क्या है ॐ? क्या ॐ अक्षर है या फिर शब्द, ॐ की उत्पत्ति कहां से हुई। जाने ॐ से जुड़ी रोचक जानकारी
Om: नमस्कार मित्रों! आज हम इस ब्लॉग पोस्ट में एक ऐसे अक्षर या शब्द, या फिर कहें तो ध्वनि, के बारे में जानेंगे जो दुनियां की सबसे प्राचीन संस्कृति सनातन संस्कृति में अत्यंत महत्वपूर्ण स्थान रखता है।
आपको बता दें कि, ॐ सुनने में, बोलने में और कहने में साधारण लगता है। परंतु ऐसा है नहीं। क्युकी यह अपने साथ कई सारे रहस्यों को दबाकर रखा हुआ है। जिनको जानकर आप दंग रह जाएंगे।
इस ब्लॉग पोस्ट में हम आपको ॐ की गहराई की यात्रा में ले चलते हैं। जिसमें हम ॐ के अनसुलझे और अद्भुत रहस्यों को उजागर करेंगे, इस ब्लॉग पोस्ट में हम आपको ॐ की उत्पत्ति कैसे हुई, ॐ का अर्थ क्या है, ॐ के अक्षरों का मुख्य स्वरूप क्या है, इसका महत्व और ॐ के जप से जुड़े लाभों पर चर्चा करेंगे। और ॐ से जुड़ी रोचक जानकारी का पता लगाएंगे।
तो आइए, बिना देर किए, हम ॐ के अद्भुत संसार में गोता लगाते हैं!
ॐ क्या है? ॐ अक्षर है या शब्द? (What is Om? Is Om a letter or a word?)
ॐ के बारे में हम चर्चा करे इससे पहले हमें यह समझना आवश्यक है कि, ॐ क्या है? क्या यह एक अक्षर है या फिर एक शब्द। आपको बता दें कि, भाषा का कोई कितना भी बडा विद्वान क्यों न हों। यदी वह इसे देखता है तो वह इसे एक संस्कृत भाषा का अक्षर मानेगा। क्यूंकि इसे देखने पर एक अक्षर ही प्रतित होता है।
परंतु यह गलत है। हिंदू धर्म में मौजुद शास्त्रों में ॐ को लेकर उल्लेख मिलता है। जिसके अनुसार ॐ एक अक्षर नही बल्की यह पांच अक्षरों का एक संगम है जिसे पंचाक्षर कहते हैं। ॐ में अ, ऊ,ओ, अं और म’ ऐसे कुल 5 अक्षर आते हैं।
अब सवाल यह बनता है कि, यदी इसमें पांच अक्षरों का मेल है तो यह एक शब्द हुआ। लेकिन यह शब्द भी नहीं है। शास्त्रों की माने तो, ॐ न एक अक्षर है और नही एक शब्द है बल्की यह एक पंचाक्षर मंत्र है। आप यह जरुर जानते होंगे कि, मंत्रों में कई शब्दों का संग्रह होता है। यह पंचाक्षर इसी में से एक है और शास्त्रों के अनुसार यह ब्रह्मांड का सबसे छोटा लेकिन सबसे शक्तिशाली मंत्र है।

ॐ की उत्पत्ति कैसे हुई थी? (How did Om originate?)
आशा है कि, ॐ क्या है? ॐ अक्षर है या शब्द? इसके बारे में आपने जान लिया होगा। अब हम यह जानते हैं कि, ॐ की उत्पत्ति कैसे हुई थी?
