पढ़कर दंग रह जाएंगे आप, पाद के कितने प्रकार होते हैं (pad ke kitne prakar hote hain)

हाई दोस्तों! कैसे हो आप अभी, आशा करता हूं आप अभी अच्छे होंगे, बहुत दिनों से पाद (pad) को लेकर विस्तार से आपको बताने के बारे में सोच रहा था। क्युकी बहुत कम लोग इसके बारे में बताने में कतराते है। हालाकि हर कोई इसके बारे में पढ़ना जरुर चाहता है। ऐसे ही एक दीन गूगल पर टहल रहा था। तभी मैंने गुगल पर सर्च क्यूरी में पाद के कितने प्रकार होते हैं, pad kitne prakar ke hote hain, pad ke prakar ये प्रश्न देखे जिसके बारे में गूगल बता रहा था कि, लोग यह भी सर्च करते हैं।

जैसे ही मुझे यह जानकारी मिली, वैसे ही मै इसके बारे में लोगों में जागरूकता फैलाने के लिए निकल पड़ा और पाद के कितने प्रकार होते हैं (pad kitne prakar ke hote hain) इसके बारे में जानकारी जुटाने लगा अंत में मैंने जो जानकारी निकाली उसके अनुसार पाद के पांच प्रकार नही बल्कि कुल 8 प्रकार है। जिसके बारे में मै आपको इसी पोस्ट में बताऊंगा। तो चलिए शुरु करते हैं और जानते हैं पाद के कितने प्रकार होते हैं (pad kitne prakar ke hote hain)। और एक बात जो मै आपको बताना चाहता हूं कि, इन पादो के प्रकार पढ़ने के बाद आपको बहुत आनंद आएगा।

पाद के कुल आठ प्रकार है:

जैसा कि, मैंने आपको बताया है कि, पादो के दो तीन नही बल्कि कुल आठ प्रकार हमें मिले हैं। जो कुछ इस प्रकार के है।

भोंपू पाद

पाद के जो दस प्रकार है उनमें जो पहला पाद का प्रकार है वह है भोंपू पाद। पाद के इस प्रकार को “पादों का राजा” भी कहा जाता है। हमारे जो पूर्वज है इसे उत्तम पाद भी कहते थे। पाद का यह प्रकार एक तरह से घोषणात्मक और मर्दानगी भरा होता है। इसमें आवाज ज्यादा और बदबू कम होती है। अतएव जितनी जोर का आवाज उतनी कम बदबू इसमें पाई जाती है।

शहनाई पाद

पाद का यह दुसरा प्रकार है। शहनाई पाद को हमारे पूर्वज मध्यमा भी कहते थे। इस शहनाई पाद से आवाज निकलती है ठें ठें या कहें पूंऊऊऊऊऊ! यह पाद काफी मनमोहक और कानों को भा ने वाली होती है। जैसे ही इस पाद की गूंज हमारे कानों पर पड़ती है वैसे ही व्यक्ती अपने सारे गम भुलाकर हसने लगता है।

खुरचनी पाद

खुरचनी पाद, पाद का यह तीसरा प्रकार या फिर हम कह सकते है कि, पाद का तीसरा रूप है। खुरचनी, जिसकी आवाज पुराने कागज के फटने जैसी या फिर सरसराहट जैसी होती है।। यह एक बार में नई निकलती है। यह एक के बाद एक कई ‘पिर्र पिर्र पिर्र पिर्र’ की आवाज के साथ रुक रुक कर आती है। ऐसा कहा जाता है कि, यह ज्यादा गरिष्ठ खाने से होता है।

तबला पाद

पादों के दस प्रकारों में से तबला पाद चौथे स्थान पर आता है।  आपको जानकर हसी आएंगी कि, तबला पाद बिलकुल तबले जैसा होता है। जैसे तबला वादक बीच बीच में फट फट के साथ किसी विषय पर चर्चा हो रही है तब बीच बीच में बजाता है ना यह ठीक उसी तरह का है। यह अपनी उद्घोषणा केवल एक फट के आवाज के साथ करता है।। तबला एक खुदमुख्तार पाद है क्योंकि यह अपने मालिक के इजाजत के बगैर ही निकल जाता है। क्युकी यह खुद का मालिक खुद होता है। मान लो यदी कोई लोगों के बिच में बैठा और अचानक से तबला पाद निकल पड़ा तो, वह बेचारा लोगों के सामने शर्म से पानी पानी हो जाता है। इतना खतरनाक है यह पाद का प्रकार।

बुलेट पाद

पाद का यह पांचवा प्रकार मार्केट में बिलकुल नया नया है। हालाकि पाद का यह प्रकार कई हजारों सालों से धरती पर मौजुद है। लेकिन उसका नामकरण अभी तक नही हुआ था। जिसका हमने इस पोस्ट में नामकरण कर डाला है। बुलेट पाद बिलकुल बुलेट बाइक की आवाज़ की तरह फट फट फट फट फट फट……. होती है। यह काफी कम मौके में सुनाई देती है। क्युकी इस पाद पर, पादने वाले व्यक्ती का पूरा नियंत्रण होता है। जब यह आती है तो पादने वाला व्यक्ति इसे दबाकर इसका गला घोंट देता है। जिसके चलते यह काफी कम समय में सुनने को मिलता है। लेकिन कोई पादने वाला व्यक्ति यदी बेशर्म स्वभाव का है, तो वह इसे बिलकुल भी नहीं रोक कर रखता है। वह इसे निकाल ही देता है।

