अगर नेहरू की जगह बाबा साहेब भारत के पहले प्रधान मंत्री होते तो देश कैसा होता google AI ने दीया इसका सही जवाब।
नेहरू जी को भारत में राजनीती हमेशा से होती आई है। आज भी 2024 मे भी BJP नेहरू जी के बारे अपनी अलग अलग राय रख रही है और बता रही है कि, कैसे नेहरू जी की नीतियों ने देश का नुक़सान हुआ है। सिर्फ राजनेता ही नहीं बल्कि देश का एक बहुत बड़ा वर्ग देश में आज जो कुछ समस्याएं हैं उनके लिए नेहरू जी को जिम्मेदार मानते हैं।
इसी के चलते हमने आज एक सवाल google AI जिसे पहले google bard कहा जाता था पर आज उसे Gemini कहा जाता है। यह एक chatgpt की तरह ही AI tool है। जो हर तरह की जानकारी देने का काम करता है।
इसलिए हमने उसे एक question पूछा कि, अगर नेहरू की जगह बाबा साहेब भारत के पहले प्रधान मंत्री होते तो देश कैसा होता? आपको जानकर हैरानी होगी कि, बाबासाहेब जी कार्यों, उनके विचार और उनके पढ़ाई के आधार पर गजब का जवाब google AI ने हमे दीया है।
Google AI Gemini ने हमे तीन तरह से अपना जवाब दिया है जो कुछ इस प्रकार के है:
Google AI Gemini द्वारा दीया गया पहला जवाब
यह सवाल काल्पनिक है और निश्चित रूप से कहना मुश्किल है कि अगर बाबा साहेब अंबेडकर भारत के पहले प्रधानमंत्री होते तो देश कैसा होता।
हालांकि, हम उनकी विचारधारा और कार्यों के आधार पर कुछ अनुमान लगा सकते हैं:
सामाजिक न्याय और समानता पर ज़ोर:
अंबेडकर जाति व्यवस्था और सामाजिक भेदभाव के प्रबल विरोधी थे। वे सभी नागरिकों के लिए समान अधिकार और अवसरों के पक्षधर थे।
यह संभव है कि अगर वे प्रधानमंत्री होते, तो वे सामाजिक न्याय और समानता को बढ़ावा देने के लिए नीतियां लागू करते, जैसे कि दलितों और अन्य पिछड़े वर्गों के लिए आरक्षण, समान शिक्षा और रोजगार के अवसर, और जाति-आधारित भेदभाव कानूनों का सख्ती से लागू करना।
मजबूत संवैधानिक लोकतंत्र:
अंबेडकर भारतीय संविधान के मुख्य शिल्पी थे, और वे संवैधानिक लोकतंत्र और कानून के शासन में दृढ़ विश्वास रखते थे।
यह संभव है कि अगर वे प्रधानमंत्री होते, तो वे संवैधानिक संस्थाओं को मजबूत करते और स्वतंत्र न्यायपालिका, मजबूत चुनाव आयोग और जवाबदेह सरकार को बढ़ावा देते।
आर्थिक विकास और सामाजिक कल्याण:
अंबेडकर एक अर्थशास्त्री भी थे और उनका मानना था कि आर्थिक विकास और सामाजिक कल्याण एक दूसरे से जुड़े हुए हैं।
यह संभव है कि वे गरीबी उन्मूलन, शिक्षा और स्वास्थ्य सेवा में सुधार, और ग्रामीण विकास पर ध्यान केंद्रित करते हुए मिश्र अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने वाली नीतियां लागू करते।
अंतरराष्ट्रीय संबंध:
अंबेडकर एक अंतरराष्ट्रीय विद्वान थे और वे शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व और बहुपक्षवाद में विश्वास रखते थे।
यह संभव है कि वे गुटनिरपेक्ष आंदोलन में भारत की सक्रिय भागीदारी को जारी रखते हुए पड़ोसी देशों के साथ मैत्रीपूर्ण संबंधों और अंतरराष्ट्रीय समुदाय में सहयोग को बढ़ावा देते।
यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि ये केवल अनुमान हैं, और यह निश्चित रूप से कहना असंभव है कि क्या होता अगर अंबेडकर प्रधानमंत्री होते।
हालांकि, उनके विचार और कार्य भारत के विकास पर निश्चित रूप से एक महत्वपूर्ण प्रभाव डालते थे, और उनका नेतृत्व भारत को एक अलग दिशा में ले जा सकता था।
Google AI Gemini द्वारा दीया गया दूसरा जवाब
यह एक काल्पनिक प्रश्न है, और निश्चित रूप से कहना मुश्किल है कि अगर बाबासाहेब भारत के पहले प्रधानमंत्री होते तो देश आज कैसा होता।
हालांकि, हम कुछ संभावित परिदृश्यों पर विचार कर सकते हैं:
सामाजिक न्याय और समानता:
बाबासाहेब दलितों और अन्य वंचित समुदायों के उत्साही समर्थक थे। यदि वे प्रधानमंत्री होते, तो वे सामाजिक न्याय और समानता को बढ़ावा देने के लिए नीतियों को लागू करने पर ध्यान केंद्रित करते।
