Buddha Purnima 2024: क्यों मनाई जाती है बुद्ध पूर्णिमा? जानें तिथि, मुहूर्त और उपाय से लेकर इतिहास
बुद्ध पूर्णिमा क्यों मनाई जाती है
बुद्ध पूर्णिमा जिसे बुद्ध जयंती, बुद्ध पूर्णिमा और वेसाक के नाम से भी जाना जाता है। बुद्ध पूर्णिमा को बौद्ध धर्म के सबसे महत्वपूर्ण त्योहारों में से एक माना जाता है। राजकुमार सिद्धार्थ गौतम जिन्हे भगवान बुद्ध भी कहा जाता है। यह पूर्णिमा खासकर उनके जीवन पहलू से जुड़ी होने से खास मानी जाती हैं। बौद्ध अनुयायी की माने तो, बुद्ध पूर्णिमा के दिन ही भगवान बुद्ध जन्म हुआ था, इतना ही इसी पूर्णिमा के दिन उन्हे ज्ञान की प्राप्ति हुई थी और तो और उनका महापरिनिर्वाण भी इसी पूर्णिमा की तिथी पर हुआ था। यही कारण है कि बुद्ध पूर्णिमा, भगवान बुद्ध के जन्म, ज्ञान प्राप्ति और महापरिनिर्वाण का स्मरण दिवस है। अपने इस विशेष महत्व के वजह से बुद्ध पूर्णिमा बड़े उत्साह के साथ मनाई जाती है। यह त्योहार पूरे दक्षिण, दक्षिण पूर्व और पूर्वी एशिया में बड़े उत्साह के साथ मनाया जाता है।
बुद्ध पूर्णिमा का इतिहास
बौद्ध धर्म उसके प्रचारक, भिक्षु और परंपराओं के अनुसार बुद्ध पूर्णिमा गौतम बुद्ध के जन्म, ज्ञान प्राप्ति और महापरिनिर्वाण (मोक्ष) की तीन महत्वपूर्ण घटनाओं का स्मरण करता है। यह बौद्ध धर्म के अनुयायियों के लिए यह सबसे महत्वपूर्ण त्योहारों में से एक है। पुरातात्विक साक्षो के मुताबिक राजकुमार सिद्धार्थ गौतम का जन्म नेपाल के प्रसिद्ध वनों में से एक लुंबिनी वन में 563 ईसा पूर्व में उनकी मां रानी माया देवी ने अपने पैतृक घर की यात्रा के दौरान दीया था। अर्थात उनकी जन्म दात्री मां रानी माया देवी है। परंतु सिद्धार्थ (गौतम बुद्ध) को जन्म देने के केवल सात दिन बाद ही मायादेवी का निधन हो गया था। इसलिए उनका लालन पालन उनकी मौसी प्रजापति गौतमी ने किया था। उनके पिता का नाम राजा शुद्धोधन था। आपको बता दें कि, 249 ईसा पूर्व के अशोक स्तंभ लुंबिनी में बुद्ध के जन्म स्थल को चिह्नित करता है।
आपको बता दें कि, भगवान गौतम बुद्ध के जन्मदिन का उत्सव बुद्ध पूर्णिमा को मनाया जाता है जो आमतौर पर पश्चिमी ग्रेगोरियन कैलेंडर के अनुसार अप्रैल या मई में हर साल आती है। परंतु कभी कभी लीप साल के चलते इसमें बदलाव होता है और यह जून तक बढ़ जाती है।
महत्वपूर्ण घटनाएं:
जन्म:
- भगवान गौतम बुद्ध का जन्म 563 ईसा पूर्व में लुंबिनी वन या बाग (वर्तमान नेपाल) में हुआ था, जिन्हे महारानी मायादेवी ने सिद्धार्थ नाम के शिशु को जन्म दिया था।
- गौतम बुद्ध के जन्म के इस घटना को बुद्ध जयंती के रूप में पूरे विश्व में मनाया जाता है।
ज्ञान प्राप्ति:
- गौतम बुद्ध को अपनी 35 वर्ष की आयु में, बोध गया (वर्तमान बिहार) में बोधि वृक्ष के नीचे बैठकर ध्यान करते समय उन्हें कैवल्य ज्ञान प्राप्त हुआ था।
- ज्ञान प्राप्ती के इस घटना को बुद्ध बोधि दिवस के रूप में मनाया जाता है।
महापरिनिर्वाण:
- गौतम बुद्ध का 80 वर्ष की आयु में, कुशीनगर (वर्तमान उत्तर प्रदेश) में साल वृक्षों के निचे महापरिनिर्वाण प्राप्त हुआ था।
- गौतम बुद्ध के इस मृत्यु घटना को बुद्ध महापरिनिर्वाण दिवस के रूप में मनाया जाता है।
बुद्ध पूर्णिमा कब है
बुद्ध पूर्णिमा तिथि 2024 की बात करें तो, 2024 में बुद्ध पूर्णिमा गुरुवार, 23 मई 2024 को मनाई जाएगी।
तिथि और मुहूर्त:
बुद्ध पूर्णिमा के तिथि और मुहूर्त की बात करें तो, बुद्ध पूर्णिमा तिथि और मुहूर्त कुछ इस प्रकार है:
वैशाख पूर्णिमा तिथि शुरू – 22 मई 2024, शाम 06.47
वैशाख पूर्णिमा तिथि समाप्त – 23 मई 2024, रात 07.22
