नमस्कार! आज हम एक ऐसे रहस्य को उजागर करने जा रहे हैं जिसे पढ़कर आप दंग रह जाएंगे। यह रहस्य है ब्रह्मा जी की आयु का रहस्य।
जैसा कि हम जानते हैं कि ब्रह्मा जी को सृष्टि के रचयिता कहा जाता हैं, जिन्होंने ब्रह्मांड को जन्म दिया और सभी जीवों को बनाया। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि उनकी आयु कितनी है?
इस ब्लॉग पोस्ट में, हम ब्रह्मा जी के एक दिन की अवधि, उनके जीवनकाल और हिंदू धर्मग्रंथों में वर्णित ब्रह्मांड के अनंत कालचक्र के बारे में रोचक जानकारी साझा करेंगे।
आप तो जानते ही होंगे कि, हिंदू धर्म में काफी रहस्यमयी बाते छिपी हुई है। इन रहस्यमयी बातों को सुलझाने का और समझने का प्रयास आज भी वर्तमान में दुनियाभर के विशेषज्ञ करते रहते है। हमें भी अपने हिंदू धर्म से जुड़ी जानकारी जानने में काफी अच्छा लगता है। तो आइए जानते है सृष्टी के रचियता ब्रम्हाजी के आयु के बारे में।
कल्पना कीजिए, एक दिन जो 8,320,000,000 मानव वर्षों के बराबर हो! जी हाँ, आपने सही पढ़ा, यह ब्रह्मा जी के एक दिन की अवधि है। हिंदू पौराणिक कथाओं में, भगवान ब्रह्मा, सृष्टि के रचयिता, का जीवनकाल इसी अकल्पनीय पैमाने पर मापा जाता है।
हिंदू धर्मग्रंथों में समय और सृष्टि की उत्पत्ति के बारे में व्यापक विवरण दिया गया है। इन ग्रंथों के अनुसार, ब्रह्माजी को सृष्टि के रचियता माना जाता है और उनके आयु की कालगणना अत्यंत विस्तृत और जटिल है, जिसे समझने के लिए हमें विभिन्न युगों, मन्वंतर, कल्प और ब्रह्मवर्षों के बारे में जानना आवश्यक है। तभी हम ब्रम्हा जी की उम्र और ब्रह्मा का 1 दिन कितने दिन का होता है? यह जान सकेंगे।
दिव्यवर्ष और देवताओं की आयु
आधुनिक कालगणना के अनुसार हमारा एक वर्ष 365 दिनों का होता है। लेकिन हिंदू कालगणना के नुसार एक वर्ष 360 दिनों का होता है। इसे हिंदू धर्म में मानव वर्ष भी कहा जाता है। समयानुसार इसमें बढ़त-घटत का बदलाव होता रहता हैं। हमारे एक वर्ष को देवताओं और दैत्यों के एक दिन के बराबर माना जाता है।
- मतलब 1 मानव वर्ष = देवताओं का 1 दिन
जैसा कि हमारे एक वर्ष को हिंदू धर्मग्रंथों के अनुसार एक मानव वर्ष कहा जाता है। ठीक इसी तरह देवताओं के एक वर्ष को एक “दिव्यवर्ष” कहा जाता है। देवताओं का एक दिव्यवर्ष मनुष्य के 360 वर्षों के बराबर होता है।
- मतलब 360 मानववर्ष = 1 दिव्यवर्ष
हिंदू धर्म के अनुसार मनुष्यों की आयु 100 वर्ष की मानी जाती है। और देवताओं की आयु समान्यत: 1000 दिव्यवर्ष बताई गई है।
- मतलब 360000 मानववर्ष = देवताओं की आयु
चार युगों की अवधारणा
हिंदू कालगणना के अनुसार, समय को चार युगों में विभाजित किया हुआ है।
- १) सतयुग २) त्रेतायुग ३) द्वापरयुग ४) कलियुग
इन चार युगों में “सतयुग” सबसे बड़ा युग है। इस युग का पूर्णकाल 4800 दिव्यवर्षों का है। अर्थात यह युग हमारे 1,728,000 मानववर्ष के बराबर है।
- मतलब सतयुग:- 4800 दिव्यवर्ष = 1,728,000 मानववर्ष
सतयुग से 1200 दिव्यवर्ष छोटा ‘त्रेतायुग’ है। त्रेतायुग का पूर्णकाल 3600 दिव्यवर्ष का होता है। अर्थात यह मनुष्य के 1,296,000 मानव वर्षों के बराबर का है।
- त्रेतायुग:- 3600 दिव्यवर्ष = 1,296,000 मानववर्ष
त्रेतायुग से 1200 दिव्यवर्ष छोटा ‘द्वापरयुग’ होता है। द्वापरयुग का कार्यकाल 2400 दिव्यवर्ष का होता है। मतलब मनुष्य के 864,000 मानव वर्ष के बराबर होता है।
- द्वापरयुग:- 2400 दिव्यवर्ष = 864,000 मानववर्ष
इन चार युगों में सबसे छोटा युग ‘कलियुग’ होता है। इस युग का समय काल 1200 दिव्यवर्ष का होता है। मतलब हमारे 432,000 मानववर्ष के बराबर होता है।
- कलियुग:- 1200 दिव्यवर्ष = 432,000 मानववर्ष
