सांस्कृतिक और सामाजिक अंगुलियों से महिलाओं को बाहर जाने से रोका जाता है। इसलिए, समाज द्वारा बनाए गए नियमों और अनुशासन के कारण, महिलाओं को अक्सर यह बात सुनाई जाती है कि वे बाहर नहीं निकल सकती।

पुरुष प्रधान व्यवस्था: महिलाओं को खतरे से बचाने के लिए बाहर निकलने से रोका जाता है। यह उनकी सुरक्षा के लिए होता है, लेकिन अक्सर ऐसा बताने के नाम पर पुरुष प्रधान व्यवस्था की सोच हमे दिखाईं देती है और कहा जाता है कि,  भीतर रहना उनके लिए अच्छा होता है।

सामाजिक सोच: सिर्फ महिलाओ को ही कहा जाता है कि, बाहर मत निकालो जमाना खराब है। इसके पीछे का मुख्य कारण सामाजिक सोच है। सामाजिक सोच के अनुसार अक्सर घर में रहने वाली महीला को सुशील, शिलवान या सभ्य समझी जाती हैं। वही बाहर घूमने वाली महिलाओं या लकड़ियों को असभ्य समझा जाता है। आपको बता दें कि, यह सोच वैश्विक रूप से गलत है कि, बाहर मत निकालो, जमाना खराब है।

अंत में हम यही कहते है कि, “बाहर मत निकालो, जमाना खराब है” यह एक दुखद बात है जो सभी लोगों को समान रूप से उल्लेख करती है। यह एक उदाहरण है जहाँ एक अतिरिक्त भेदभाव हम महिलाओं के साथ करते है। इस बात का प्रतिबिम्ब यह है कि महिलाओं को घर से बाहर निकलने से रोका जाता है क्योंकि संसार के लोग उन्हें निर्णय लेने की अनुमति नहीं देते हैं। यह उन्हें असुरक्षित बनाता है और उन्हें उनके स्वाधीनता और आत्मसम्मान के अधिकार से वंचित करता है।

इस तरह का भेदभाव उन्हें भावनात्मक रूप से उजागर करता है और उन्हें उनकी सामाजिक और आर्थिक स्थिति में भी प्रभावित करता है। इसके अलावा, यह उन्हें उनकी पूर्णता को प्रतिबंधित करता है और उन्हें नारी अधिकारों के बारे में अधिक जानने और समझने की अनुमति नहीं देता है।

समाज के निर्माण में सभी लोगों के एक समान योगदान होता है, और हम सभी को उनके स्वतंत्र अधिकारों को समझने और समर्थन करने की जरूरत होती है। दोस्तों हम आशा करता है कि, आपको इस लेख से “सिर्फ महिलाओ को ही क्यो कहा जाता है कि, बाहर मत निकालो जमाना खराब है” इसका जवाब मिल गया होगा। आशा करता हूं आपको यह लेख पसंद आया होगा।

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