ठुसकी पाद

यह पाद का 6 वा रूप या प्रकार है। इसमें आवाज़ कम बदबू ज्यादा होती है। नाम से तो आपने इसके आवाज़ का अंदाजा तो लगाया ही होगा। फिर भी हम आपके जानकारी के लिए बता देते हैं कि, ठुसकी पाद की गूंज ठुस्सssssss…. ऐसी होती है। यह गूंज अपनी आवाज के साथ बदबू लेकर चलती है। यदी कोई व्यक्ति यह पाद छोड़ता है तो, आपके पास इससे बचने के लिए केवल 10 सेकंड का समय होता है। इन 10 सेकंड में आपको वहा से दूर जाना होता है। यदी दूर जाने में कामयाब होते है तो आप इसके बदबू से बच सकते है। नही तो फिर आप गए।

फुस्कीं

फुस्कीं यह एक निःशब्द ‘बदबू बम’ है । चूँकि इसमें आवाज नई होती है इसलिए ये पास बैठे व्यक्ति को बदबं कि गुप्त दान देने के लिए बढ़िया है और दान देने वाला अपने नाक को बंद कर के मैने नई पादा है का दिखावा बड़े आसानी से कर सकता है। लेकिन गुप्त दान देने के बाद जापानी कहावत “जो बोला, सो पादा” याद रखते हुए लोगों को खुद ही दाता को ताङने दीजिए । आप मत बोलिए। यह पाद का 7 वा प्रकार है। यह प्रकार महिलाओ में काफी ज्यादा देखा जाता है। क्युकी यह बीना आवाज वाला होता है। जिससे शर्म से लाल होना नही पड़ता है। क्युकी इसमें किसी का भी नाम पूरे बयानों और सबूतों के आधार पर लेना कठिन है। जिससे कोई भी बच निकल सकता है।

असमंजस वाला पाद

क्या आपने कभी इस पाद का अनुभव लिया है। यदी हां तो यह पाद का आंठवा प्रकार है। यह बाकी पादो से बिलकुल अलग है। क्युकी यह व्यक्ती को धोखा देने में काफी माहिर हैं। इस पाद से बाकी लोग कम पर पादने वाला व्यक्ति ज्यादा परेशान होता है। क्युकी यह पाद व्यक्ति को गुमराह करके खुद के साथ मल भी लेकर आता है। कभी कभी ऐसा होता है कि, सामने वाले व्यक्ती को लगता है पाद आएगा लेकिन इसके बिलकुल विपरित हो जाता है। पाद तो नही लेकिन सिर्फ मल ही आ जाता है। अब आप सोच रहे होंगे कि, यह असमंजस वाला कैसे हुआ। तो चलिए बताते हैं असमंजस वाले पाद में व्यक्ती को शंका होती है कि, पाद के साथ मल भी आ जाएगा, इसलिए इस पाद के प्रकार को असमंजस वाला पाद कहा जाता है। आपको बता दें कि, यह असमंजस वाला पाद वाकई में कई लोगों को बहुत ही परेशान करने वाला होता है।

पाद को रोकने से क्या होता है?

हम जो अनाज खाते हैं उससे जो गैस बनती है वह हमारे आंतो में जमा होती है और वह गैस फिर मल मार्ग से बाहर निकलती है, जिसे हम पाद कहते हैं। इसे बाहर निकालना हमारे शरीर के लिए काफी फायदेमंद होता है। लेकिन यदी हम इसे रोक कर रखते हैं। यह गैस हमारे आंतो में फसी रहती है। जिसके चलते शरीर के कई हिस्सों में जैसे कि हाथ पैर सर पीठ कमर और शरीर के अन्य हिस्सों में दर्द का कारण बनती है।

आपको बता दें कि, ज्यादातर लोग खुद को शर्मिंदा होने से बचाने के लिए पाद को रोकते हैं। लेकिन आपको बता दें कि, पाद को बहुत लम्बे समय तक रोक कर रखना बहुत नुकसानदायक साबित हो सकता है।

ज्यादा पाद आने का कारण

वैसे तो ज्यादा पाद आने के कई कारण हैं। लेकिन सबसे ज्यादा प्रचलित कारणों में तीन ही कारण हैं। जो कुछ इस प्रकार के है:

  1. गलत खानपान
  2. अस्वस्थ पाचन तंत्र
  3. गलत दिनचर्या

ये तिन प्रमुख कारण है जिसके चलते अच्छे इन्सान को भी ज्यादा पाद आने में मजबूर करते हैं।

दिन में कितनी बार पादना चाहिए?

दीन में कितनी बार पादना चाहिए यह व्यक्ती के स्वास्थ्य पर निर्भर करता है। पर ऐसा कहा जाता है कि, सामान्य तौर पर व्यक्ति को दिन में 5 से 10 बार पादना चाहिए। वहीं कुछ डॉक्टर का मानना है कि 10 से 15 बार पाद का आना भी समान्य बात होती है लेकिन, अगर आपको अत्यधिक गैस बनने की समस्या है तो विशेषज्ञ डॉक्टर से संपर्क जरुर करना चाहिए।

अब यदी यह लेख पूरा पढ़ ही लिया है तो, अपने पाद की श्रेणी निर्धारित करते हुए पाद का आनन्द उठाइये और यदी कोई प्रकार छूटा हो तो हमें कमेंट बॉक्स में जरुर बताए।

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