Hindu Dharm ke anusar Sanatani hindu ko kitne bacche paida karna chahiye: इन दिनों बहुत से नेता अपने भाषणों में यह कह रहे है कि, सनातनी हिंदुओ को भी मुस्लिमों की तरह ही 10 से 12 बच्चे पैदा करना चाहिए। लेकीन क्या यह अच्छा कदम है। आर्थिक और एक सभ्य समाज के तौर पर देखे तो, यह सही नहीं है। लेकीन क्या ये सवाल आपके भी मन में आता है कि, दरअसल हिंदू धर्म के मुताबिक़, हिंदुओं को कितने बच्चे पैदा करने चाहिए? आपको बता दें कि, इस सवाल के जवाब में कई बार अलग-अलग तरह के बयान कथा वाचको द्वारा यहां तक कि, कुछ धर्म गुरुओं के द्वारा कहे गए हैं। सुप्रसिद्ध कथा वाचक देवकीनंदन ठाकुर ने जबलपुर में अपने एक कथा के दौरान कहा था कि ‘हिंदुओं को 5-5 बच्चे पैदा करने चाहिए।’ वहीं कभी हिंदू महिलाओं को कम से कम 4-4 बच्चे पैदा करने की बात कही गई है। जिससे यह कन्फ्यूजन और बढ़ जाता है कि, कि, हिंदुओं को कितने बच्चे पैदा करने चाहिए? क्या आप भी इस सवाल से परेशान हैं। यदी हां तो, इस सवाल का बहुत ही तर्कशुद्ध जवाब ज्योतिर्मठ शंकराचार्य स्वामिश्री अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने दीया है।
जब ज्योतिर्मठ शंकराचार्य स्वामिश्री अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती जी को जब इसके बारे में पूछा गया तो उन्होंने ये बताया है कि, धर्म और शास्त्रों के अनुसार एक सनातनी दंपत्ति को आखिर कितने बच्चे पैदा करने चाहिए. आइए बताते हैं कि उन्होंने इस सवाल का क्या जवाब दिया.
‘बहु पुत्रवति भव’
शंकराचार्य स्वामिश्री अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने इस सवाल के जवाब में कहा है कि, ‘हमारे यहां बहु को ‘पुत्रवति भव’ ये आशीर्वाद हमेशा से दिया जाता है। ‘बहु’ का मतलब होता है बहुवचन। आगे अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने कहा कि, आपकी हिंदी में एक वचन और बहुवचन होते हैं। यानी 2 भी हो तो वो बहुवचन हो जाता है। लेकिन संस्कृत में एक वचन, द्विवचन और बहुचन होते हैं। यानी तीन वचन होने पर ही उसे बहुचन कहा जाता है। इसका अर्थ है कि तीन बच्चे तो होने ही चाहिए। बहु पुत्रवति में ‘बहु’ शब्द इसी बात को दर्शाता है।’
सनातन हिंदू धर्म में भ्रूण हत्या पाप है
अपने जवाब में शंकराचार्य स्वामिश्री अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती आगे कहते हैं कि, ‘हमारे यहां बच्चे को लेकर पहले नियोजन (प्लानिंग) नहीं किया जाता था। ये माना जाता था कि सहज में जब गर्भ धारण हो जाए तो संतान को जन्म लेने का पूरा अधिकार है। अब ऐसी परिस्थिति हो रही है कि गर्भधारण तो हो रही है, लेकिन उसकी भ्रूण हत्या भी हो रही है। और शास्त्रों में भ्रूण हत्या को मनुष्य की हत्या के समान ही माना गया है। अपने जवाब में वे कहते हैं कि, सबसे पहले तो सनातनी दंपत्ति को भ्रूण हत्या नहीं करनी चाहिए।’ वह कहते हैं कि, ‘अगर धार्मिक दृष्टिकोण से देखें तो जितने भी पुत्र या पुत्रियां हों, वह सब स्वागत के योग्य होते हैं।’
अर्थात शंकराचार्य स्वामिश्री अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती की बातो को समझे तो, हमें यह समझ में आता है कि, एक सनातनी हिंदू को कम से कम तीन बच्चे और ज्यादा से ज्यादा अपने मन मुताबिक बच्चे पैदा करने चाहिए।