इन चारों युगों को मिलाकर जो युग बनता है, उसे “महायुग” कहते है। यह महायुग 12,000 दिव्यवर्षों का होता है। अर्थात यह मनुष्य के 4,320,000 मानव वर्ष के बराबर होता है।
- 1 महायुग = 12,000 दिव्यवर्ष = 4,320,000 मानववर्ष
मन्वंतर और कल्प
71 महायुगों को मिलाकर एक “मन्वंतर” बनता है। एक मन्वंतर में एक मनु शासक होता है। इसी एक मन्वंतर का कुल समय 306,720,000 मानववर्षों के बराबर होता है।
- 1 मन्वंतर = 71 महायुग = 306,720,000 मानववर्ष
इस तरह से एक कल्प में कुल 14 मन्वंतर है। अर्थात 14 मन्वंतर मिलकर एक कल्प बनता हैं। एक कल्प का समय 1,000 महायुगों के बराबर होता है, जो 4,320,000,000 मानववर्षों के बराबर होता है।
- 1 कल्प = 14 मन्वंतर = 4,320,000,000 मानववर्ष
ब्रह्माजी का एक दिन
जैसा कि हमने जाना कि एक कल्प १४ मन्वंतर के बराबर होता है। या फिर एक कल्प एक हजार महायुगों के बराबर होता है। अब जब बात ब्रह्माजी के दीन की हो रही है तो, आपको बता दें कि, ब्रम्हाजी का दिन एक कल्प के बराबर होता है। उसी तरह ब्रम्हाजी की रात्री भी एक कल्प की होती है। मतलब ब्रम्हाजी का पूर्ण एक दिन (दिन और रात) २ कल्पों का होता है और एक कल्प का पूर्णकाल मनुष्य के 4,320,000,000 मानववर्ष के बराबर है।
- ब्रम्हा का पूर्ण एक दिन:- २ कल्प = ८,३२०,०००,००० मानववर्ष
पुरानों के अनुसार एक कल्प के बाद पृथ्वी पर महाप्रलय आता है और पृथ्वी जलमग्न होती है।
ब्रह्माजी की आयु
ब्रह्माजी की आयु 100 ब्रह्मवर्षों की होती है। ब्रम्हा के एक वर्ष को ब्रम्हा का “ब्रम्हवर्ष” कहा जाता है और एक ब्रह्मवर्ष 720 कल्पों का होता है, जो 3,110,400,000,000 मानववर्षों के बराबर होता है।
- 1 ब्रह्मवर्ष = 720 कल्प = 3,110,400,000,000 मानववर्ष
आपको बता दें कि, धर्म ग्रंथो के अनुसार ब्रम्हाजी की आयु को दो भागो में विभाजित किया जाता है। यह दोनों भाग 50-50 वर्षों के होते हैं। जब ब्रम्हाजी का एक भाग अर्थात ब्रम्हाजी के जब ५० वर्ष पूरे होते है। तब उसे “परार्ध” कहा जाता है। एक परार्ध 36,000 कल्पों का होता है, जो 155,520,000,000,000 मानववर्षों के बराबर होता है।
- 1 परार्ध = 50 ब्रह्मवर्ष = 155,520,000,000,000 मानववर्ष
जब ब्रम्हा के 100 वर्ष पूरे होते है। तब उसे महाकल्प कहा जाता है। यह महाकल्प दो परार्ध का होता है। मतलब 1 महाकल्प 72,000 कल्पों का होता है। इस महाकल्प का कार्यकाल, मनुष्य के मानव वर्ष के अनुसार 311,040,000,000,000 वर्षों का होता है। (31 नील 10 खरब 40 अरब मानववर्ष)
- महाकल्प = 2 परार्ध = 311,040,000,000,000 मानववर्ष
प्राकृत प्रलय
हिंदू धर्मग्रंथों के अनुसार जब ब्रम्हाजी के 100 वर्ष पूरे होते हैं। तब उनकी मृत्यु हो जाती है और ब्रम्हांड पूर्ण रूप से नष्ट हो जाता है। इस घटना को “प्राकृत प्रलय” के नाम से जाना जाता है। पुरानों के अनुसार यह घटना ब्रम्हा के 100 वर्ष पूरे होने पर घटित होती है।
निष्कर्ष
हिंदू धर्म की कालगणना जटिल और विस्तृत है। ब्रह्माजी की आयु, उनके दिन और रात, और समय की विस्तृत गणना हमें ब्रह्मांड के असिमित और चिरंतन स्वरूप के बारे में बताती है। यह गणना न केवल धार्मिक और आध्यात्मिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि समय के व्यापक और विस्तृत दृष्टिकोण को भी दर्शाती है।
इस लेख में दी गई जानकारी में अगर कुछ त्रुटि नज़र आती है। तो उसके लिए हम क्षमा प्रार्थी है। हमारा मकसद किसी का दिल दुखाना या गलत जानकारी देना बिलकुल नहीं है। बल्की ऐसी जानकारी देना है जो सिर्फ़ हमे भारत के धर्म ग्रंथो मे ही मिलती है। जिसकी कल्पना दुनियां का कोई भी देश नही कर सकता। इस जानकारी से आप समझ सकते है कि, हमारे पूर्वजों को ब्रम्हांड का ज्ञान किस लेवल था। जिसे दुनियां अब जान रही हैं और खुद को सर्व श्रेष्ठ बताने की कोशिश कर रही है।