आपको बता दें कि, ॐ की उत्पत्ति का कोई भी निश्चित उल्लेख किसी भी ग्रंथ में हमे नहीं मिलता। Jeevanjali वेबसाइट पर मिले जानकारी के अनुसार ॐ के उत्पत्ति का उल्लेख हमे शिवपुराण की विद्येश्वर संहिता के अध्याय 9 में भगवान शंकर द्वारा ब्रह्मा और विष्णु को ॐ का रहस्य समझाते हुए मिलता हैं।
इस अध्याय के अनुसार हमें पता चलता है कि, भगवान शिव के उत्तरवर्ती मुख से अकार का, पश्चिम मुख से उकार का, दक्षिण मुख से मकार का, पूर्ववर्ती मुख से बिंदु का और मध्यवर्ती मुख से नाद का प्राकट्य या निर्माण हुआ था। इस प्रकार पाँच अवयवों से युक्त ओंकार बना है। और इन सभी अवयवों से एकीभूत होकर ओंकार प्रणव का ‘ॐ’ नामक एक पंचाक्षर उत्पन्न हुआ है।
अर्थात ॐ की उत्पत्ति भगवान शिव के मुख से हुई है।
ॐ के अक्षरों का तात्विक स्वरूप
ॐ पांच अक्षरों से मिलकर बना है – अ, ऊ,ओ, अं और म। इन पांचों अक्षरों का अपना अलग-अलग तात्विक स्वरूप है, जो ॐ के गहन अर्थ और महत्व को दर्शाता है:
1)अ (आकार):
- प्रतीक: ब्रह्मांड, सृष्टि का प्रारंभ
- गुण: अनंत, विशाल, असीम
- अवस्था: जाग्रत अवस्था, बाहरी दुनिया
2) उ (उकार):
- प्रतीक: पालनकर्ता, रक्षक
- गुण: संपूर्णता, पूर्णता
- अवस्था: स्वप्न अवस्था, अंतर्मुखी चेतना
3) म (मात्रिक):
- प्रतीक: विनाशक, परिवर्तन
- गुण: विलय, लय
- अवस्था: सुषुप्ति अवस्था, आध्यात्मिक चेतना
ॐ के जप से लाभ
अभी तक आपने ॐ के बहुत सी जरुरी बाते और उनसे जुड़े रहस्य जान चुके हैं। अब हम आपको ॐ के जप के लाभ बताते हैं। आपको बता दें कि, ॐ का जप ना सिर्फ़ हिंदू धर्म में बल्की बौद्ध, जैन, सिख और सभी धर्मो में लाभकारी माना जाता है। सिद्ध योगियों द्वारा इसे साबित करके दिखाया है कि, ॐ के जप से मन, शरीर और आत्मा पर अनेक लाभकारी प्रभाव पड़ते हैं। जिनका अनुभव उन्होने खुद महसूस किया है और कर रहे हैं।
ॐ के जप के कुछ प्रमुख लाभ:
मानसिक लाभ:
- तनाव और चिंता में कमी: ॐ का जप मन को शांति प्रदान करता है और तनाव, चिंता और अवसाद को मुक्त या कम करने में मदद करता है।
- एकाग्रता और स्मृति में वृद्धि: ॐ का जप एकाग्रता और स्मृति को बढ़ाने में भी मदद करता है।
- मानसिक स्पष्टता: ॐ का जप न सिर्फ़ मन को शांत करता है बल्की मानसिक स्पष्टता भी प्रदान करता है।
- सकारात्मक सोच: ॐ का जप सकारात्मक सोच को बढ़ावा देता है और नकारात्मक विचारों को दूर करने में मदद करता है।
शारीरिक लाभ:
- रक्तचाप में कमी: ॐ का जप रक्तचाप को कम करने में मदद करता है।
- हृदय गति में कमी: ॐ का जप हृदय गति को संतूलित करने में मदद करता है।
- नींद में सुधार: ॐ का जप नींद की गुणवत्ता में भी सुधार करने में मदद करता है।
- प्रतिरक्षा प्रणाली में वृद्धि: ॐ का जप प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत बनाने में मदद करता है।
आध्यात्मिक लाभ:
- आत्म-जागरूकता में वृद्धि: ॐ का जप आत्म-जागरूकता और आत्म-ज्ञान को बढ़ावा देता है।
- आध्यात्मिक विकास: ॐ का जप आध्यात्मिक विकास और उच्च चेतना की प्राप्ति में सहायक होता है।
- आंतरिक शांति: ॐ का जप मन को शांत करता है और आंतरिक शांति प्रदान करता है।
- ईश्वर से जुड़ाव: ॐ का जप ईश्वर से जुड़ाव और आध्यात्मिक उन्नति में मदद करता है।
ॐ से जुड़ी अन्य रोचक जानकारी
- ॐ को ब्रह्मांड का मूलाक्षर माना जाता है।
- ॐ की ध्वनि सूर्य से निकलने वाली ध्वनि के समान मानी जाती है।
- ॐ का उच्चारण करने से शरीर के सभी चक्र सक्रिय होते हैं।
- ॐ का जाप करने से मन की नकारात्मक भावनाएं दूर होती हैं और सकारात्मकता को बढ़ाती है।
निष्कर्ष:
अंत में, ॐ सिर्फ एक धार्मिक प्रतीक नहीं, अपितु जीवन का मूल सार है। ॐ का जाप और ॐ के स्वरूप पर ध्यान मन को शांत, एकाग्र और जीवन को सार्थक बनाता है।