जाति व्यवस्था का उन्मूलन और सभी नागरिकों के लिए समान अधिकार सुनिश्चित करने के लिए कठोर प्रयास किए जाते।
यह संभव है कि भारत में सामाजिक न्याय और समानता के स्तर में उल्लेखनीय सुधार हुआ होता।
आर्थिक विकास:
बाबासाहेब एक शिक्षित अर्थशास्त्री थे और उन्होंने मिश्र अर्थव्यवस्था की अवधारणा का समर्थन किया था।
यदि वे प्रधानमंत्री होते, तो वे शायद मिश्र अर्थव्यवस्था पर ध्यान केंद्रित करते, जिसमें सार्वजनिक और निजी क्षेत्र दोनों की भूमिका होती।
यह संभव है कि भारत का आर्थिक विकास तेजी से होता और देश अधिक समृद्ध होता।
राजनीतिक स्थिरता:
बाबासाहेब एक कुशल वकील और संविधान निर्माता थे।
यदि वे प्रधानमंत्री होते, तो वे संविधान और लोकतांत्रिक संस्थानों को मजबूत करने पर ध्यान केंद्रित करते।
यह संभव है कि भारत में राजनीतिक स्थिरता अधिक होती और कम भ्रष्टाचार होता।
विदेश नीति:
बाबासाहेब अंतरराष्ट्रीय मामलों में गैर-संरेखण की नीति के समर्थक थे।
यदि वे प्रधानमंत्री होते, तो वे शायद गैर-संरेखण की नीति को जारी रखते और भारत को विश्व मामलों में एक स्वतंत्र भूमिका निभाने का प्रयास करते।
यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि ये केवल संभावित परिदृश्य हैं।
यह निश्चित रूप से कहना असंभव है कि अगर बाबासाहेब भारत के पहले प्रधानमंत्री होते तो देश आज कैसा होता।
हालांकि, इसमें कोई संदेह नहीं है कि वे एक दूरदर्शी नेता थे जिसके कारण वे भारत के विकास पर गहरा प्रभाव डालते।
Google AI Gemini द्वारा दीया गया तीसरा जवाब
यह एक काल्पनिक प्रश्न है, और निश्चित रूप से कहना मुश्किल है कि अगर बाबासाहेब भारत के पहले प्रधानमंत्री होते तो देश कैसा होता।
हालांकि, हम उनकी विचारों और कार्यों के आधार पर कुछ संभावित परिणामों का अनुमान लगा सकते हैं:
सामाजिक न्याय और समानता: बाबासाहेब जाति व्यवस्था और सामाजिक भेदभाव के कट्टर आलोचक थे। प्रधानमंत्री के रूप में, वे शायद दलितों और अन्य पिछड़े वर्गों के अधिकारों को बढ़ावा देने के लिए नीतियां लागू करते, जैसे आरक्षण और भूमि सुधार।
धर्मनिरपेक्षता: बाबासाहेब एक धर्मनिरपेक्ष समाज के प्रबल समर्थक थे। वे शायद धार्मिक स्वतंत्रता और सभी धर्मों के समान सम्मान को बनाए रखने पर ध्यान केंद्रित करते।
आर्थिक विकास: बाबासाहेब एक शिक्षित अर्थशास्त्री थे और उन्होंने मिश्रित अर्थव्यवस्था का समर्थन किया। वे शायद ग्रामीण विकास और गरीबी उन्मूलन पर ध्यान केंद्रित करते हुए आर्थिक विकास को बढ़ावा देने वाली नीतियां लागू करते।
शिक्षा: बाबासाहेब शिक्षा को सामाजिक परिवर्तन का एक शक्तिशाली साधन मानते थे। वे शायद शिक्षा को सभी के लिए सुलभ और सस्ती बनाने के लिए नीतियां लागू करते, खासकर दलितों और महिलाओं के लिए।
अंतरराष्ट्रीय संबंध: बाबासाहेब अंतर्राष्ट्रीय शांति और सहयोग के समर्थक थे। वे शायद गुटनिरपेक्ष आंदोलन में भारत की भूमिका को मजबूत करते और अन्य देशों के साथ मैत्रीपूर्ण संबंधों का निर्माण करते।
यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि ये केवल अनुमान हैं। बाबासाहेब के नेतृत्व में भारत कैसा होता, यह निश्चित रूप से कहना असंभव है।
हालांकि, उनकी विचारधारा और कार्यों से पता चलता है कि वे एक दूरदर्शी नेता होते जिन्होंने भारत को एक अधिक न्यायपूर्ण, समान और समृद्ध देश बनाने के लिए काम किया होता।
गूगल एआई Gemini द्वारा ये तिन जवाब दिए गए हैं। इन जवाबो को पढ़कर यही लगता है कि, अगर नेहरू की जगह बाबा साहेब भारत के पहले प्रधान मंत्री होते तो देश आज के मुकाबले ज्यादा विकसित, जातिगत भेदभाव से मुक्त, विश्व पटल पर अपनी बात पुरजोर के साथ उठाने वाला भ्रष्टाचार से मुक्त, मजबूत लोकतांत्रिक और न्यायप्रिय देश होता।
Google AI Gemini द्वारा दिए गए इन जवाबो को पढ़कर आपको क्या लगता है हमारा देश कैसा होता? हमें कमेंट बॉक्स में जरुर बताए।