स्नान का मुहूर्त: सुबह 5:16 बजे से 6:51 बजे तक है।
पूजा का मुहूर्त: सुबह 10:29 बजे से 12:05 बजे तक है।
ध्यान का मुहूर्त: सुबह 9:00 बजे से 10:30 बजे तक है।
उपाय:
पंचशील का पालन: बुद्ध पूर्णिमा के मौके पर आप अहिंसा, सत्य, अस्तेय, ब्रह्मचर्य और अपरिग्रह के पांच नैतिक सिद्धांतों का पालन जरुर करें।
दस परमियों का अभ्यास: बुद्ध पूर्णिमा के मौके पर आप दान, शील, क्षमा, सत्य, प्रेम, करुणा, धैर्य, वीरता, शील और प्रज्ञा के दस गुणों का भी अभ्यास जरुर करें।
अष्टांगिक मार्ग का अनुसरण: बुद्ध पूर्णिमा के मौके पर आप सम्यक दर्शन, सम्यक संकल्प, सम्यक वाणी, सम्यक कर्म, सम्यक आजीविका, सम्यक प्रयास, सम्यक स्मृति और सम्यक समाधि के आठ गुन मार्ग का अनुसरण भी जरुर करें।
बुद्ध पूर्णिमा का महत्व
बुद्ध पूर्णिमा का धार्मिक, सामाजिक और मानवीय महत्व है। जो कुछ इस प्रकार है:
धार्मिक महत्व:
- ज्ञान और मोक्ष का प्रतीक: आपको जानकर ख़ुशी होगी कि, बुद्ध पूर्णिमा को ज्ञान और मोक्ष प्राप्ति का खास प्रतीक माना जाता है। यह दिन मानव जाती को सिखाता है कि हम सभी में बुद्धत्व प्राप्त करने की असीम क्षमता है।
- करुणा और शांति का संदेश: बुद्ध पूर्णिमा सभी मानव जाती को करुणा और शांति का संदेश भी देती है। यह पूर्णिमा हमें सिखाती है कि हमें सभी जीवों के प्रति प्रेम और करुणा भाव रखना चाहिए।
- अहिंसा और सदाचार का मार्ग: इसके अलावा बुद्ध पूर्णिमा हमें अहिंसा और सदाचार का मार्ग पर चलने की राह दिखाती है। यह पूर्णिमा हमें सिखाती है कि हमें मतलब सभी मानव जाती को सदैव सत्य बोलना चाहिए, कभी भी चोरी नहीं करनी चाहिए, हमेशा ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए, और तो और हमें लोभ से भी बचना चाहिए।
सामाजिक महत्व:
- समानता और बंधुत्व का प्रतीक: बुद्ध पूर्णिमा समानता और बंधुत्व का खास प्रतीक मानी जाती है। यह हमें सिखाती है कि सभी लोग वो फिर किसी भी धर्म, पंथ, जाती के हो उन्हे कभी भी जाति, धर्म, लिंग, या सामाजिक स्थिति के आधार पर भेदभाव नहीं करना चाहिए।
- सामाजिक न्याय और कल्याण का संदेश: इसी के साथ ही बुद्ध पूर्णिमा सामाजिक न्याय और कल्याण का संदेश भी पूरी दुनियां को देती है। यह पुर्णिमा हमें सिखाती है कि हमें हमेशा जरूरतमंदों की मदद करनी चाहिए और समाज में जरुरी कल्याणकारी कार्य करने चाहिए।
- शिक्षा और जागरूकता का महत्व: बुद्ध पूर्णिमा शिक्षा और जागरूकता का महत्व दिखाती है। यह पूर्णिमा हमें दिखाती है कि हमें अज्ञानता को दूर करने और ज्ञान प्राप्त करने का अपने जीवन में हमेशा प्रयास करना चाहिए।
मानवीय महत्व:
- ज्ञान: भगवान गौतम बुद्ध ने ज्ञान प्राप्ती की थी इसलिए बुद्ध पूर्णिमा हमें ज्ञान के महत्व का स्मरण कराती है। यह हमें सिखाती है कि जीवन में अज्ञानता ही दुख का कारण है और ज्ञान ही जीवन में मुक्ति का मार्ग है।
- करुणा: बुद्ध पूर्णिमा हमें सभी जीवों पर करुणा और प्रेम करने का महत्व सिखाती है। यह सिखाती है कि हमें सभी जीवों के प्रति हमेशा दयालु और करुणामय रहना चाहिए।
- शांति: बुद्ध पूर्णिमा हमें शांति का संदेश सिखाती है। यह पूर्णिमा हमें सिखाती है कि हमें अपने मन को नियंत्रित करना चाहिए और क्रोध, लोभ, और मोह से जीवन को मुक्त रखना चाहिए।
निष्कर्ष:
आपको बता दें कि, बुद्ध पूर्णिमा केवल एक धार्मिक त्योहार ही नहीं है, बल्कि यह पूर्णिमा ज्ञान, करुणा, शांति, समानता, भाईचारा, और अहिंसा का संदेश पूरे विश्व को देती है। यह पूर्णिमा हमें एक बेहतर इंसान बनने और दुनिया का कल्याण करने को सिखाती हैं।